Maharana pratap jayanti 2024: महाराणा प्रताप के बारे में 5 अनसुनी बातें

WD Feature Desk
शनिवार, 8 जून 2024 (10:00 IST)
maharana pratap
 
HIGHLIGHTS
 
• भारत के गौरव महाराणा प्रताप की जयंती। 
• कीका का जीवन परिचय।
• जानें महाराणा प्रताप के बारे में। 

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Maharana Pratap : आज भारत के गौरव महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जा रही है। प्रतिवर्ष विक्रमी संवत कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जाती है। अंग्रेजी तारीख के अनुसार राजस्थान के कुंभलगढ़ दुर्ग में 09 मई, 1540 ईस्वी में उनका जन्म हुआ था। बचपन में सभी महाराणा प्रताप को 'कीका' नाम से पुकारते थे।
 
आइए जानते हैं 5 खास बातें...
 
1. महाराणा प्रताप के पिता महाराणा उदयसिंह और माता जीवत कंवर या जयवंत कंवर थीं। वे राणा सांगा के पौत्र थे। राजपूताना राज्यों में मेवाड़ का अपना एक विशिष्ट स्थान है जिसमें वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने जन्म लिया है। इतिहास के गौरव महाराणा प्रताप उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे। उनके कुल देवता एकलिंग महादेव हैं। 
 
2. महाराणा के मेवाड़ की राजधानी उदयपुर थी। विक्रम संवत 1628 फाल्गुन शुक्ल 15 अर्थात् 1 मार्च 1576 को महाराणा प्रताप को मेवाड़ की गद्दी पर बैठाया गया था। महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक गोगुंदा में हुआ था। 
 
3. महाराणा प्रताप के पास 'चेतक' नामक घोड़ा था, जो उनको सबसे ज्यादा प्रिय था। उसे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ घोड़ों में से एक कहा जाता था। प्रताप मैदान में युद्ध के लिए 72 किलो का कवच पहन कर और 81 किलो का भाला अपने हाथ में रखते थे। जिसका कुल वजन 208 किलो होता था। 
 
4.  प्रताप के काल में भारत के दिल्ली में मुगल सम्राट अकबर का शासन था, जो सभी राजा-महाराजाओं को अपने अधीन कर मुगल साम्राज्य की स्थापना करना तथा  इस्लामिक परचम फहराकर पूरे हिन्दुस्तान को अपने कब्जे में करना चाहता था।लेकिन महाराणा प्रताप के होते हुए उसकी ये मंशा कभी पूरी नहीं हो पाई और प्रताप ने ने कभी अकबर की आधीनता स्वीकार की,‍ अतः कई वर्षों के लगातार प्रयास के बावजूद ने वह यह आस लिए ही दुनिया से चला गया। 
 
5. कई बार मुगलों ने महाराणा प्रताप को चुनौती दी लेकिन हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी। लेकिन युद्ध के दौरान उन्हें लगी चोटों की वजह से आखिरकार महाराणा प्रताप का निधन 19 जनवरी 1597 को चावंड में हुई। इतिहासकरों के अनुसार 30 वर्षों के संघर्ष और युद्ध के बाद भी अकबर महाराणा प्रताप को न तो बंदी बना सका और न ही झुका सका था। महाराणा ने अपने समस्त दुर्गों का शत्रु से पुन: उद्धार कर लिया। 
 
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