बॉक्स ऑफिस सूना है। सिनेमाघर से दर्शक गायब हैं। कई सिनेमाघरों के तो बिजली के खर्च भी निकल नहीं पा रहे हैं। नई फिल्म स्टार्स के अभाव में दम तोड़ रही हैं। बमुश्किल उन्हें थिएटर्स में खींचा जा रहा है। गोलमाल अगेन के बाद सिनेमाघर में दर्शकों का टोटा पड़ा हुआ है। तुम्हारी सुलु ही थोड़े बहुत दर्शक बटोरने में कामयाब रही, लेकिन इसका व्यवसाय मेट्रो सिटीज़ के चुनिंदा मल्टीप्लेक्स में ही बेहतर रहा है। जरूरत तो ऐसी फिल्म की है जो अखिल भारतीय स्तर पर कामयाबी हासिल करे।
24 नवंबर वाले सप्ताह में पांच हिंदी फिल्में रिलीज हुईं। डब फिल्मों को भी जोड़ लिया जाए तो संख्या आठ तक पहुंच जाती है। सभी अलग-अलग किस्म की फिल्में हैं, लेकिन इनमें सितारे नहीं हैं। लिहाजा एक भी फिल्म दर्शक बटोरने में सफल नहीं रही। पहले दिन से ही ये औंधे मुंह गिरी हैं।
जूली 2, द फॉरेस्टर, कड़वी हवा, अज्जी, प्रमोद गुप्ता जे.ई., जस्टिस लीग (डब), द फॉरेनर (डब) और कोको (एनिमेशन/डब) का प्रदर्शन 24 नवंबर को हुआ। जूली के सीक्वल के रूप में प्रचारित जूली 2 को पहले शो से ही दर्शकों की कमी का सामना करना पड़ा। फिल्म में जो हॉट सीन देखने गए थे उन्हें भी निराशा हाथ लगी।
कड़वी हवा चुनिंदा शहरों में रिलीज हुई। ऐसी फिल्म प्रशंसा तो पाती हैं, लेकिन दर्शक मिलना मुश्किल रहता है। यही हश्र कड़वी हवा का भी रहा। द फॉरेस्टर, प्रमोज गुप्ता जे.ई. और अज्जी जैसी फिल्मों के तो कई दर्शकों ने नाम भी नहीं सुने होंगे। जहां भी ये फिल्में लगीं, हाल बेहाल रहा।
हॉलीवुड फिल्मों को भी नाकामयाबी मिली। जस्टिस लीग का हिंदी वर्जन इस सप्ताह रिलीज हुआ, लेकिन फिल्म की रिपोर्ट ठीक नहीं आई और दर्शकों ने इससे दूर रहना ही ठीक समझा। कोको बच्चों की फिल्म हैं। फिल्म की तारीफ भी हुई है, लेकिन बॉक्स ऑफिस कलेक्शन बहुत कम है। द फॉरेनर का हाल भी बुरा है।
22 दिसम्बर तक ऐसा ही हाल रहने वाला है। नई फिल्मों में केवल 'फुकरे रिटर्न्स' से ही उम्मीद की जा सकती है, बाकी फिल्मों का प्रदर्शन स्तर से नीचे रहने वाला है। अब तो 22 दिसम्बर को रिलीज होने वाली 'टाइगर जिंदा है' से ही उम्मीद है।