वे बताते हैं, 'केंद्र में ये बहुत ठोस है। संभवतः इसका द्रव्यमान हमारे सूर्य के बराबर है और जिस क्षेत्र में यह अपनी ऊर्जा छोड़ रहा है उसका द्रव्यमान हमारे सूर्य से पांच-छह गुना ज्यादा है और यह बाहर की ओर 10 हजार किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से बढ़ रहा है।'
खगोलविद हमेशा से आकाश में होने वाले तारों के इन विशाल धमाकों की ओर आकर्षित होते रहे हैं। हमारे ब्रह्मांड का विकास कैसे हुआ, यह समझने में सुपरनोपा अहम कड़ी हैं। इस सुपरनोवा का मूल तारा भी काफी विशाल रहा होगा- संभवतः हमारे सूर्य के मुकाबले 50 से 100 गुना तक बड़ा।