भारतीय महिला क्रिकेट ने पिछले कुछ सालों में बेहतरीन प्रदर्शन करके वो मुकाम हासिल कर लिया है जहां विश्व कप जैसे टूर्नामेंट में सिर्फ नॉक-आउट स्टेज तक पहुंचना ही इनके लिए काफ़ी नहीं है बल्कि इस टीम से अब ट्रॉफ़ी जीतने की उम्मीद की जाने लगी है।
दक्षिण अफ्रीका में शुक्रवार से शुरू हुए महिला टी20 विश्व कप में हरमनप्रीत कौर के नेतृत्व में भारतीय टीम से भी ट्रॉफ़ी जीतने की उम्मीद की जा रही है। जहां इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया इस ट्रॉफ़ी की बड़े दावेदारों में से हैं वहीं, इस रेस में भारतीय महिला टीम भी मौजूद है।
अगर भारत को कम से कम फ़ाइनल तक का सफ़र ज़रूर तय करना है तो इन पांच खिलाड़ियों का प्रदर्शन बेहद अहम रहेगा।
महिला टी-20 वर्ल्ड कप 10 फरवरी से 26 फरवरी तक खेला जाना है।
इसका पहला मैच 10 फरवरी को श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका मैच के बीच हुआ। दूसरा वेस्ट इंडीज़ और इंग्लैंड के बीच और तीसरा ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बीच हुआ।
इस टूर्नामेंट में चौथा और पांचवा मैच 12 फरवरी खेला जाना है। एक मैच में भारत और पाकिस्तान की टीमें आमने-सामने होंगी तो दूसरे में बांग्लादेश और श्रीलंका की टीमों के बीच मुक़ाबला होगा।
टूर्नामेंट का फ़ाइनल 26 तारीख़ को केपटाउन में खेला जाना है।
हरमनप्रीत कौर
पिछले लगभग एक दशक से जब भी भारतीय टीम ने किसी मुश्किल घड़ी का सामना किया है तो उनकी निगाह जिस खिलाड़ी की तरफ उठी हैं वो हैं कप्तान हरमनप्रीत कौर। बतौर ऑलराउंडर हरमनप्रीत बैट और बॉल दोनों से मैच जिताने की काबिलियत रखती हैं।
दाएं हाथ की सधी बल्लेबाज़ और ऑफ़ ब्रेक बॉलर हरमनप्रीत की गिनती दुनिया के बेस्ट ऑलराउंडर्स में होती है। बल्लेबाज़ी में ऑनसाइड उनका फ़ेवरिट साइड है जहां 5 या 6 फ़ील्डर्स होने के बावजूद वो गैप्स निकाल लेती हैं।
उन्होंने बल्ले से अनेक मैच विनिंग पारियां खेली हैं, जिसमें 2017 के वनडे विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ उनकी नाबाद 171 रन की पारी को भुलाया नहीं जा सकता है। उस पारी में भारतीय टीम कुछ रनों पर ही दो विकेट खो बैठी थी जब हरमन ने आकर मैच का पासा पलट दिया। उन्होंने सिर्फ़ 115 गेंदों पर 171 रन बनाए थे जिसमें 20 चौके और 7 छक्के शामिल थे।
अंतरराष्ट्रीय टी20 की बात करें तो उन्होंने अब तक 146 मैचों में 28.26 की औसत से 2940 रन बनाए हैं जिसमें 1 शतक और 9 अर्धशतक शामिल हैं। साथ ही उन्होंने 6।27 की इकॉनमी से 32 अहम विकेट भी लिए हैं।
इस टूर्नामेंट में हरमनप्रीत की ज़रूरत एक खिलाड़ी के साथ-साथ कप्तान के तौर पर भी बेहद अहम होगी क्योंकि वे कई युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा की स्रोत हैं और टीम के मनोबल को हर वक़्त ऊंचा रखने में वे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
