निर्भया के दोषियों को फांसी : वकील सीमा कुशवाहा को ताली, एपी सिंह को गाली #social

BBC Hindi

शुक्रवार, 20 मार्च 2020 (10:22 IST)
7 साल, 3 महीने और 4 दिन। 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में निर्भया के साथ गैंगरेप करने वाले चारों दोषियों को 20 मार्च, शुक्रवार को फांसी की सज़ा दी जा चुकी है। मुकेश सिंह, विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता को दिल्ली की तिहाड़ जेल में सवेरे 5.30 बजे फांसी दी गई। 7 साल लंबी लड़ाई लड़ने वाले निर्भया के परिवार ने फांसी दिए जाने को न्याय की जीत बताया।
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निर्भया की मां आशादेवी ने कहा कि आज फांसी होने के बाद मैंने अपनी बेटी की तस्वीर देखी और उससे कहा कि आख़िर तुम्हें इंसाफ़ मिल गया। मैं उसे बचा नहीं पाई, इसका दुख रहेगा लेकिन मुझे उस पर गर्व है। आज मां का मेरा धर्म पूरा हुआ। निर्भया के पिता बद्रीनाथ ने कहा कि देश में महिलाओं के लिए ऐसा क़ानून बनेजिससे लोगों को लंबा इंतज़ार न करना पड़े।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
 
गैंगरेप के दोषियों को फांसी दिए जाने के बाद प्रतिक्रियाएं आम लोगों की तरफ़ से भी आ रही हैं। ट्विटर पर निर्भया से जुड़े कई ट्रेंड्स टॉप पर हैं। काफ़ी लोग निर्भया केस लड़ने वालीं वकील सीमा कुशवाहा की तारीफ़ कर रहे हैं, वहीं काफ़ी सारे लोग दोषियों का केस लड़ने वाले एपी सिंह के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करते हुए अपनी राय रख रहे हैं।
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निर्भया की वकील सीमा ने फांसी दिए जाने के बाद कहा कि मैं निर्भया गैंगरेप मामले के बाद से ही विरोध प्रदर्शनों में शामिल थी। आज मैं ख़ुश हूं कि मैं उन्हें इंसाफ़ दिला सकी। आनंद दत्त ने ट्वीट किया कि एपी सिंह की बजाय निर्भया का केस लड़ने वालीं सीमा कुशवाहा को ट्रेंड करना चाहिए। वकील एपी सिंह ने अदालत में दोषियों की तरफ केस लड़ा था।
 
अज़हर मलिक ने लिखा कि आख़िरकार! न्यायपालिका में हमेशा यक़ीन रखिए। देर से न्याय मिला लेकिन मिला ज़रूर।
 
जेएसपी श्रीराम ने लिखा कि दोषियों को क़रीब 8 साल बाद सज़ा देना न्याय नहीं है। अगर हमारी न्यायपालिका 100 दिन में दोषियों को सज़ा दे पाती है, तब कोई ये अपराध नहीं करेगा। ये होगा असली न्याय। निर्भया केस में दोषियों के वकील एपी सिंह बड़े क्रिमिनल हैं।
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तरुणा गौतम लिखती हैं कि सुबह उठते ही निर्भया के दोषियों को फांसी मिलने की बढ़िया ख़बर मिली। 7 साल लंबी लड़ाई निर्भया की मां और वकील दोनों ने लड़ी। हम भारतीय महिलाएं आप दोनों को सलाम करती हैं। हम कभी नहीं भूलेंगे और कभी नहीं हारेंगे।
 
श्वेता पांडे ने फ़ेसबुक पर लिखा कि 8 साल बाद एक मां की जीत हुई है, वहीं संचिता द्विवेदी का कहना है कि किसी की मौत खुशी का विषय नहीं हो सकती लेकिन न्याय की जीत पर खुश होना चाहिए। डॉ. एके जयंत ने लिखा कि निर्भया मामले में अपराधियों को फांसी मिली। लेकिन बलात्कार के कई मामलों में अपराधियों को सज़ा नहीं मिली है और वे खुले घूम रहे हैं। क्या महिलाएं ज़्यादा सुरक्षित महसूस करेंगी?
 
निर्भया के दोषियों को फांसी दिए जाने के बाद हमने बीबीसी हिन्दी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कहासुनी की। इस कहासुनी में हमने लोगों से सवाल पूछा- क्या महिलाएं इस कदम से ज़्यादा सुरक्षित महसूस करेंगी? इस सवाल के जवाब में हमें शुरुआती प्रतिक्रियाओं में मिले-जुले जवाब मिले।
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हरपाल कौर लिखती हैं कि निर्भया को न्याय मिल गया, मैं खुश हूं। लेकिन महिलाएं सुरक्षित महसूस करेंगी, ऐसा लगता नहीं। जिस देश में रेप करने वाले नेता और बाबा आज भी आज़ाद घूम रहे हैं, वहां इसकी संभावना कम है।
 
पवित्रा लिखती हैं कि देर से ही सही। निर्भया के दोषियों को फांसी तो हुई। इस वक़्त निर्भया की मां के दिल से पूछो- उसे कितनी ठंडक मिल रही होगी। नीलम गुप्ता ने लिखा कि ये बहुत ज़रूरी था। रीना कुमारी कहती हैं कि जैसी करनी, वैसी भरनी। स्मिता सिंह लिखती हैं कि ये बहुत बढ़िया हुआ। ये तो बहुत पहले हो जाना चाहिए था।

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