ट्रेलर में सर्कस की मेकिंग और ज्यादातर कलाकारों को देख गोलमाल की याद आती है। कुछ सीन तो ऐसे लग रहे हैं जो रोहित की पुरानी फिल्मों से ही उठा लिए गए हों। हरे-भरे खेत, खूबसूरत सी ट्रेन, सेट की डिजाइन रोहित की ही पुरानी फिल्मों की याद दिलाते हैं। जॉनी लीवर, अश्विनी कल्सेकर, मुकेश तिवारी सहित कई चिर-परिचित चेहरे नजर आते हैं जो रोहित की ही फिल्मों का हिस्सा रहे हैं।
चटकदार रंग, नकली लगने वाली कलाकारों की विग और मेकअप, नकली से घर अब रोहित की फिल्मों का स्थाई भाव हो गए हैं। रोहित का अपना कल्पना लोक है और उसमें वे बदलाव करने के मूड में नहीं हैं। शायद ये उनका सफलता का फॉर्मूला है जो जब तक फिल्में सफल हो रही हैं वे कुछ अलग नहीं करना चाहते हो।
सर्कस के ट्रेलर में माहौल चिर-परिचित है, बस कहानी बदल गई है। जिन्होंने 'दो दूनी चार' या गुलजार की 'अंगूर' देखी होगी, वैसी ही कहानी सर्कस की है। इन फिल्मों में एक मालिक और एक नौकर के हमशक्ल दुनिया में मौजूद हैं और उसके लेकर कॉमेडी दिखाई गई है। करंट वाला ट्रेक कुछ अलग करने के अंदाज में जोड़ा गया है।
सर्कस क्रिसमस पर रिलीज हो रही है और इसका फायदा कॉमेडी और हल्की-फुल्की फिल्म को मिल सकता है। सर्कस इस कसौटी पर खरी उतरती नजर आ रही है। रोहित शेट्टी का नाम अपने आप में बहुत बड़ा है और इस समय जनता की नब्ज पर उनसे ज्यादा किसी की पकड़ नहीं है। कुल मिलाकर सर्कस में ग्रेवी चिर-परिचित है, सब्जी बदल दी गई है।