स्मृति मंधाना
भारत के पुरुषों की क्रिकेट टीम में 18 नंबर की जर्सी विराट कोहली के नाम है तो वहीं महिला क्रिकेट में 18 नंबर की जर्सी पहनने वाली खिलाड़ी हैं बाएं हाथ की बल्लेबाज़ स्मृति मंधाना। उन्हें इस विश्व कप में भारतीय टीम का उप-कप्तान बनाया गया है।
26 साल की स्मृति मंधाना की पहचान एक आक्रामक लेकिन स्टाइलिश बल्लेबाज़ के रूप में होती है। मंधाना इस टीम में हरमनप्रीत कौर के बाद सबसे अनुभवी बल्लेबाज़ है।
अंतरराष्ट्रीय टी20 क्रिकेट में उन्होंने 112 मैचों में 27.32 की औसत से 2651 रन बनाए हैं जिसमें 20 अर्धशतक शामिल हैं। हालांकि, उनका स्ट्राइक रेट 123 का है लेकिन उन्होंने इस फॉर्मेट में अब तक कोई भी शतक नहीं लगाया है।
उंगली में चोट के कारण टी20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ स्मृति मंधाना नहीं खेलेंगी। हालांकि वेस्ट इंडीज़ के साथ 15 फ़रवरी को होने वाले भारतीय टीम के दूसरे मुक़ाबले में उनके पिच पर उतरने की पूरी संभावना है। इस रिकॉर्ड को वो दक्षिण अफ्ऱीका में ज़रूर बदलना चाहेंगी।
मंधाना की बल्लेबाज़ी की खासियत है कि वो तेज़ी से रन बनाती हैं, विकेट के चारों ओर शॉट्स लगाती हैं और लंबी पारी खेलने की काबिलियत भी रखती हैं।
वे स्थिति को देखकर तेज़ खेल सकती हैं या फिर विकेट पर टिककर भी रह सकती हैं। विश्व कप में भारतीय संभावनाओं को बनाए रखने में मंधाना की भूमिका अहम हो सकती है।
शेफ़ाली वर्मा
जहां मंधाना के पास विराट कोहली का जर्सी नंबर है, वहीं शेफ़ाली वर्मा के पास है सचिन तेंदुलकर का एक रिकॉर्ड तोड़ने का तमग़ा।
अक्तूबर 2013 में सचिन तेंदुलकर रोहतक में अपना आख़िरी रणजी मैच खेल रहे थे। उस मैच को देखने अपने पिता के साथ एक आठ साल की लड़की भी आई। वो सचिन तेंदुलकर के खेल से इतनी प्रभावित हुई कि उन्होंने क्रिकेटर बनने का ही फ़ैसला ले लिया।
कड़ी मेहनत और लगन के साथ वे सिर्फ़ 15 साल में भारत के लिए खेलने लगीं और इसी साल सचिन के 30 साल के रिकॉर्ड को भी तोड़ डाला। उन्होंने सिर्फ़ 15 साल में अंतरराष्ट्रीय मैचों में अर्धशतक लगाकर तेंदुलकर को इस रिकॉर्ड में पीछे छोड़ दिया।
शेफ़ाली वर्मा तेज़ी के साथ सफलता की सीढ़ी चढ़ती जा रही हैं, वो आक्रामक बल्लेबाज़ हैं और टी20 की आईसीसी रैंकिंग में भी वो टॉप 5 बल्लेबाज़ों में शामिल हैं।
हाल ही में ख़त्म हुए अंडर19 वर्ल्ड कप में भारत को ख़िताब जिताने में कप्तान शेफ़ाली वर्मा ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई।
भारत के लिए अच्छी ख़बर ये भी है कि शेफ़ाली ने अंडर-19 दक्षिण अफ्ऱीका में ही खेला है इसलिए वो वहां की स्थितियों के लिए पहले से तैयार है।
