चुनावी सभाओं में लालू यादव की भारी मांग

पटना। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले में सजायाफ्ता होने की वजह से भले खुद चुनाव लड़ने की पात्रता खो चुके हों, लेकिन चुनाव मैदान में उनका जलवा अभी भी बरकरार है। वे इन दिनों बिहार विधानसभा चुनाव में अपने महागठबंधन के उम्मीदवारों के समर्थन में धुआंधार प्रचार में जुटे हुए हैं। उनके विरोधी और राजनीतिक समीक्षक उनके बारे में चाहे जो कहें लेकिन भोजपुरी मुहावरों से युक्त अपनी अनोखी राजनीतिक संवाद शैली के लिए हमेशा सुर्खियों में रहने वाला यह नेता की बिहार की जनता के एक बड़े तबके के बीच अभी भी हीरो बना हुआ है। 
 
चुनाव प्रचार के दौरान अपनी सभाओं में जिस तल्ख अंदाज में अपने विरोधियों खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले कर रहे हैं उसकी वजह से न सिर्फ उनकी अपनी पार्टी के बल्कि महागठबंधन की साझीदार जनता दल (यू) और कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच भी उनकी मांग अचानक बढ़ गई है। इस सिलसिले में दोनों सहयोगी दलों के उम्मीदवार राजद के कार्यालय मे अर्जी दे रहे हैं, जिन्हें बाकायदा लालू यादव के पास पहुंचाया जा रहा है ताकि संबंधित क्षेत्रों में सभाएं आयोजित की जा सके।
 
लालू यादव की सभाओं का कार्यक्रम देख रहे राजद महासचिव चितरंजन गगन बताते हैं कि महागठबंधन की तीनों पार्टियों से रोजाना उम्मीदवारों के अनुरोध पत्र आ रहे हैं। सभी उम्मीदवारों का कहना है कि लालू जी कुछ बोले चाहे ना बोले, बस उनके चुनाव क्षेत्र में सभा स्थल पर हेलीकॉप्टर से उतरकर हाथ हिला दे, इतना ही काफी है।
 
जद (यू) और राजद नेताओं के मुताबिक जैसे-जैसे चुनाव बढ़ रहा है, उम्मीदवारों के बीच लालू जी का क्रेज भी बढ़ता जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार हरिमोहन मिश्र बताते हैं कि लालू अपनी सभाओं के दौरान आंकड़ेबाजी ज्यादा उलझने के बजाय लोगों से सीधे संवाद करते हैं। इसलिए वे सबसे बड़े कम्युनिकेटर हैं।
 
लालू यादव की दिनचर्या इन दिनों बेहद व्यस्त है। वे प्रतिदिन सात से आठ सभाएं कर रहे हैं। सुबह छह बजे वे बिस्तर छोड़ देते हैं। एक घंटे तक अपने घर के लॉन में टहलते हैं। फिर अखबारों पर निगाह डालते हैं। सुबह नौ बजे तक तैयार हो जाते हैं और नाश्ता करते हुए दिनभर के कार्यक्रम पर निगाह डालते हैं। नाश्ते में सत्तू और कुछ फल लेते हैं। लगभग साढ़े नौ बजे वे चुनाव प्रचार के लिए निकल पड़ते हैं।
 
लालू की पहली सभा सुबह साढ़े दस बजे होती है और शाम साढ़े चार बजे के आसपास आख़िरी सभा। हर सभा औसतन 20 से 25 मिनट की होती है। सभाओं का दौर समाप्त करने के बाद शाम को घर लौटकर वे जिन क्षेत्रों में अगले दिन सभा करनी होती हैं, वहां के बारे में फीडबैक लेते हैं। इसके बाद जरूरी हुआ तो फोन पर नीतीश कुमार और शरद यादव से फोन पर बात कर लेते हैं। 
 
दिलचस्प है कि जहां चुनाव प्रचार में लगे लगभग सभी बड़े नेता तकनीकी तौर पर अपडेट रहते हैं, वहीं लालू यादव अपने पास मोबाइल फोन भी नहीं रखते। लेकिन वे रोजाना औसतन चार ट्‌वीट करते हैं। उनकी पार्टी के वार रूम के प्रभारी संजय यादव के मुताबिक लालू जी के पास अपना फोन नहीं है। किसी भी विरोधी नेता के बयान के बारे में उनको तुरंत जानकारी दे दी जाती है जिस पर वे बता देते हैं कि क्या प्रतिक्रिया देनी है। 

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