मोदी से कैसे दूर हुए अपने भाषणों में आग उगलने वाले प्रवीण तोगड़िया?

Webdunia
बुधवार, 17 जनवरी 2018 (11:42 IST)
- विकास त्रिवेदी
 
हाथों में धारधार त्रिशूल, माथे पर तिलक। गर्दन में भगवा गमछा और सामने लोगों की भीड़। मंच पर खड़ा ये शख़्स अलग-अलग मौकों पर अपने समर्थकों के लिए कुछ यूं 'दहाड़ता' नज़र आता है।
 
 
*'एक हैदराबाद में कुत्ता है। वह अपने आप को शेर समझने लगा है।
*भारत माता की जय नहीं बोलने वाला एक दिन पाकिस्तान ज़िंदाबाद बोलेगा।
*हिंदू ज़्यादा बच्चे पैदा करें।
*मुसलमान 2002 के गुजरात दंगे भले ही भूल गए हों लेकिन 2013 के मुज़फ्फरनगर दंगे उन्हें ज़रूर याद होंगे।
*इस मुल्क में आतंकवाद इसलिए आया, क्योंकि यहां महात्मा गांधी की विचारधारा को माना जाता है।'
 
अलग-अलग तारीख़ों पर दिए इन बयानों को सुनते ही सामने खड़ी भीड़ जोश में जयकारे लगाने लगती है। इन बयानों को देने वाले प्रवीण तोगड़िया यूं तो कैंसर के डॉक्टर हैं लेकिन बीते कुछ दशकों से वो मेडिकल नहीं, हिंदुत्व की प्रैक्टिस करते नज़र आते हैं।
 
 
अब क्यों चर्चा में तोगड़िया?
विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया का नाम जब भी सुनाई देता है, लोगों को इस नाम के साथ ख़बरों में विवादित शब्द जुड़ा नज़र आता है। फिलहाल प्रवीण तोगड़िया के ख़िलाफ राजस्थान की गंगापुर कोर्ट ने दंगे के एक मामले को लेकर गैर-ज़मानती वॉरंट जारी किया है। राजस्थान पुलिस जब अहमदाबाद में उन्हें गिरफ्तार करने पहुंची तो वो घर पर नहीं मिले।
 
 
तोगड़िया अहमदाबाद के चंद्रमणि अस्पताल में मिले। डॉक्टरों के मुताबिक, ''108 नंबर की इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा तोगड़िया को बेहोशी की हालत में अस्पताल लेकर आई थी, उनका शुगर लेवल काफी नीचे था।''
 
तबीयत ठीक होने पर प्रवीण तोगड़िया मंगलवार को मीडिया के सामने आए। तोगड़िया ने कहा, ''मेरा एनकाउंटर करने की साजिश हुई। आईबी मेरे पीछे पड़ी हुई है। हिंदू एकता, गो रक्षा के लिए मैं जो काम कर रहा हूं, उसे दबाने की कोशिश की जा रही है।''
 
 
गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार अजय उमट के मुताबिक, बीते कुछ दिनों में प्रवीण तोगड़िया के ख़िलाफ वॉरंट जारी होने के कई मामले सामने आए हैं। 1998 के एक मामले में कोर्ट ने 2017 में संज्ञान लेकर उनके ख़िलाफ़ ग़ैर-ज़मानती वॉरंट जारी किया था, जिसमें वह पेश हुए। इसके बाद गंगापुर का वॉरंट आया। इसके साथ ही उनके ख़िलाफ़ पुराने मामले खुल रहे हैं।
 
दो हफ्ते पहले भी प्रवीण तोगड़िया ने फ़ेसबुक पर शेयर किए एक इंटरव्यू में खुद के ख़िलाफ गैर-जमानती वॉरेंट पर हैरानी जताई थी।
 
 
तोगड़िया ने कहा था, ''ये बहुत आश्चर्य और दुख की बात है। कश्मीर में सेना पर हमला करने वाले पाकिस्तानी देशद्रोहियों पर लगे केस केंद्र सरकार वापस खींचा जाता है लेकिन देशभक्त प्रवीण तोगड़िया के ख़िलाफ केस वापस नहीं लिया जाता है। क्या मेरी हैसियत सेना पर हमला करने वाले गद्दार से भी कम हो गई।''
 
तोगड़िया को कितना जानते हैं आप?
'धर्मों रक्षति रक्षित:', भारत माता और सूरज की रोशनी सा चमकता ॐ।...विश्व हिंदू परिषद् (वीएचपी) की वेबसाइट पर जाएं तो होमपेज पर सबसे पहले इसी पर नज़र आती है। वीएचपी की इसी वेबसाइट के मुताबिक़, तोगड़िया का जन्म 12 दिसंबर 1956 को हुआ।
 
 
गुजरात के अमरेली जिले में एक किसान परिवार में जन्मे प्रवीण की मां गांव में दूध बेचती थीं। प्रवीण बचपन से डॉक्टर बनना चाहते थे, इसलिए पढ़ाई के लिए अहमदाबाद आए और डॉक्टरी की पढ़ाई की।
 
