बैल की ताकत से बिजली!

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010 (17:23 IST)
राजीव सोनी
भाजपा अधिवेशन के लिए बसाई गई तंबुओं की बस्ती कुशाभाऊ ठाकरे नगर में आदर्श और आधुनिक गाँव की परिकल्पना भी सँजोई गई है। तंबुओं के बीच से गुजरती बैलगाड़ियाँ, बैलों की ताकत से बनती बिजली और बैटरी चलित वाहन यहाँ देशी और उन्नत तकनीक का अद्भुत सामंजस्य पेश कर रहे हैं। अधिवेशन स्थल की थीम ही गाँव आधारित रखी गई है।

दो एकड़ क्षेत्र में बसे इस अस्थाई आत्मनिर्भर गाँव में आधुनिक खेती-किसानी, डेयरी, उद्यानिकी, स्वास्थ्य, उन्नत कृषि उपकरण और यहाँ तक कि नक्षत्र पौधों की प्रदर्शनी भी नेताओं के लिए आकर्षण का केन्द्र बन गई है।

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के सूत्र वाक्य ग्राम विकास से राष्ट्र विकास को दर्शाते इस आदर्श और आधुनिक गाँव में जहाँ गोबर गैस और सोलर ऊर्जा के प्लांट रात में जगमग रोशनी बिखेर रहे हैं वहीं आदर्श गाँव की तस्वीर भी जीवंत कर रहे हैं। छोटे से गाँव में चौपाल, स्कूल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और ईगुमटी विशेष आकर्षण के केन्द्र बने हुए हैं।

गाँव की गौशाला के ठीक बाजू में निर्मित कच्चे घर में गोबर गैस के चूल्हे पर अदरक और मसाले के जायके वाली चाय उबाल रहे दिलीपसिंह पँवार चहक कर बताते हैं कि चार दिन की मेहनत से यह गाँव आबाद हुआ है। गाँव में छः बैलगाड़ी भी घूम रही है।

ठाकरे नगर के इस गाँव में बैल की ताकत से बिजली बनते देख कोई भी आश्चर्य कर सकता है लेकिन इंजीनियर विनोद पाराशर की इस तकनीक ने सभी नेताओं अचंभित कर रखा है। गाँव की चौपाल के मैदान के छोटे से घेरे में 10 फुट लंबी बल्ली के सहारे टरबाइन घुमा रहा बैल जब आधे घंटे तक अपनी धुरी पर चक्कर पूरे कर लेता है तो यह छोटी सी टरबाइन तेजी से घूमकर बड़ी बैटरी को इतना चार्ज कर देती है। जो कि 15 वॉट के 10 सीएफएल बल्बों को 7 घंटे तक जलाने जितनी ऊर्जा अपने में सँजो लेती है।

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