शेफ़ाली का कहना है कि वो अंडर-19 की ट्रॉफ़ी से ही संतुष्ट नहीं हैं और दक्षिण अफ्ऱीका में हो रहा सीनियर टी20 विश्व कप भी वो भारत के नाम करना चाहेंगी।
ऋचा घोष
शेफ़ाली वर्मा की तरह ही एक और खिलाड़ी अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने के बाद दक्षिण अफ्ऱीका में रूकी रहीं और भारतीय सीनियर टीम का हिस्सा बन गईं।
वैसे तो भारतीय सीनियर टीम में याशिका भाटिया के रूप में विकेटकीपर बल्लेबाज़ मौजूद हैं लेकिन चयनकर्ताओं ने ऋचा घोष को भी अतिरिक्त कीपर-बल्लेबाज़ के रूप में चुना है और संभावना है कि घोष ही अंतिम 11 में कीपर के रूप में पहली पसंद हों। इसकी वजह है उनकी आक्रामक बल्लेबाज़ी और दबाव में भी तेज़ी से रन बनाकर मैच जिताने की क्षमता।
ऋचा घोष महेंद्र सिंह धोनी को अपना पसंदीदा क्रिकेटर मानती हैं और उन्हीं की तरह फ़िनिशर की भूमिका में सफ़ल होना चाहती हैं। वो पावरफुल शॉट्स लगाने में माहिर हैं और बल्लेबाज़ी के साथ अपने मेंटल गेम पर भी ज़्यादा ध्यान देती हैं ताकि मुश्किल वक़्त में भी वो शांत दिमाग के साथ खेल सकें।
उनकी इसी काबिलियत की वजह से वो कम उम्र में ही टीम की अहम सदस्य बन सकी हैं। उन्होंने अपने खेल से दिखाया है कि जब कम गेंदों पर तेज़ी से रन बनाने का लक्ष्य होता है तो वो उसे पूरा करने का दम रखती हैं।
ऋचा ने अब तक 30 टी20 मैच खेले हैं जिनमें उन्होंने कुल 427 रन बनाए हैं। उनका स्ट्राइक रेट 134 का है जो इस भारतीय टीम में काफ़ी ऊंचा है।
दीप्ति शर्मा
दीप्ति शर्मा टीम की एक और सीनियर खिलाड़ी हैं जिन पर भारतीय फैंस की नज़रें टिकीं होंगी। वैसे तो दीप्ति ऑलराउंडर हैं लेकिन टीम में उनकी भूमिका बतौर गेंदबाज़ प्रमुख है।
दाएं हाथ की ऑफ़ ब्रेक बॉलर दीप्ति शर्मा ने अब तक 87 टी20 मैचों में 19.30 की औसत से 96 विकेट लिए हैं। वो किफ़ायती गेंदबाज़ी के लिए जानी जाती हैं और टी20 के फटाफट क्रिकेट में भी उनकी इकॉनमी 6.08 है जिसे काफ़ी अच्छा माना जाएगा।
दक्षिण अफ्ऱीका के इस दौरे पर भारतीय टीम की तेज़ गेंदबाज़ी उसकी कमज़ोरी है। ऐसे में स्पिनर्स पर बड़ी ज़िम्मेदारी आ जाती है और अनुभवी दीप्ति शर्मा को इस मामले में मुख्य भूमिका निभानी होगी।
ज़रूरत पड़ने पर वो शानदार बैटिंग भी कर सकती हैं जैसा कि उन्होंने 2017 में एक वनडे मैच में पूनम राउत के साथ 300 रनों की साझेदारी की रिकॉर्ड के साथ करके दिखाया था।
उस पारी में उन्होंने 160 गेंद पर 188 रन बनाए थे। अंतरराष्ट्रीय टी20 में उन्होंने कुछ अहम पारियां खेली हैं और 87 मैचों में 914 रन बनाए हैं जिसमें 2 अर्धशतक शामिल हैं। भारतीय टीम इस विश्व कप में दीप्ति शर्मा के अनुभव का फायदा उठाना चाहेगी।
इस विश्व कप में भारतीय टीम के ग्रुप में पाकिस्तान, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज़ और आयरलैंड शामिल हैं। भारत का पहला मैच रविवार को पाकिस्तान के ख़िलाफ़ खेला जाएगा।