आमिर खान का खुलासा: 'सितारे ज़मीन पर' के 10 'खास' लोगों ने कैसे बदल दी पूरी फिल्म की टीम की सोच? आप भी रह जाएंगे हैरान

WD Entertainment Desk

बुधवार, 18 जून 2025 (06:45 IST)
आमिर खान, जो अपनी फिल्मों में परफेक्शन और गहरे संदेश के लिए जाने जाते हैं, एक बार फिर बच्चों पर केंद्रित फिल्म 'सितारे ज़मीन पर' लेकर आ रहे हैं। यह फिल्म सिर्फ एक कहानी नहीं है, बल्कि आमिर और उनकी पूरी टीम के लिए एक जीवन बदलने वाला अनुभव भी साबित हुई है। हाल ही में एक बातचीत के दौरान, आमिर ने खुलासा किया कि कैसे फिल्म में काम करने वाले 10 न्यूरोडायवर्जेंट लोगों ने सेट पर सभी के स्वभाव को बदल दिया।
 
सेट पर टकराव का अंत और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश
आमिर खान ने बताया कि उन्होंने अपनी जिंदगी में लगभग 40-45 फिल्मों में काम किया है और इतने ही साल उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में हो गए हैं। उनके अनुसार, फिल्म इंडस्ट्री में क्रिएटिव लोगों के बीच अक्सर टकराव होते हैं। निर्देशक, डीओपी, कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर, प्रोडक्शन डिज़ाइनर... सभी अपनी-अपनी सोच लेकर चलते हैं, और जब इतनी बड़ी टीम एक साथ काम करती है, तो विचारों का टकराव होना स्वाभाविक है। यहां तक कि कलाकारों के बीच भी "ईगो" के कारण अक्सर बहस होती रहती है।
 
हालांकि, 'सितारे ज़मीन पर' के सेट पर आमिर ने एक अनोखी बात नोटिस की। उन्होंने बताया, "फिल्म में शुरू से लेकर अंत तक ऐसा कोई टकराव नहीं हुआ।" उन्होंने यह बात तब महसूस की जब वे वडोदरा में फिल्म के आखिरी हिस्से की शूटिंग कर रहे थे। उन्होंने अपनी टीम के सदस्य प्रसन्ना से इस बारे में बात की, तो प्रसन्ना भी हैरान थे।
 
आमिर ने बताया कि ऐसा उन 10 न्यूरोडायवर्जेंट बच्चों की वजह से हुआ, जो फिल्म में काम कर रहे थे। उनके शब्दों में, "ये दस लोग जब भी सेट पर अंदर आते हैं, तब वे इतनी अच्छी ऊर्जा लेकर घुसते हैं। ये लोग सेट पर आते हैं, किसी को हग करते हैं, किसी को किस करते हैं और इन सब की अच्छाई हमारे शरीर में सम्मिलित हो जाती है। किसी की इच्छा नहीं होती है कि वह ऊंची आवाज़ में बात करे या ऐसा कोई गलत शब्द इस्तेमाल कर दे। ये सब लोग हंसते मुस्कुराते काम करते हैं और इतनी एक्साइटमेंट के साथ काम करते हैं कि काम करने वाले सारे ही लोग इनके रंग में रंग जाते हैं।" आमिर का कहना है कि यह सब बहुत स्वाभाविक रूप से होता है, और इन न्यूरोडायवर्जेंट लोगों ने न्यूरोटिपिकल लोगों (आम लोगों) के स्वभाव को ही बदल दिया है।

 
'तारे ज़मीन पर' से 'सितारे ज़मीन पर' का सफर: एक अलग नज़रिया
यह फिल्म 'तारे ज़मीन पर' का सीक्वल मानी जा सकती है, लेकिन आमिर खान ने स्पष्ट किया कि यह बिल्कुल अलग है। 'तारे ज़मीन पर' में ईशान नाम के बच्चे का सफर दिखाया गया था, जिसे एक समझदार शिक्षक (आमिर खान द्वारा निभाया गया किरदार) सही रास्ता दिखाता है। लेकिन 'सितारे ज़मीन पर' में कहानी बिल्कुल उलट है।
 
