चीन की सरकारी मीडिया ने भारत के केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की सौहार्दपूर्ण टिप्पणी का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही जोर देते हुए यह भी कहा कि डोकलाम गतिरोध को सुलझाने के लिए भारतीय सैनिकों की वापसी अब भी महत्वपूर्ण मसला है।
भारत और चीन के बीच भूटान से सटी सीमा पर डोकलाम पर शुरू हुआ गतिरोध अब तीसरे महीने में पहुंच गया है। इन तीनों देशों की सीमा से सटे इस ट्राई-जंक्शन पर यह विवाद 16 जून से तब शुरू हुआ जब भारत ने यहां चीन के सड़क बनाने पर आपत्ति की। इसके बाद से भारत और चीन के बीच संबंध में तनाव शुरू हो गया जो अब भी बरकरार है।
राजनाथ ने क्या कहा था?
सोमवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के एक समारोह में कहा था कि डोकलाम में जारी गतिरोध को 'शीघ्र ही सुलझा लिया जाएगा।' भारतीय मीडिया के मुताबिक, सिंह ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि चीन जल्द ही इस चल रहे गतिरोध पर बातचीत शुरू करेगा क्योंकि "भारत शांति चाहता है कोई टकराव नहीं।"
राजनाथ सिंह के बयान पर ग्लोबल टाइम्स की संपादकीय में लिखा गया है, "अगर उनके इस बयान का मतलब चीन के अनुरोध (सेना की बिना शर्त वापसी) का बुद्धिमता से जवाब देना है तो इसका एहतिहातन स्वागत किया जाना चाहिए...उम्मीद की जाती है कि भारत एक देश के रूप में आत्म-सम्मान के साथ काम करेगा और सेना को तेज़ी से अपनी सीमा में वापस बुलाएगा।"
चीनी ऑनलाइन यूज़र्स ने की आलोचना
हालांकि, चीन के ऑललाइन यूज़र्स ने राजनाथ सिंह के बयान की सीना न्यूज पोर्टल पर आलोचना की है। सिचुआन प्रांत के एक यूज़र ने प्रसिद्ध चीनी मुहावरे का इस्तेमाल करते हुए लिखा, "एक अच्छा अवसर है, भारत को विभाजित किया जाना चाहिए और दक्षिण तिब्बत को वापस हासिल करना चाहिए। बाघ को वापस पहाड़ों में न छोड़ा जाए नहीं तो यहां अंतहीन समस्या होगी।"
शंघाई से एक यूज़र ने चीन की प्रतिक्रिया पर लिखा, "चेतावनी बहुत पहले दे दी गई थी! तुरंत छोड़ कर जाओ। वहां चुप्पी क्यों है?" एन्हुई प्रांत से एक यूज़र ने लिखा, "क्या डोंगलांग पर हमला करने वाली भारतीय सेना को खदेड़ा नहीं गया है? क्या चीन की चेतावनी में अब भी कोई वज़न है?"
शंघाई से एक यूज़र ने लिखा, "आक्रमणकारी शांति के विषय में बेतुकी बातें कर रहे हैं।" फ़ुज़ियान प्रांत से एक यूज़र ने लिखा, "चीन अपनी स्थिति को आगे रख सकता हैः पहले भारत बिना शर्त पीछे हटे और यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने यह माने की उसने चीन पर हमला किया। दूसरा, इस पर भारत से जवाब मांगा जाए।"
"जांच की जाए कि क्या भारत के किसी शीर्ष स्तर यहां तक कि भारतीय प्रधानमंत्री ने इसकी अनुमति दी। तीसरा, अगर भारत के साथ कोई युद्ध नहीं होता है तो सशस्त्र बलों को सीमा पर जुटाने समेत अन्य खर्चों के लिए चीन भारत से आर्थिक मुआवजे की मांग करे।"
'भविष्य में फिर नहीं मिलेगा मौका'
गुआंग्डोंग से एक यूज़र ने लिखा, "सिक्किम की आज़ादी को प्रोत्साहित करें और सिक्किम को वापस आने की इजाज़त दें। दक्षिण तिब्बत को वापस लाएं। तिब्बत के पानी को झिंजियांग की तरफ़ मोड़ें। ए-सैन (भारत के लिए चीन में बोला जाने वाला अपनामजनक शब्द) को सिखाएं की कैसे पड़ोसियों की इज्ज़त करते हैं।"
एक यूज़र ने लिखा, "इस मौक़े को भारत के साथ विवाद के पूरी तरह निपटारे के तौर पर देखा जाना चाहिए। इंतज़ार न करें। चीन विकसित हो रहा है, भारत भी विकास कर रहा है। इससे बेहतर मौक़ा भविष्य में फ़िर नहीं मिलेगा।"