प्रवीण ने मेडिकल में कैंसर सर्जरी की पढ़ाई की। हल्की उम्र में ही प्रवीण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हुए। वीएचपी की वेबसाइट के मुताबिक, तोगड़िया ने दस हज़ार से ज़्यादा सफल ऑपरेशन किए। तोगड़िया ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरी ऑपरेशन टेबल में एक भी शख्स की मौत नहीं हुई थी।
 
 
14 साल तक प्रैक्टिस करने के बाद प्रवीण तोगड़िया ने मेडिकल क्षेत्र से विदाई लेकर हिंदुत्ववादी एजेंडे को आगे बढ़ाना शुरू किया। प्रवीण तोगड़िया के बयानों से लोगों की जान को ख़तरा रहता है। इस पर तोगड़िया ने कहा था, ''गांधी के आज़ादी के आंदोलन में कितने ही लोगों की जान गई।''
 
प्रवीण तोगड़िया का अहमदाबाद में एक अस्पताल भी है, जिसका नाम धंवन्तरि है। ये वही अस्पताल है, जहां राजस्थान पुलिस से बचते हुए तोगड़िया ने जाने की कोशिश की थी और इसकी जानकारी उन्होंने मंगलवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।
 
 
कभी मोदी के साथ आरएसएस में थे तोगड़िया
80 के दौर में मोदी और प्रवीण तोगड़िया दोनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में थे। लेकिन कुछ वक्त बाद ही प्रवीण विश्व हिंदू परिषद और मोदी बीजेपी में आ गए।
 
प्रवीण तोगड़िया राम मंदिर आंदोलन के वक्त भी काफी सक्रिय रहे थे। साल 2002 में गुजरात में हुए दंगों में भी प्रवीण तोगड़िया पर अहम भूमिका निभाने का आरोप लगा। हालांकि तोगड़िया इन आरोपों को हमेशा ख़ारिज करते आए हैं। तोगड़िया ने एक इंटरव्यू में कहा था, ''जब ये घटना हुई, तब मैं अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन चला रहा था।''
 
 
जानकारों के मुताबिक, साल 2002 तक तोगड़िया की मोदी से काफी क़रीबी थी। लेकिन 2002 के बाद तत्कालीन गुजरात की मोदी सरकार ने तोगड़िया के सहयोगियों के ख़िलाफ जो कदम उठाए, वहां से दोनों दोस्तों के बीच दूरियां बढ़ने लगी।
 
मोदी के आलोचक तोगड़िया
वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई अपनी किताब '2014: इलेक्शन डेट चेंजड इंडिया' में लिखते हैं, ''संभवत जो बात सच है वो ये कि फरवरी 2002 की तारीख में गुजरात का असली बॉस नरेंद्र मोदी नहीं, बल्कि वीएचपी नेता प्रवीण तोगड़िया थे।''
 
मोदी और तोगड़िया के बीच मतभेद की एक वजह गुजरात में मंदिरों को तोड़ा जाना भी रहा है।
 
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, साल 2008 में काफी संख्या में अनाधिकृत मंदिरों को तोड़ा गया था। इसको लेकर तोगड़िया और मोदी के बीच मुलाकात भी हुई थी। मोदी के सरकार में आने के बाद राममंदिर के लिए कुछ न किए जाना और गोरक्षा को लेकर हिंसा पर मोदी के बयान की भी तोगड़िया ने आलोचना की।
 
तोगड़िया ने कहा, ''मुसलमानों को रोजगार देने की चिंता करते हो। देश के 80 फीसदी को फर्जी और गुनहगार बताया जाता है क्योंकि वो हिंदू हैं। ये गोमाता और हिंदुओं का अपमान है।''
 
 
तोगड़िया की 'त्रिशूल दीक्षा'
ऐसा नहीं है कि तोगड़िया पहली बार अपनी हरकतों की वजह से चर्चा में हैं। अप्रैल 2003 में तोगड़िया को अजमेर में शस्त्र क़ानून के उल्लंघन के आरोप में राजस्थान से गिरफ़्तार किया गया था।
 
पुलिस के मुताबिक़, प्रवीण तोगड़िया ने क़ानूनी प्रतिबंध होने के बावजूद अजमेर में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को त्रिशूल बाँटे थे। हालांकि इस गिरफ्तारी का तोगड़िया पर ज़्यादा असर नहीं हुआ और बाद के दिनों में वो दूसरे राज्यों में ऐसा करते नज़र आए थे।
 
 
इसके अलावा बीते कई सालों में तोगड़िया के ख़िलाफ कई बार भड़काऊ भाषण मामले में केस दर्ज गए हैं। लेकिन हर बार प्रवीण तोगड़िया कुछ महीने की चुप्पी के बाद एक मंच पर तिलक लगाए नज़र आते हैं। और कैंसर के डॉक्टर प्रवीण तोगड़िया भाषणों की प्रैक्टिस में जुट जाते हैं।

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