ये कैसा बलात्कार और ये कैसी बहस

गुरुवार, 3 अगस्त 2017 (14:54 IST)
- सिंधुवासिनी त्रिपाठी 
कमरे के एक कोने से लगातार 'मुझे छोड़ दो, मुझे मत छुओ...मुझे जाने दो...' जैसी आवाजें आती हैं, लेकिन कमरे में मौजूद शख़्स पर इसका कोई असर नहीं पड़ता। उल्टे वह और कामुक होकर आगे बढ़ता है और अपने मनचाहे तरीके से जबरन सेक्स को अंजाम देता है। क्या आपको ये सब सही लगता है? 
 
काफ़ी मुमकिन है कि आपका जवाब 'नहीं' में हो। आप इसे ज़बरदस्ती या रेप कहेंगे। अब मामले में थोड़ा-सा ट्विस्ट लाते हैं। दरअसल 'मुझे छोड़ दो...मुझे मत छुओ...' कहने वाला कोई जीता जागता इंसान या लड़की नहीं बल्कि एक रोबोट है। एक ख़ास तरह का सेक्स रोबोट।
 
इसका नाम है 'Frigid Farrah' और इसे 'True Companion' नाम की अमेरिकी कंपनी ने बनाया है। 'Frigid' का मतलब होता है ऐसी औरत जिसकी यौन गतिविधियों में दिलचस्पी नहीं है। कंपनी की वेबसाइट पर कहा गया है कि यह रोबोट 'शर्मीला' है इसलिए इसके प्राइवेट पार्ट छूने पर अपनी असहमति जाहिर करेगा। इस सेक्स रोबोट पर दुनिया भर में विवाद हो रहा है।
 
रेप कल्चर को मिलेगा बढ़ावा?
एक तरफ़ वह पक्ष है जो कह रहा है कि इस तरह की कोई भी डिवाइस रेप कल्चर को बढ़ावा देगी क्योंकि यह 'सहमति' की अवधारणा को सिरे से ख़ारिज करती है। वहीं दूसरा पक्ष वो है जो कहता है कि इससे लोग बिना किसी को नुकसान पहुंचाए अपनी अंतरंग इच्छाओं को पूरा कर सकेंगे। लेकिन क्या यह वाकई इतना सरल है?
 
सेक्शुअल डिसऑर्डर्स (यौन विकृतियों) की जानकारी रखने वाले साइकॉलजिस्ट डॉ. प्रवीण त्रिपाठी का कहना है कि 'रेप फ़ैंटेसी' या 'रेप करने की चाहत' नॉर्मल है ही नहीं।
 
मनोवैज्ञानिक इसे 'पैराफ़िलिया' यानी असामान्य सेक्शुअल बर्ताव के दायरे में रखते हैं। डॉ. प्रवीण कहते हैं, ''जहां तक बात रेप की है तो यह 'सेक्शुअल पैशन' भी नहीं है। यानी रेप करके कोई अपनी यौन इच्छाएं पूरी करता है, ऐसा भी नहीं है। रेप करने वाले का मक़सद अपने से कमज़ोर पर काबिज होकर ख़ुद को उससे ज़्यादा ताकतवर साबित करना होता है।''
 
डॉ. प्रवीण आंशका जताते हैं कि ऐसे सेक्स रोबोट इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति में अपनी यौन इच्छाओं को इंसानों पर आज़माने की चाहत बढ़ेगी जो कि बहुत ख़तरनाक है।
 
...या घटेंगे यौन अपराध?
हालांकि जाने-माने सेक्सॉलजिस्ट डॉ. प्रकाश कोठारी की राय इससे अलग है। डॉ. कोठारी को नहीं लगता कि ऐसे सेक्स रोबोट से रेप कल्चर को बढ़ावा मिलेगा। वह कहते हैं, ''यह बहुत दूर की बात है। मुझे लगता है कि इससे यौन अपराध घटेंगे ही, बढ़ेंगे नहीं। आप किसी चीज़ का इस्तेमाल कैसे करते हैं, यह आपकी समझदारी और संवेदनशीलता पर भी निर्भर करता है।''
 
डॉ. कोठारी कहते हैं कि भारत भी सेक्स टॉयज़ का बड़ा बाज़ार है और यह आने वाले दिनों में बढ़ेगा ही। इनकी खुलेआम बिक्री भले न होती हो, लेकिन ऐसे तमाम ऑनलाइन पोर्टल हैं जो तरह-तरह के प्रोडक्ट्स ऑफ़र करते हैं।
 
भारतीय बाज़ार में सेक्स प्रोडक्ट्स
फ़िलहाल भारतीय बाजार में 'फ़्रिजिड फ़ैरा' जैसे विवादास्पद सेक्स रोबोट मौजूद नहीं हैं। हालांकि टेक्नॉलजी जिस तरह से आगे बढ़ रही है उसे देखते हुए अगर यहां भी इस तरह के प्रोडक्ट्स बनाए जाने लगें तो हैरानी की बात नहीं होगी। खासकर, जब भारतीय समाज में सेक्स के लिए सहमति को पहले से ही नजरअंदाज किया जाता रहा है।
 
रोबोटिक्स के प्रोफ़ेसर नोएल शार्के भी लोगों को भविष्य में सेक्स रोबोट की वजह से होने वाले ख़तरों के प्रति आगाह करते हैं। उन्होंने बीबीसी से बातचीत में कहा, ''बच्चों की तरह दिखने वाले सेक्स रोबोट भी बनाए जा रहे हैं और दलील यह दी जा रही है कि इससे बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध रुकेंगे। लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है, बल्कि इसके उल्टे नतीजे आने का डर है।''
 
दुनिया भर में 'फ़्रिजिड फ़ैरा' जैसे सेक्स रोबोट को लेकर बहस छिड़ी हुई है, इसका विरोध भी हो रहा है। एक तरफ़ बाज़ार है तो दूसरी तरफ़ मानवीय खत़रे। ऐसे में भारतीय समाज को भी 'सहमति' के मुद्दे पर अपनी समझ मजबूत करने की ज़रूरत है।

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