ब्रिटेन, अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने ये चेतावनी दी है कि उत्तर कोरिया के हैकर्स दुनिया भर की सरकारी और प्राइवेट कंपनियों से परमाणु और सैन्य गोपनीय जानकारियां चुराने की कोशिश कर रहे हैं।
इन देशों का कहना है कि हैकरों के ग्रुप को एंडेरियल और ऑन्क्सी स्लीट है। ये ग्रुप रक्षा, एरोस्पेस, परमाणु और इंजीनियरिंग से जुड़ी इकाइयों को अपना निशाना बना रहा है ताकि गोपनीय जानकारी जुटा सके। इसका मक़सद उत्तर कोरिया की सैन्य और परमाणु योजनाओं को बल देना है।
ये समूह यूरेनियम प्रोसेसिंग से लेकर टैंकों और पनडुब्बियों तक, अलग-अलग किस्म की जानकारी चुराने की जुगत में है। इस समूह ने अभी तक भारत, ब्रिटेन, अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान सहित कई देशों को अपना निशाना बनाया है।
ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका वायुसेना के अड्डे, नासा और रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां निशाना बनाए गए हैं।
ख़ासतौर पर इस समूह को लेकर जिस तरह से चेतावनी दी गई है, उससे ये संकेत मिलता है कि हैकरों का ये ग्रुप जासूसी के साथ ही पैसे भी बना रहा है। अधिकारियों की चिंता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि इससे संवेदनशील तकनीकी के साथ ही रोज़मर्रा के जीवन पर भी इस समूह की गतिविधियां असर डाल सकती हैं।
अमेरिका का कहना है कि इस गुट ने अमेरिकी स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी इकाइयों पर रैंसमवेयर अभियानों के ज़रिए पैसे जुटाए और उस राशि की मदद से अपनी जासूसी गतिविधियां तेज़ कीं।
यूके के नेशनल साइबर सिक्योरिटी सेंटर (एनसीएससी) के डायरेक्टर ऑफ़ ऑपरेशंस पॉल चिचेस्टर ने कहा, 'हमने वैश्विक स्तर पर चल रहे जिस साइबर जासूसी अभियान का पर्दाफ़ाश किया है, उससे पता चलता है कि उत्तर कोरिया अपने सैन्य और परमाणु कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए किस हद तक जाने के लिए तैयार है।'
इससे महत्वपूर्ण ढांचों के संचालकों को ये समझना चाहिए किए उनके सिस्टम में मौजूद संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा करना कितना ज़रूरी है ताकि इन्हें चोरी होने या इसके दुरुपयोग को रोका जा सके।
एनसीएससी का आकलन है कि एंडारियल उत्तर कोरिया की ख़ुफ़िया एजेंसी आरजीबी के थर्ड ब्यूरो का हिस्सा है।
हैकरों से चिंतित दुनियाभर के देश
अमेरिका, ब्रिटेन और दक्षिण कोरिया की ओर से जारी इस संयुक्त चेतावनी में उत्तर कोरिया के हैकरों से बचने के कुछ सुझाव भी दिए गए हैं। इस चेतावनी के अनुसार उत्तर कोरियाई हैकर रोबोट मशीनरी, मकैनिकल हथियार और थ्री डी प्रिंटिंग से जुड़ी जानकारियां भी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं।
गूगल क्लाउड में प्रिंसिपल ऐनालिस्ट माइकल बार्नहार्ट ने कहा, "इन आरोपों से ये साफ़ दिखता है कि उत्तर कोरियाई समूह आम लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगियों के लिए भी गंभीर ख़तरा हैं और इसे नज़अंदाज़ नहीं किया जा सकता है।"
वह कहते हैं, "अपने अभियानों के लिए पैसों की ख़ातिर अस्पतालों को निशाना बनाना ये दिखाता है कि वे ख़ुफ़िया जानकारी जुटाने के अपने प्राथमिक मिशन को पूरा करने के लिए कितनी कोशिशें कर रहे हैं। भले ही इससे इंसानों के जीवन पर कितना ही असर पड़े।"
ये पहली बार नहीं है जब उत्तर कोरियाई हैकरों को लेकर ऐसी चेतावनी जारी की गई हो। पिछले कई सालों में ऐसा बार-बार देखने को मिला है।
बल्कि कई हाई प्रोफ़ाइल साइबर हमलों से जुड़े मामलों के तार उत्तर कोरिया से जुड़े हैं। इनमें साल 2014 में एक हॉलीवुड की कॉमेडी फ़िल्म का बदला लेने के लिए सोनी पिक्चर्स पर हुआ साइबर अटैक भी शामिल है। इस फ़िल्म में उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की हत्या को दर्शाया गया था।
उत्तर कोरिया को लैज़रस ग्रुप की गतिविधियों के लिए भी जाना जाता है। ये समूह अरबों-खरब डॉलरों की चोरियों को अंजाम देता आया है।
हैकिंग की पुरानी दास्तां...
इसी साल फ़रवरी में ये ख़बर आई थी कि उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के करीबी के ईमेल हैक किए।
दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के कार्यालय ने बीबीसी से इसकी पुष्टि भी की। बताया गया कि राष्ट्रपति यून सुक योल के बीते साल ब्रिटेन के आधिकारिक दौरे के वक्त इस वारदात को अंजाम दिया गया।
साल 2022 में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में भी ये बताया गया था कि 2020 से 2021 के बीच उत्तर कोरिया के साइबर अटैकरों ने 5 करोड़ डॉलर से अधिक की क्रिप्टोकरेंसी कमाई, जिसका इस्तेमाल देश के मिसाइल प्रोग्राम पर किया गया।