इमरान खान की पार्टी तहरीक़े इंसाफ़ को बीते कुछ दिनों में एक के बाद एक कई बड़े नेता अलविदा कह चुके हैं। सभी नेताओं ने 9 मई के घटनाक्रम का हवाला देते हुए ही पार्टी छोड़ी है। पीटीआई से जुड़े (पूर्व) नेताओं की प्रेस कॉन्फ्रेंस में 9 मई, 2023 का ज़िक्र ज़रूर था। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि क्या पीटीआई में इमरान खान अकेले हो गए हैं और अगर नहीं तो अब उनके साथ कौन-कौन खड़ा है।
9 मई को इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थक कोर कमांडर हाउस लाहौर और सेना मुख्यालय सहित कई सैन्य दफ़्तरों को आग के हवाले कर दिया था।
इस घटना के बाद पीटीआई के अधिकांश नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। अदालत के आदेशों के बावजूद उनमें से कइयों को रिहाई के तुरंत बाद फिर गिरफ्तार कर लिया गया। शिरीन मज़ारी, मलिका बुख़ारी, मुसर्रत जमशेद चीमा ने जेल से अपनी रिहाई के तुरंत बाद पार्टी छोड़ने की घोषणा कर दी।
उनके अलावा फवाद चौधरी, मलिक अमीन असलम, आमिर कयानी, फ़ैज़ुल्लाह कामुका, चौधरी हुसैन इलाही, चौधरी वजाहत हुसैन जैसे अहम नामों ने अब तक पार्टी छोड़ने या राजनीति से अलग होने का ऐलान कर दिया है।
तहरीके इंसाफ़ के महासचिव असद उमर ने भी पार्टी के पद से इस्तीफ़ा देने की घोषणा की है, लेकिन उन्होंने फिलहाल पार्टी छोड़ने की घोषणा नहीं की है।
बढ़ते दबाव का सामना करते हुए इमरान खान ने बुधवार को स्वीकार किया कि इस समय उनसे संपर्क करने वालों की संख्या ना के बराबर है। उन्होंने पार्टी छोड़ रहे नेताओं से सशर्त वापसी का आहवान भी किया।
हालांकि वापसी वाली बात पर कुछ साफ़ नहीं है। लेकिन इससे पहले तहरीक़े इंसाफ के जलील शरकपुरी ने सुझाव दिया था कि इमरान खान को पार्टी चौधरी परवेज इलाही, असद उमर या शाह महमूद कुरैशी को सौंप देनी चाहिए।
हालांकि विश्लेषकों के अनुसार, इमरान खान की जगह किसी और को पार्टी की कमान सौंपने की संभावना तब तक कम है जब तक कि कानूनी कठिनाइयाँ या मुकदमें उनके लिए राजनीति के दरवाजे बंद नहीं कर देते।
ऐसे में यह सवाल अहम है इमरान खान के बिना कौन से नेता पीटीआई का नेतृत्व कर सकते हैं और क्या पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए यह स्थिति स्वीकार्य हो सकती है?
इन सवालों के जवाब तलाशने से पहले इमरान खान के राष्ट्र के नाम संबोधन के उस हिस्से को समझना जरूरी है जिसमें उन्होंने पीछे हटने का संकेत दिया था।
इमरान खान ने क्या कहा
इमरान खान ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि जो लोग इमरान खान को दूर रखने के फ़ैसले ले रहे हैं, क्या उन्हें नहीं दिख रहा कि पाकिस्तान डूब रहा है? क्या वे नहीं देख सकते कि उनके पास कोई रोडमैप नहीं है।
उन्होंने कहा कि "मैं आज एक समिति बनाने के लिए तैयार हूं, ये बातचीत करने वाली समिति होगी और जो सत्ता चला रहे हैं उनसे बात करेगी।'
इमरान खान ने कहा कि 'मैं इस कमेटी का गठन करता हूं। मैं दो बातें कहता हूं- अगर यह कमेटी बैठ जाए और कहे कि इमरान खान के बिना पाकिस्तान बेहतर होगा और मेरे पास कोई रोडमैप नहीं है तो मैं फिर कहता हूं कि मैं खुद ये छोड़ दूंगा।"
उन्होंने कहा, "या फिर वो इस कमेटी को बताएं कि अक्टूबर में चुनाव कराने से पाकिस्तान को क्या फायदा होगा? हम समझते हैं कि वे सोचते हैं कि अक्टूबर तक तहरीक-ए-इंसाफ को कुचल देंगे, लेकिन पाकिस्तान को इससे क्या फायदा? हम अक्टूबर तक का इंतजार क्यों कर रहे हैं?"
इसी संबोधन में इमरान खान ने यह भी दावा किया कि इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि कोई पार्टी छोड़ रहा है और वह जिसे टिकट देंगे वही चुनाव जीतेगा। शुक्रवार को इमरान खान ने यह भी ऐलान किया कि उनका देश छोड़ने का इरादा नहीं है।
इमरान खान के दावे अपनी जगह हैं लेकिन इमरान खान के बाद पार्टी की सबसे महत्वपूर्ण शख्सियतों में से एक शाह महमूद कुरैशी अभी भी हिरासत में हैं और हाल ही में उन्होंने कहा कि वह पार्टी नहीं छोड़ रहे हैं।
चौधरी परवेज इलाही की तरफ़ से भी कुछ ऐसा ही बयान सामने आया है, हालांकि चौधरी परवेज इलाही को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है और इसी बयान में उन्होंने सेना के साथ बेहतर संबंध बनाए रखने की उम्मीद भी जताई थी।
पीटीआई के एक अन्य नेता और ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के पूर्व मुख्यमंत्री परवेज खट्टक भी मौजूदा हालात में सार्वजनिक दृश्य से नदारद हैं।
क्या बिना इमरान पीटीआई चल पाएगी
पत्रकार सोहेल वड़ैच ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि "पीटीआई में एक ही शख़्स है जो इमरान खान की जगह ले सकता है और वो हैं शाह महमूद कुरैशी"
हालांकि उन्होंने कहा कि पीटीआई में इमरान खान के बिना 'माइनस वन फॉर्मूला' सफल नहीं होगा क्योंकि यह फॉर्मूला पहले कभी सफल नहीं हुआ।
एक अन्य सवाल के जवाब में सोहेल वड़ैच ने कहा कि "चौधरी परवेज इलाही सत्ता पक्ष के नेता हैं लेकिन उनका पार्टी में आगमन ज्यादा पुराना नहीं है और पार्टी कार्यकर्ताओं से उनका कोई संबंध नहीं है।"
सोहेल वड़ैच ने कहते हैं कि "इमरान खान का यह कहना सही है कि पार्टी से किसी के जाने से उनकी लोकप्रियता और वोट बैंक पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन जनता द्वारा चुने गए लोगों के जाने से फर्क पड़ेगा।"
"जनप्रतिनिधियों के पास अपना वोट बैंक होता है और पार्टी के पास अपना वोट होता है।"
सोहेल वड़ैच ने कहा कि ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह की तुलना में पंजाब के लिए चुने गए लोगों के जाने से पीटीआई को ज़्यादा नुकसान होगा।