बिहार में चुनाव हो और बाहुबली नेताओं की बात न हो ऐसा नहीं हो सकता है। हर चुनाव की तरह एक बार फिर विधानसभा चुनाव में बाहुबली नेता अपना वर्चस्व और वजूद बनाए रखने के लिए सियासी चोला ओढ़ने की तैयारी कर रहे है। कोई खुद मैदान में है तो कोई अपने परिवार के सहारे अपना रसूख बनाए रखने की जद्दोजहद में लगा हुआ है।
‘वेबदुनिया’ लगातार पिछले तीन दशक से अधिक समय से बिहार की राजनीति में अपना दबदबा बनाए रखने वाले माफिया से ‘माननीय’ तक सफर तय करने बाहुबली नेताओं की कहानी अपने पाठकों के सामने रख रहा है। ऐसे में अब जब बिहार में वोटिंग शुरु होने जा रही है तब ‘वेबदुनिया’ अपने पाठकों को इन बाहुबली नेताओं की कहानी को रिकॉल कराने के लिए उनको नए अंदाज में पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। सियासत की दुनिया में अपना वर्चस्व बनाने की कोशिश में चुनावी रण में ताल ठोंक रहे बिहार के 5 बड़े बाहुबली नेताओं के अपराधी के साथ राजनीति की सीढ़ियां चढ़ने की पूरी कहानी एक नजर में...
बाहुबली पप्पू यादव- सबसे पहले बात ऐसे बाहुबली नेता की जो इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में विधायक बनने के साथ-साथ मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर भी चुनावी मैदान में आ डटा है। मधेपुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे बाहुबली नेता राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव खुद तो हत्या-अपहरण जैसे संगीन 31 केसों में आरोपी है और अब विधानसभा चुनाव में लोगों से अपराध मुक्त बिहार बनाने का वादा कर रहे है।
तीन दशक पहले 1990 में मधेपुरा के सिंहेश्वर विधानसभा सीट से चुनाव जीत कर अपनी सियासी पारी का आगाज करने वाले पप्पू यादव की गिनती बिहार के उस बाहुबली नेता के तौर पर होती है जिसने पिछले साल पटना में आई बाढ़ और फिर कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों की मदद कर अपने को रॉबिनहुड के तौर पर स्थापित करने की कोशिश की है।
जन अधिकार पार्टी (जाप) के संरक्षक बाहुबली पप्पू यादव ने चुनाव से ठीक पहले अन्य छोटे दलों के साथ मिलकर प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक अलायन्स बनाया और बाद में गठबंधन ने उन्होंने मुख्यमंत्री का चेहरे भी घोषित कर दिया।
बाहुबली अनंत सिंह- चुनावी रण में बाहुबल के सहारे सियासत का ‘अनंत’ सफर जारी रखने वाले अनंत सिंह एक बार मोकामा विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में है। राजनीति में आकर भी अपराध की ‘अनंत कथा’ लिखते जा रहे अनंत सिंह पर कुल 38 केस दर्ज है। अनंत सिंह जब पहली बार विधायक बने थे तबके चुनावी हलफनामे के मुताबिक उन पर केवल एक केस दर्ज था। मोकामा सीट से आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अनंत सिंह इस समय बेऊर जेल में बंद है।
ALSO READ: बिहार के बाहुबली: चुनाव दर चुनाव जीतते जा रहे 'माननीय' अनंत सिंह के अपराध की ‘अनंत' कथाएं मुन्ना शुक्ला- बिहार के वैशाली जिले के लालगंज विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनावी मैदान में आ डटे बाहुबली मुन्ना शुक्ला एक कलेक्टर और मंत्री की हत्या के आरोप में सलाखों के पीछे रह चुके है। माफिया से माननीय बनने तक का सफर पहली बार 2002 के विधानसभा चुनाव में पूरा करने वाले मुन्ना शुक्ला तीन बार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने जा चुके है।
इस बार भी मुन्ना शुक्ला लालगंज से जेडीयू के टिकट के प्रबल दावेदार थे लेकिन गठबंधन के फॉर्मूले में नीतीश बाबू ने लालगंज सीट भाजपा के खाते में डाल दी और मुन्ना शुक्ला का टिकट कट गया जिसके बाद वह निर्दलीय चुनावी मैदान में आ डटा है।
ALSO READ: बिहार का बाहुबली: कलेक्टर और मंत्री की हत्या के लिए सलाखों के पीछे रहे बाहुबली मुन्ना शुक्ला फिर चुनावी मैदान में आनंद मोहन सिंह- बिहार की राजनीति में बाहुबल को एक ब्रांड वैल्यू के रूप में स्थापित करने वाले आनंद मोहन सिंह अपने परिवार के सहारे अपना सियासी रसूख बचाने की कोशिश कर है। गोपालगंज कलेक्टर की हत्या के आरोप में करीब दो दशक से जेल की सलाखों पीछे रहने वाले आनंद मोहन सिंह की पत्नी और बेटा विधानसभा चुनाव में लालू की पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में है।
बाहुबली आनंद मोहन सिंह पत्नी लवली आनंद सहरसा विधानसभा सीट और उनके बेटे चेतन आनंद शिवहर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में है। इसे बिहार की राजनीति में बाहुबल की धमक और रसूख नहीं तो और क्या कहेंगे कि जो आनंद मोहन सिंह कभी लालू को सीधे चुनौती देता था उसकी पत्नी और बेटे आज उन्हीं की पार्टी के उम्मीदवार है।
बाहुबली शहाबुद्दीन–तीन दशक से अधिक समय से सीवान में अपनी सामानंतर सरकार चलाने वाले शहाबुद्दीन खुद तो चुनावी मैदान में नहीं लेकिन उसकी मर्जी के बगैर सीवान में आज भी पत्ता नहीं डोलता है। तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे शहाबुद्दीन को अपराध को लेकर भाजपा और नीतीश कुमार आरजेडी और और लोगों को आरजेडी के 15 साल के कथित जंगलराज की याद दिला रहे है।
1996 के लोकसभा चुनाव के दौरान बूथ कैप्चरिंग करने के आरोप में जब तत्कालीन एसपी एसके सिंघल ने शहाबुद्दीन को गिरफ्तार करने की कोशिश की तो उन पर शहाबुद्दीन ने गोलियां चला दी। इस मामले में शहाबुद्दीन को दस साल की सजा हो चुकी है। शहाबुद्दीन ने जिन एसके सिंघल पर गोली चलाई थी वह आज बिहार के डीजीपी है। जिस शहाबुद्दीन की मर्जी के बगैर सीवान में आज भी पत्ता नहीं डोलता है कैसी है उसके जीवन की पूरी कहानी पढ़े 'वेबदुनिया' की खास चुनावी खबर