भोजपुर में राजग-महागठबंधन में रोचक मुकाबला

रविवार, 25 अक्टूबर 2015 (22:36 IST)
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में भोजपुर जिले की सात विधानसभा सीटों में अधिकतर पर महागठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है लेकिन कुछ सीटों पर अन्य दलों के अलावा निर्दलीय उम्मीदवार दोनों गठबंधनों का खेल बिगाड़ सकते हैं।
 
भोजपुर जिले में सभी सात विधानसभा क्षेत्र संदेश, बड़हरा, आरा, अगिआंव, तरारी, जगदीशपुर और शाहपुर में तीसरे चरण में 28 अक्टूबर को मतदान होना है। वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जनता दल यूनाइटेड (जदयू ) के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था जबकि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। 
 
गत चुनाव में भाजपा ने चार सीट संदेश, अगियांव, आरा और शाहपुर पर परचम लहराया था, जबकि भाजपा की सहयोगी जदयू ने तरारी सीट पर सफलता हासिल की थी। राजद ने जगदीशपुर और बड़हरा सीट पर अपना कब्जा जमाया था।
 
इस बार के चुनाव में भाजपा-लोजपा और जदयू-राजद के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है। भाजपा इस बार पांच सीटों पर, जबकि उसकी सहयोगी लोजपा और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) क्रमश: एक-एक सीट पर चुनाव लड़ रही है। वहीं महागठबंधन में शामिल राजद पांच और उसकी सहयोगी जदयू और कांग्रेस की ओर से एक-एक प्रत्याशी मैदान में हैं।
 
वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में संदेश सीट पर भाजपा को पहली बार जीत मिली थी। भाजपा के संजय टाइगर ने निर्दलीय प्रत्याशी अरुण कुमार को हराकर जीत दर्ज की थी़ इसके पहले इस क्षेत्र से राजद, माले, लोकदल, जनता दल और कांग्रेस के उम्मीदवार जीतते रहे हैं। भाजपा की ओर से संजय टाइगर इस बार भी चुनावी समर में उतरे हैं।  टाइगर की टक्कर इस बार राजद उम्मीदवार अरुण कुमार से ही है।
 
मिनी चितौड़गढ़ के नाम से मशहूर बड़हरा सीट पर गत चुनाव में राजद के राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने जदयू उम्मीदवार आशा देवी को पराजित किया था। आशा देवी इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, वही जदयू के टिकट से वंचित सिंह ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है।
 
राजद ने इस बार सरोज यादव पर अपना भरोसा जताया है जो पहली बार चुनावी समर में उतरे हैं। इस सीट पर महागठबंधन और राजग के बीच दिलचस्प मुकाबला होने के आसार हैं। महागठबंधन के समक्ष जदयू और राजद की दोस्ती को जमीन पर उतारना और उसे वोट में तब्दील करना बड़ी चुनौती है।
 
आरा विधानसभा सीट पर पिछले तीन बार से भाजपा का कब्जा रहा है। भाजपा विधायक अमरेंद्र प्रताप सिंह वर्ष 2000 से आरा का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं। वर्ष 2000 के पूर्व इस सीट से राजद, जनता दल तथा कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। 
 
इस बार के चुनाव में भाजपा के टिकट पर सिंह चुनावी मैदान में फिर से सेहरा बांधकर उतरे हैं, वहीं राजद की ओर से मोहम्मद नवाज आलम चुनावी समर में ताल ठोंक रहे हैं।
 
शाहपुर विधानसभा क्षेत्र ब्राह्मण बहुल क्षेत्र माना जाता है, इसलिए राजनीतिक दल यहां के सामाजिक आधार को देखते हुए अपना-अपना प्रत्याशी तय करते रहे हैं, हालांकि कई बार स्थितियां बदली भी हैं।
 
शाहपुर सीट से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे ने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की थी। इस विधानसभा क्षेत्र में शुरू से ही ब्राह्मण जाति के प्रत्याशियों को जीत मिली है, लेकिन वर्ष 1990 और 1995 में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व धर्मपाल सिंह ने किया था। इस सीट से पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी भी विधायक रह चुके हैं, वहीं वर्तमान भाजपा विधायक मुन्नी देवी को टिकट नही मिला है। 
 
भाजपा की ओर से मुन्नी देवी के जेठ विश्वेश्वर ओझा चुनावी समर में उतरे हैं। राजद की ओर से  तिवारी के पुत्र राहुल तिवारी चुनावी मैदान में उतरे हैं। राहुल तिवारी पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं।
 
हालांकि शिवानंद तिवारी सक्रिय राजनीति से अलग हो गए हैं और उन्होंने यहां अपने पुत्र के लिए चुनावी प्रचार नहीं किया है। चुनाव में यह देखना भी दिलचस्प होगा कि गैर ब्राह्मण वोटों की एकजुटता किस हद तक हो पाती है।
 
जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र की जब हम चर्चा करते हैं, तो इसके केंद्रबिंदु रहे 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा बाबू वीर कुंवर सिंह से जुड़ी स्मृतियां बरबस अपनी ओर आकर्षित कर लेती हैं। वर्तमान में यहां के विधायक दिनेश कुमार सिंह हैं। सिंह ने गत चुनाव में पूर्व मंत्री और जदयू प्रत्याशी भगवान सिंह कुशवाहा को हराया था। 
 
हालांकि इस बार सिंह को राजद का टिकट नहीं मिला है और वे निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा की सहयोगी रालोसपा और जदयू की सहयोगी राजद ने नए चेहरों पर अपना भरोसा जताया है। रालोसपा के टिकट पर राकेश रोशन और जदयू के टिकट पर रामविशुन सिंह चुनावी मैदान में उतरे हैं।
 
तरारी क्षेत्र के वर्तमान जदयू विधायक नरेंद्र कुमार पांडेय उर्फ सुनील पांडेय पिछले तीन बार से जीतते आ रहे हैं। वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में  पांडेय ने राजद प्रत्याशी आदिब रिजवी को पराजित किया था। सुनील पांडेय आरा कोर्ट बम बलास्ट प्रकरण में नाम आ जाने से जदयू से निलंबित कर दिए गए हैं।
 
पांडेय की पत्नी गीता पांडेय इस चुनाव में लोजपा का दामन थामकर चुनावी समर में उतर गई है। वहीं महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह को उम्मीदवार बनाया है।
 
अगिआंव विधानसभा क्षेत्र से गत चुनाव में पूर्व केन्द्रीय मंत्री मुनि लाल के पुत्र भाजपा प्रत्याशी शिवेश कुमार चुने गए। उन्होंने राजद प्रत्याशी सुरेश पासवान को हराया था। इस चुनाव में कुमार फिर से भाजपा के टिकट पर चुनावी समर में उतरे हैं, वहीं जदयू की ओर से प्रभुनाथ प्रसाद पहली बार चुनावी समर में ताल ठोंक रहे हैं। (वार्ता) 

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