सीएम पद के दावेदारों ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किलें

अनिल जैन

गुरुवार, 22 अक्टूबर 2015 (11:08 IST)
पटना।  बिहार में भाजपा नीत राजग यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का कोई उम्मीदवार न होना उसके लिए सबसे बड़ी परेशानी का सबब बन गया है। यह हालत तब है, जब भाजपा और उसके  सभी सहयोगी दलों के नेता खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बता रहे हैं। विधानसभा चुनाव के अभी तक हुए दो चरणों के मतदान में जिस तरह का वोटिंग पैटर्न रहा है, उससे साफ दिख रहा है कि राजग का नेतृत्व अपने अंदरूनी समीकरणों को ठीक से सुलझा नहीं पाया है।

भाजपा नेतृत्व को अपने विभिन्न सूत्रों से जो जमीनी रिपोर्ट मिल रही है उसमें भी यही बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित न करने से राजग को नुकसान हो सकता है।

महागठबंधन की ओर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उसका चेहरा है, जिनकी काट राजग अभी तक खोज नही पाया है। लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन के बाद माना जा रहा था कि जनता दल यू का यह कदम उसके और नीतीश कुमार के लिए भारी पड़ सकता है, लेकिन अभी तक के सभी समीकरण महागठबंधन के पक्ष में जा रहे हैं।

राजग की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित न किए जाने को महागठबंधन ने एक बड़ा मुद्दा बना लिया है। लालू प्रसाद यादव जब अपनी सभाओं में कहते हैं कि राजग तो बिना दूल्हे की बारात है तो उनकी यह बात सभा में मौजूद लोगों को अपील करती है। यही मुद्दा नीतीश कुमार भी अपनी सभाओं में उठा रहे हैं।

अगर राजग के अंदरूनी समीकरणों की बात करें तो भाजपा भले ही कह रही हो कि बिहार का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा जा रहा है लेकिन गठबंधन के अंदर ही मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर भारी खींचतान मची हुई है।
भाजपा के तीनों सहयोगी दलों में लोक जनशक्ति पार्टी लोजपा, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी रालोसपा के नेता भी खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मानते हैं। हालांकि लोजपा नेता रामविलास पासवान और रालोसपा नेता उपेंद्र कुमार कुशवाहा ने सार्वजनिक तौर पर कभी अपनी दावेदारी नहीं जताई है लेकिन हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतनराम मांझी तो खुलेआम कई बार अपने को बिहार का सबसे लोकप्रिय नेता बता चुके हैं।

गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के भीतर भी करीब आधा दर्जन नेता हैं जो मुख्यमंत्री बनने की हसरत पाले हुए हैं। ऐसे नेताओं में पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, गया से चुनाव लड़ रहे मौजूदा विधायक प्रेम कुमार, दिनारा से चुनाव लड़ रहे पूर्व संघ प्रचारक राजेंद्र सिंह और नोखा से चुनाव लड़ रहे रामेश्वर प्रसाद चौरसिया के अलावा तीन केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, राधामोहन सिंह प्रमुख और रामकृपाल यादव प्रमुख हैं। इनमें से चुनाव लड़ रहे नेता तो अपने समर्थकों के जरिए अपना मुख्यमंत्री पद के लिए अपना नाम प्रचारित भी करवा रहे हैं, जिससे लोगों में भाजपा और राजग के प्रति गलत संदेश जा रहा है।

राजग में इतने सारे दावेदार होने के बावजूद हकीकत यही है कि इनमें से कोई भी नाम कद और छवि के मामले में नीतीश कुमार के मुकाबले का नहीं है। यही वजह है कि उसने मुख्यमंत्री पद के लिए किसी को अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। उसकी यही रणनीति उसे अब चुनाव मैदान में भारी पड़ रही है।

वेबदुनिया पर पढ़ें