दरअसल, कामेश्वर चौपाल दलित समुदाय से आते हैं और राम मंदिर आंदोलन से भी जुड़े हुए हैं। ऐसे में पार्टी का मानना है कि कामेश्वर को आगे बढ़ाने से दलित वोटरों के साथ हिन्दू वोट भी भाजपा की ओर आकर्षित होंगे। रामविलास पासवान के निधन के बाद बिहार में एक दलित नेता की भी कमी खल रही है।