ब्यूटी टिप्स : एंटी-एजिंग और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट

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जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ी, हम खुद अपने और प्रकृति दोनों को लेकर संवेदनशील होने लगे हैं। हम यह जानने लगे हैं कि प्रकृति के बिना हम कुछ भी नहीं हैं। हमारे कर्म के हर हिस्से में प्रकृति का तार गहरे तक बुना हुआ है। हम क्या पहनते हैं, खाते या पीते हैं और हम अपनी त्वचा पर क्या लगाते हैं, यह सब प्रकृति-प्रदत्त ही होता है। यदि आप कुछ ऐसी चीजों का प्रयोग कर रहे हैं, जो प्राकृतिक और ऑर्गेनिक हैं तो ये पर्यावरण और खुद आपके लिए भी फायदेमंद हैं।

जिस तरह इन दिनों स्वास्थ्य और सौंदर्य के क्षेत्र में हर्बल और ऑर्गेनिक उत्पादों के प्रति रुझान बढ़ रहा है, उसी तरह एंटी-एजिंग के लिए भी प्राकृतिक और ऑर्गेनिक उत्पाद की मांग बढ़ रही है। यह न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया की कहानी है। एक सौंदर्य उत्पाद कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रताप कुमार कहते हैं कि 'भारतीय सौंदर्य बाजार लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसके बाजार में 10 से15 प्रतिशत के विस्तार की उम्मीद की जा रही है।

इसके साथ सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब लोग जड़ी-बूटियों और उनसे बने प्रॉडक्ट्स पर विश्वास कर रहे हैं। यह माना जा रहा है कि इस तरह के उत्पाद असरकारी हैं। खासतौर पर एंटी-एजिंग प्रॉडक्ट। उनकी कंपनी ने इसके लिए नई पीढ़ी के उत्पाद लांच किए हैं। वे कहते हैं कि भारत का बाजार हमारे लिए बहुत आकर्षक है, क्योंकि यहां नेचुरल प्रॉडक्ट्स की मांग अच्छी है। खासतौर पर एंटी-एजिंग सेगमेंट में तो खासा उछाल आने की संभावना नजर आती है।

आजकल इस तरह के उत्पादों के उपयोग के साथ ही साथ केमिकल उत्पादों के उपयोग को लेकर होने वाले नुकसान के प्रति लोगों में खासी जागरूकता नजर आती है। जाने-माने कॉस्मेटोलॉजिस्ट डॉ. वरुण रोशन कहते हैं कि 'जैसे ही उम्र बढ़ती है, वैसे ही त्वचा अपनी चमक और लुनाई खोने लगती है। झुर्रियां नजर आने लगती हैं। प्राकृतिक उत्पाद त्वचा के प्राकृतिक तत्वों का क्षरण रोकते हैं और उसे चमकदार और लचीला बनाते हैं।'

इसमें मुख्य घटक हायल्यूरोनिक एसिड होता है, जो शरीर में स्वाभाविक तौर पर पाए जाने वाले बायोडिग्रेडेबल कॉम्प्लेक्स शुगर कंपाउंड है। नर्म जेल त्वचा में आसानी से उतर जाता है और एक साफ, चमकदार, स्वाभाविक त्वचा नजर आती है। ये त्वचाओं के संतुलन को बनाए रखती है, जिससे त्वचा मासूम और युवा नजर आती है।

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डर्मल फिलर एस्थेटिक क्लीनिकों में 30 के दशक के बीच और 40 की उम्र के पुरुष और महिलाओं के चेहरे पर उम्र के साथ दिखाई देने वाली झुर्रियों को ठीक करने में उपयोग में लाए जाते हैं। बाजार में इस तरह के उत्पादों के प्रति अच्छा रुझान है, क्योंकि एक तो हर्बल और ऑर्गेनिक उत्पादों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है, दूसरे इनके साइड इफेक्ट सबसे कम होते हैं।

हकीकत में एंटी-एजिंग एक तरह के आंदोलन का रूप लेने लगा है, जहां दवाइयों का विचार स्वस्थ और सुंदर रहने के लिए समस्याओं को रोकने से आगे, उसके जन्म लेने को रोकने तक पहुंच गया है। जब ये आपके बाहरी और आंतरिक स्वास्थ्य और कायाकल्प से जुड़ा हुआ हो तो फिर लोग प्राकृतिक उत्पाद पसंद करने लगे हैं, क्योंकि वे अनावश्यक जटिलताओं से बचना चाहते हैं।

डॉ. असीम कुमार कहते हैं कि हाँ, इस तरह की प्रवृत्ति की वजह से लोग प्राकृतिक चीजों की तरफ लौटने लगे हैं। शिक्षा और जागरूकता ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है। एंटी-एजिंग प्रॉडक्ट मानव शरीर की संरचना के बहुत करीब होते हैं, इसलिए इनके साइड इफेक्ट होने की आशंका बहुत ही कम होती है। इसीलिए प्रोफेशनल भी इन्हीं उपायों को अपनाने की सलाह देते हैं। हकीकत में तो ये बिलकुल वैसे ही हैं, जैसे आपके हार्मोन।

डॉ. कुमार कहते हैं कि अंगूर के बीज का सत्व, पाइनापल एक्स्ट्रेक्ट, नीम, हल्दी, हिना और आंवला ऐसे लोकप्रिय उत्पाद हैं, जिनका उपयोग एंटी-एजिंग के लिए किया जा रहा है और इसका असर भी नजर आता है। तो फिर जो चीजें आपके आसपास, आपकी पहुंच में हैं, क्यों न उन्हीं का उपयोग करें और खुद खूबसूरत रहें और पर्यावरण को भी खूबसूरत रखें।

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