क्या आपको अपना स्मार्टफ़ोन अमेरिका ले जाना चाहिए?

Webdunia
शनिवार, 18 फ़रवरी 2017 (12:21 IST)
- रोरी सेलन जोंस
 
'अगली बार जब आप सीमा पार जाने की सोचें तो अपना फ़ोन घर पर ही छोड़कर जाएं।' एक ब्लॉग में लोगों को दी गई है ये सलाह, जिसे आजकल बहुत से लोग शेयर कर रहे हैं।
इस ब्लॉग के लेखक हैं क्विंसी लार्सन। वो एक साफ़्टवेयर इंजीनियर हैं। इससे पहले वो लोगों के निजी डाटा की सुरक्षा के महत्व पर लिख चुके हैं। अब उन्होंने इस बात पर चिंता जताई है कि आप जब भी देश से बाहर जाएंगे, आपके डाटा की सुरक्षा ख़तरे में होगी।
 
उनकी इस चिंता को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के इंजीनियर सिद बीकन्नवर के साथ हुई घटना से और बल मिला। बीकन्नवर भारतीय मूल के हैं, अमेरिका में पैदा हुए हैं और नासा में इंजीनियर हैं। बीकन्नवर ने पिछले महीने चिली की यात्रा की थी। उनके मुताबिक़, जब वो वापस आए तो ह्यूस्टन में सीमा शुल्क के अधिकारियों ने उन्हें हिरासत में ले लिया। उन पर उनके स्मार्टफोन का पासवर्ड देने का दबाव डाला गया। ऐसा यह जानने के बाद भी किया गया कि ये फोन नासा का दिया हुआ है।
 
बीकन्नवर ने थक-हारकर अपना फोन और उसका पासवर्ड अधिकारियों को सौंप दिया। फोन को आधे घंटे के लिए उनसे दूर ले जाया गया। उसके बाद अधिकारियों ने फोन वापस किया। इसके बाद ही वो वहां से निकल पाए।
 
लार्सन इसे एक बहुत ही खतरनाक उदाहरण मानते हैं। वो लिखते हैं, ''अब हम यह देख रहे हैं कि किसी को भी उसके रास्ते से सीमा शुल्क के अधिकारी पकड़ सकते हैं। वो लोगों पर पूरे डिजिटल डाटा को सौंपने के लिए दबाव डाल सकते हैं।''
 
ये ज़्यादा ख़तरनाक इसलिए भी है, क्योंकि आंतरिक सुरक्षा के नए मंत्री जॉन केली ने वीज़ा आवेदकों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट के पासवर्ड सौंपने की बात कही है। हालांकि यह साफ नहीं है कि यह सीमा पर लागू होगा या नहीं। 
 
गुरुवार को एक नए रिपब्लिकन सांसद ने ट्विटर पर वीज़ा आवेदकों के सोशल मीडिया समीक्षा को ज़रूरी बनाने वाला पहला विधेयक पेश किए जाने का एलान किया। लार्सन ने अनुमान लगाया है कि न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया में यात्रियों को उनके फ़ोन के डाटा को डाउनलोड करने का नियम जल्द ही लागू किया जा सकता है।
 
उन्होंने सुझाव दिया है कि जब आप देश से बाहर जाएं तो अपना फ़ोन और लैपटॉप घर पर ही छोड़कर जाएं। उन्होंने कहा है कि आप जहां जाएं, वहां इन उपकरणों को किराए पर ले लें। वो लिखते हैं, हालांकि यह थोड़ी ज्यादती लगती है। लेकिन मैं हवाई यात्रा के दौरान अपने स्मार्टफ़ोन से अलग किए जाने की कल्पना भी नहीं कर सकता। मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि कई अन्य लोग भी मेरी तरह ही सोचते होंगे।
 
इसलिए मैंने ब्रितानी विदेश विभाग और लंदन में अमेरिकी दूतावास से सलाह लेने का फ़ैसला किया। क्या वहां इस बात का ख़तरा है कि सीमा अधिकारी मुझ पर मेरे फ़ोन को अनलॉक करने या सोशल मीडिया वेबसाइटों के अकाउंट का पासवर्ड सौंपने का दबाव डालें।
 
मेरे इस सवाल पर विदेश विभाग ने मुझसे कहा कि उनके यात्रा चेतावनियों में यह विषय शामिल नहीं है। उन्हें इस संबंध में कोई संकेत भी अब तक नहीं मिला है। लेकिन उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मुझे जॉन एफ़ कैनेडी हवाई अड्डे पर इमिग्रेशन अधिकारी रोककर पासवर्ड की मांग करें तो मुझे ब्रिटिश दूतावास को फ़ोन करना चाहिए और वकील की सहायता लेनी चाहिए।
 
वहीं अमेरिकी दूतावास से इस बारे में गुरुवार को सधी हुई प्रतिक्रिया मिली। उन्होंने कहा कि इस विषय पर पहले वॉशिंगटन में बात करनी होगी। उसके बाद वो मुझे मेरे स्मार्टफ़ोन, मेरे फेसबुक और ट्विटर अकाउंट को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब दे पाएंगे। मैं शुक्रवार की सुबह जब यह सब लिख रहा हूं और अब तक मुझे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। हो सकता हो अमेरिका के दिमाग में कोई और बात हो।
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