- नितिन श्रीवास्तव (कोलकाता से)
सुबह के छह बजे हैं और कोलकाता के दमदम इलाक़े में एक हनुमान मंदिर के घंटे बज उठते हैं। श्रद्धालुओं के घंटे बजाने के बीच में कहीं आस-पास से ही 'नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे' गाए जाने की आवाज़ भी सुनाई दी। हनुमान मंदिर के पीछे पानी और कीचड़ से भरे एक बड़े मैदान में क़रीब 25 पुरुष ये गान गाकर व्यायाम में लग जाते हैं। ये है पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दमदम शाखा, जिसमें छात्र, नौकरी पेशा से लेकर रिटायर्ड लोग शामिल हैं।
आरएसएस की शाखा
जाड़ा हो, गर्मी हो या फिर बरसात, अकेले दमदम इलाक़े में ऐसी 10 शाखाएं रोज़ सुबह एक घंटे के लिए लगती हैं। इस इलाक़े में अब 14 बार साप्ताहिक मिलन होता है और इकाइयों की संख्या 'बढ़ कर 24 हो चुकी है।' प्रणब दत्ता एक सरकारी कर्मचारी हैं और कहते हैं कि रोज़ सुबह चार बजे उठ कर घर के काम निपटा के यहाँ साढ़े पांच बजे पहुँच जाते हैं और पहले झाड़ू से सफ़ाई करते हैं।
उन्होंने कहा, "सब लोग परिवार के बारे में सोचते हैं, देश के बारे में नहीं। हम सबको दिन में पांच-छह घंटे देश के बारे में सोचना चाहिए। ऐसी शाखा मैदान में रोज़ आना चाहिए और हमारे परिवार भी हमें इसके लिए प्रोत्साहन देने लगे हैं।"
शाखाओं का विस्तार
भारत में आरएसएस की 56,000 से भी ज़्यादा शाखाएं लगती हैं और खुद संघ ने 2016 में कहा था, "2015-16 में शाखाओं का विस्तार 1925 हुई स्थापना के बाद सबसे ज़्यादा हुआ।" पश्चिम बंगाल में आरएसएस की शाखाओं की संख्या जहाँ 2011 में मात्र 530 थी वो आंकड़ा अब 1500 पार कर चुका है।