आमिर बताते हैं, "इस फिल्म में ये न्यूरोडायवर्जेंट लोग एक बिगड़ैल टीचर को अच्छा इंसान बनाते हैं।" उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि फिल्म के ट्रेलर में आपने डायलॉग सुना होगा, "आप कुछ तो बहुत अच्छे हैं लेकिन इंसान एक नंबर के सूअर हैं।" उनका रोल भी वैसा ही एक बिगड़ा हुआ टीचर का है, जिसे ये दस बच्चे अपनी अच्छाई और स्वभाव से बदल कर रख देते हैं।
 
शूटिंग में कोई देरी नहीं, बस सीखने का अनुभव
शूटिंग के दौरान न्यूरोडायवर्जेंट बच्चों की वजह से किसी तरह की देरी हुई या नहीं, इस सवाल पर आमिर ने पूरी तरह से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, "मैं लिखकर दे सकता हूं और कह सकता हूं कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ।" उनका दावा है कि इन बच्चों को एक शॉट देने में उतना ही समय लगा जितना न्यूरोटिपिकल लोगों को लगता है, और कभी-कभी तो शायद कम ही लगा। उन्होंने एक मजेदार किस्सा भी साझा किया, जब उनकी वजह से रीटेक हुआ तो सुनील (फिल्म में आशीष) नाम के बच्चे ने कहा, "कोई बात नहीं सर ऐसी छोटी-छोटी गलतियां बड़े-बड़े एक्टर से होती रहती हैं।"
 
निजी बदलाव और समानता का भावुक संदेश
आमिर खान ने यह भी बताया कि यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने न्यूरोडायवर्जेंट बच्चों के साथ काम किया है। 'तारे ज़मीन पर' के दौरान भी वे ऐसे बच्चों के करीब आए थे। इस अनुभव ने उन्हें दूसरों की भावनाओं को अधिक समझने वाला और अधिक सहानुभूतिपूर्ण बना दिया है।
 
वह भावुक होते हुए कहते हैं कि उन्हें समझ आया कि ये बच्चे बिल्कुल हम जैसे ही हैं। उन्हें भी वही डर लगता है जो हमें लगता है, और उन्हें भी वही चीजें पसंद आती हैं जो हमें पसंद आती हैं। "कहीं कोई अंतर नहीं है।"
 
आमिर ने समाज की उस कटु सच्चाई पर भी बात की, जहां न्यूरोडायवर्जेंट बच्चों को अक्सर सामाजिक आयोजनों में शामिल नहीं किया जाता। उन्होंने एक आठ साल के बच्चे का उदाहरण दिया जिसे जन्मदिन पार्टी में नहीं बुलाया गया, और कहा कि यह दर्द सिर्फ बच्चे का नहीं, बल्कि उसके परिवार का भी होता है। उनकी आंखें भर आईं जब उन्होंने कहा, "हर व्यक्ति समान रूप से इज़्ज़त पाने का हकदार है तो इन्हें यह इज़्ज़त क्यों न दी जाए।" यह पल आमिर के भीतर गहरी भावनाओं को दर्शाता है कि कैसे ये बच्चे उन्हें और हम सभी को समानुभूति और स्वीकृति का पाठ पढ़ाते हैं।
 
फिल्म की कास्टिंग और दर्शकों का अचंभित करने वाला रिस्पॉन्स
फिल्म में खास लोगों की कास्टिंग कैसे हुई, इस पर आमिर ने बताया कि यह उनकी दूसरी फिल्मों की कास्टिंग की तरह ही थी। उनके कास्टिंग डायरेक्टर टेस ने कई बच्चों के ऑडिशन लिए और इन 10 बच्चों को चुना।
 
आमिर अपनी फिल्मों को रिलीज से पहले उन लोगों को दिखाते हैं जो फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े नहीं होते, क्योंकि उनका मानना है कि आम लोग ही असली दर्शक होते हैं। जब कुछ लोगों ने 'सितारे ज़मीन पर' देखी, तो वे बड़े अचंभे में पड़ गए। उन्हें लगा कि ये बच्चे प्रशिक्षित एक्टर हैं, लेकिन जब उन्हें पता चला कि ये असली न्यूरोडायवर्जेंट लोग हैं, तो वे बहुत आश्चर्यचकित हुए और उन्होंने फिल्म की खूब सराहना की।
 
'सितारे ज़मीन पर' जल्द ही सिनेमाघरों में आने वाली है, और यह आमिर खान के करियर में एक और मील का पत्थर साबित हो सकती है, जो सिर्फ मनोरंजन ही नहीं, बल्कि समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश भी देगी।

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