एंथोलॉजी सीरीज क्या है?
एंथोलॉजी सीरीज़ में रेडियो से लेकर उपन्यास, लघु फिल्में, टीवी शो आदि सभी तरह के मीडिया शामिल हैं। लोगों को किरदारों और कहानियों में हमेशा कुछ नया और डिफरेंट पसंद आता है। इस तरह की फिल्मों में कहानियों को कहने का तरीका साधारण फिल्मों से अलग होता है। एंथोलॉजी फिल्में हाल ही में बहुत लोकप्रिय हुई हैं। इन दिनों दो घंटे की फिल्म में भी कई लघु कहानियों को पिरोकर बनाया जा रहा है, जिससे दर्शकों का इंटरेस्ट अधिक हों। इन्हें एंथोलॉजी फिल्म कहते हैं। इसमें अलग-अलग शॉर्ट फिल्मों का संकलन (Compilation) होता है।
कम समय में बड़ी बात कह जाती हैं ऐसी फिल्में, ये हैं इनके उदाहरण
एंथोलॉजी का जॉनर नए निर्देशकों को भी उत्साहित करता है। एक ही जगह चार कहानियां बनाना और उन्हें फिर जोड़ना मुश्किल काम भी है। आज का सिनेमा बहुत फियरलेस और ओपन हो गया है। आप कुछ भी नया ट्राई कर सकते हैं। आप जो सोचते हैं, उसके मुताबिक फिल्में बना सकते हैं। जैसे 'डरना मना है', 'दस कहानियां', 'मैडली', 'घोस्ट स्टोरीज', 'बांबे टॉकीज', 'आई एम', 'मुंबई कटिंग', आदि कई एंथोलॉजी फिल्में बन चुकी हैं।
एक्साइटिंग होती हैं लघु कहानियां
पिछले साल ओटीटी प्लेटफॉर्म पर (विभिन्न भाषाओं में) रिलीज़ हुई एंथोलॉजी फ़िल्मों की सूची लंबी है। भारत के प्रमुख फिल्म निर्देशक नए विधाओं का प्रयोग करने और उन्हें तलाशने के इस अवसर का लाभ उठा रहे हैं। करण जौहर, अनुराग कश्यप, कार्तिक सुब्बाराज, सुधा कोंगरा, गौतम मेनन और आशिक अबू जैसे प्रमुख निर्देशकों नें फिल्म निर्माण के इस रूप को अपनाया है। 30-40 मिनट के भीतर एक मनोरम कहानी सुनाना और उसी समय दर्शकों से जुड़ना चुनौतीपूर्ण काम है। हालाँकि, यही फिल्में निर्माण के इस रूप की खूबसूरती भी हैं।