जींस खरीदते वक्त रखें इन बातों का ध्यान

बुधवार, 1 जून 2016 (11:19 IST)
- निकिता अमर झा (मुंबई)
 
अमेरिकी मजदूरों के लिए सख्त और टिकाऊ लिबास के विकल्प के तौर पर जींस का प्रयोग शुरू हुआ था, लेकिन अब यह आरामदायक परिधान और फैशन का पर्याय बन गई है। 19वीं सदी से बनती आ रही जींस की कहानी बताते हुए मशहूर फैशन डिजाइनर आसिफ़ मर्चेंट कहते हैं, 'साल 1873 में पहली नीली जींस आई थी, जिसे अमेरिकी मजदूरों के लिए बनाया गया था।'
आसिफ़ जींस के बारे में कहते हैं कि ये वो लिबास है, जिसे सभी अपनी जेब के हिसाब से खरीद सकते हैं। जींस का एक जोड़ा हर किसी के पास मिल जाता है। वो कहते हैं कि लोग जींस खरीदते समय कई जरूरी चीजों को नजरअंदाज़ कर देते हैं। आसिफ़ के कहे इस तथ्य की पड़ताल के लिए बीबीसी ने फ़ैशन जगत के कुछ और विशेषज्ञों से बात की।
 
जींस की खरीदारी के बारे में आसिफ़ ने कहा कि जींस खरीदने से पहले लेबल जरूर जांचना चाहिए ताकि जींस में डेनिम यानी कॉटन की मात्रा पता कर सकें। वो बताते हैं कि कई बार खिंचाव बढ़ाने के लिए डेनिम के साथ लाइक्रा भी मिला दिया जाता है। यदि आपकी जींस में डेनिम का प्रतिशत 90 से 100 न हो, तो वो आरामदायक नहीं होगी।
वहीं फ्रीलांस डिज़ाइनर अभिषेक गुप्ता कहते हैं, 'आमतौर पर 650 रुपए में बनी जींस 1900 रुपए तक में बिकती है। सस्ती और महंगी जींस में डेनिम की क्वॉलिटी और मात्रा का ही अंतर होता है।'
आसिफ़ कहते हैं कि जींस का चुनाव अपने शरीर की बनावट के अनुसार ही करना चाहिए।
 
वो उदाहरण देते हुए कहते हैं, 'ओवरसाइज़्ड जींस अफ्रीकी अमेरिकी मजदूरों के लिए बनाई गई थी, जिनका शरीर तंदुरुस्त और कमर बड़ी होती थी। लेकिन जब वही जींस कोई पतला-सा आदमी पहन ले, तो वो झोला पहने हुए आदमी की तरह दिखाई देता है।'
सवाल उठता है कि किस बॉडी टाइप पर कैसी जींस फबेगी? सबसे पहले बात करते हैं स्किनी या स्लिम फ़िट जींस की।
 
आसिफ़ कहते हैं कि स्किनी जींस पतली टांगों वालों पर फबती है, क्योंकि यह जींस शरीर से बिल्कुल चिपकी होती है। वो ज्यादा दुबले लोगों को इसे ना पहनने की सलाह देते हैं। वहीं फैशन कंसल्टेंट ज़िशान शेख़ स्ट्रेट फिट या रेग्युलर फिट को क्लासिक फिट कहते हैं।
 
सुडौल शरीर वालों के लिए फैशन कंसल्टेंट बिलाल हुसैन आर्क-शेप्ड जीन्स या कर्व्ड जीन्स को बेहतरीन विकल्प बताते हैं। वो कहते हैं कि इसकी बनावट स्ट्रेट-फ़िट के विपरीत होती है और उन लोगों पर जंचती है, जिनकी जांघें और पैर मोटे होते हैं।
 
वह आगे कहते हैं, 'और आज भी ये पैंट्स आरामदायक और उपयोगी हैं। जेबों में जरूरी चीजें डाल कर सैर पर निकला सकता है।' जिनकी जांघें पैरों की तुलना में काफ़ी मोटी हों, उनके लिए फैशन कन्सल्टेंट नौफिल क़ाज़ी गाजर या टेपर्ड को बेहतर विकल्प बताते हैं।
वहीं बूट-कट जींस या बेल बॉटम्स के बारे में आसिफ़ कहते हैं कि ये जींस बहुत लंबे लोगों के लिए सही है, जो अपना कद छुपाना चाहते हों। लेकिन छोटे कद के लोगों को इसे न पहनने की हिदायत भी देते हैं।
 
कार्गो जींस की उपयोगिता बताते हुए आसिफ़ ने कहा कि द्वितीय विश्व-युद्ध के दौरान ब्रिटिश सैनिकों के लिए कई जेबों वाली यूनिफॉर्म तैयार करवाई गई थी, ताकि वो उन जेबों में जरूरी सामान जैसे नक्शा, दवाई वग़ैरह रख सकें।
 
टेंपर्ड के उलट ओवरसाइज़्ड जींस या बॉयफ्रेंड जींस होती है। इनके बारे में आसिफ़ कहते हैं, 'यह शुरू-शुरू में हिप-हॉप स्टाइल की जींस होती थी।' उन्होंने आगे कहा, 'आज कल तेज़ी से बिक रही क्रॉप्ड जींस ख़ासकर उन लंबे लोगों के लिए सबसे उपयुक्त है, जो अपने पैरों को छोटा दिखाना चाहते हों।'
 
जींस की कहानी सिर्फ़ फ़िट्स तक ही नहीं सीमित नहीं है। इनके बारे में फैशन कन्सल्टेंट बरहन ठेकेदार कहते हैं कि जींस को एसिड वॉश, स्टोन वॉश, ब्लीच वॉश आदि किया जाता है। बरहन की बात से इत्तेफाक रखते हुए आसिफ़ कहते हैं कि जींस यदि मैली हो, तो वो 'मॅड-वॉश जैसी हो जाती है।

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