क्या बंगाल में बहेगी बदलाव की बयार-लोक सभा चुनाव 2019
सोमवार, 20 मई 2019 (10:56 IST)
- प्रभाकर एम. (कोलकाता से)
तो क्या पश्चिम बंगाल में बीजेपी सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस पर भारी साबित होगी? रविवार को सातवें और अंतिम चरण के मतदान के बाद एग्ज़िट पोल से उभरे तमाम नतीजों से तो यही बात साबित होती है। राष्ट्रीय से लेकर स्थानीय चैनलों तक सबने बंगाल में बीजेपी की बंपर कामयाबी का दावा किया है।
एग्ज़िट पोल हालांकि कई बार ग़लत नतीजे भी देते हैं। लेकिन यहां रविवार की रात से ही राजनीतिक हलक़ों में सवाल उठने लगा है कि इन एग्ज़िट पोल के दावों में अगर रत्ती भर भी सच्चाई है तो आख़िर ऐसा कैसे हुआ?
सवाल उठ रहे हैं कि यह राज्य में सत्तारुढ़ टीएमसी के ख़िलाफ़ लहर है या फिर बीजेपी के समर्थन में?
23 मई को नतीजा चाहे जो भी हो, एग्ज़िट पोल के नतीजों ने बंगाल की राजनीति नें एक सुनामी ज़रूर पैदा कर दी है। लेकिन मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा है, "मैं एग्ज़िट पोल की अफ़वाह पर भरोसा नहीं करती।"
उधर, राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि एग्ज़िट पोल के नतीजे हमेशा एकदम सही नहीं होते, लेकिन इससे चुनावी नतीजों का एक संकेत तो मिल ही जाता है। वैसे, पारंपरिक तौर पर बंगाल के चुनावों में हिंसा होती रही है और अबकी भी अपवाद नहीं रहा है।
एग्ज़िट पोल
सीटों की तादाद में दो-चार की हेर-फेर भले हो सकती है। लेकिन ऐसे तमाम एग्ज़िट पोलों में बीजेपी को बंगाल में 10 से ज्यादा सीटें मिलने का दावा किया गया है।
ज़्यादातर ऐसे नतीजों में राज्य नें लेफ्ट फ्रंट का पत्ता साफ़ होते दिखाया गया है। टाइम्स नाऊ-वीएमआर के एग्ज़िट पोल के मुताबिक़ बंगाल में तृणमूल कांग्रेस अबकी 42 में 28 सीटें जीतेगी जबिक एनडीए 11 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रहेगा।
कांग्रेस को यहां दो सीटें मिलने की संभावना जताई गई है। सी-वोटर एग्ज़िट पोल में कहा गया है कि एनडीए बंगाल में 19 से 26 तक सीटें जीतेगी और टीएमसी को 21 से 23 सीटें मिल सकती हैं।
इस एग्ज़िट पोल में कांग्रेस को तीन सीटें मिलने की बात कही गई है। इंडिया टूडो-एक्सिस माई इंडिया ने भी बंगाल में बीजेपी को 19 से 23 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की है। उसने टीएमसी को 19 से 22 और कांग्रेस को शून्य से एक सीट दी है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है, "मैं एग्ज़िट पोल के नतीजों पर विश्वास नहीं करती। इस अफ़वाह के ज़रिए हज़ारों ईवीएम बदलने या उनमें घपला करने की योजना है। मैं तमाम विपक्षी राजनीतिक दलों से एकजुट, मज़बूत और साहसिक होने की अपील करती हूं। हमें साथ मिल कर यह लड़ाई लड़नी है।"
लेफ्ट का खाता तक ना खुलने का दावा
रिपब्लिक टीवी—सी—वोटर सर्वेक्षण में टीएमसी को 29 सीटें मिलती दिखाई गई हैं। इस सर्वेक्षण में बीजेपी को 11 सीटों दी गई हैं जबकि कांग्रेस को दो सीटें मिलने की उम्मीद है।
तमाम सर्वेक्षणों में लेफ्टफ्रंट का खाता तक नहीं खुलने की बात कही गई है। एबीपी-नीलसन के एग्ज़िट पोल में टीएमसी को 24 सीटें दी ई हैं और बीजेपी को 16...।
इनके अलावा कांग्रेस को दो सीटें मिलने की बात कही गई है। इसके साथ ही लेफ्टफ्रंट का खाता तक नहीं खुलने का दावा किया गया है। बांग्ला चैनलों में भी बीजेपी को 11 से 16 तक सीटें मिलने की दावा किया गया है।
सीएनएन न्यूज़-18 और आईपीएस एंड एस के एग्ज़िट पोल में टीएमसी को यहां 36 से 38 सीटें दी गई हैं वहीं बीजेपी को तीन से पांच सीटें ही दी गई हैं। इसमें कांग्रेस को शून्य से एक सीट मिलने की बात कही गई है।
एक अन्य टीवी चैनल न्यूज़ एक्स और नेता के एग्ज़िट पोल में टीएमसी को 29 सीटें दी गई हैं जबकि बीजेपी को 11 सीटें। इन दोनों के अलावा बाक़ी दो सीटें कांग्रेस के खाते में जाने की भविष्यवाणी की गई थी।
राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर रहे डॉ. मनोरजंन भादुड़ी कहते हैं, "बंगाल में बीजेपी कभी भी एक मज़बूत ताक़त नहीं थी। लेकिन बीते पांच वर्षों के दौरान उसमें सीपीएम के पैरों तले खिसकी ज़मीन पर तो क़ब्ज़ा किया ही है, उसके काडरों को भी अपना लिया है।"
वर्ष 2009 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को महज़ छह फीसदी वोट मिले थे जो वर्ष 2014 के चुनावों में तीन गुने बढ़ कर लगभग 17 फीसदी तक पहुंच गए।
राजनीतिक पर्यवेक्षक विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, "अबकी बंगाल में बीजेपी को मिलने वाले वोट बढ़ कर 34 फीसदी तक पहुंच सकते हैं। लेकिन इसमें नकारात्मक और तृणमूल कांग्रेस-विरोधी वोट ही ज़्यादा हैं, बीजेपी के पक्ष में सकारात्मक वोट नहीं।"
कोलकाता स्थित वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक तरुण गांगुली कहते हैं, "अबकी 2014 के मुक़ाबले बंगाल में बीजेपी का प्रदर्शन बेहतर रहेगा। वह कहते हैं कि बंगाल में रोज़गार नहीं हैं। नतीजतन युवा वर्ग दक्षिण भारत की ओर जा रहा है। इसके अलावा ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ सत्ता-विरोधी लहर भी इस कामयाबी की एक प्रमुख वजह है।"
गांगुली कहते हैं, "अबकी लोकसभा चुनावों में पहली बार बंगाल में वोटरों का धार्मिक आधार पर ज़बरदस्त धुव्रीकरण हुआ है। टीएमसी ने जहां 30 फीसदी मुसलमानों पर भरोसा जताया है वहीं बीजेपी ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक और नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी) के ज़रिए मौक़े का फ़ायदा उठाने का प्रयास किया है।"
बीजेपी नेताओं ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान ममता की कथित मुस्लिम तुष्टिकरण नीति को भी अपना प्रमुख मुद्दा बनाया था।