नूतन के साथ क्यों फिल्म नहीं करते थे सुपर स्टार राजेन्द्र कुमार?
बॉलीवुड के सफल फिल्म निर्माता और निर्देशकों में शुमार होने के अलावा अपने गीतों से प्रशंसकों के दिलों में जगह बनाने वाले सावन कुमार टाक ने अपने जीवन से जुड़े कई किस्से रेडियो श्रोताओं से साझा किए। उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह गर्दिश के दिनों में 'जुबली कुमार' के नाम से मशहूर राजेन्द्र कुमार को खुशियां दी थीं। 12 जुलाई को राजेन्द्र कुमार की पुण्यतिथि है, जिनका 1999 में 69 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था।
पिछले दिनों 'विविध भारती' के लोकप्रिय कार्यक्रम 'आज के मेहमान' के अंर्तगत सावन कुमार से ममता सिंह की जो बातचीत हुई, उसने दिल को छू लिया। सावन कुमार ने बताया राजेंद्र कुमार को जब-जब बॉलीवुड ने 'आउट डेडेट' कलाकार घोषित कर दिया तो उन्होंने अपने आपको अपने बंगले में सीमित कर लिया था...
सावन कुमार ने बताया कि मैंने फिल्म 'साजन बिना सुहागन' प्लान की। इसमें मैं राजेन्द्र कुमार और नूतन को लीड रोल में लेना चाहता था। मुझे पता था कि राजेन्द्र कुमार किसी जमाने में नूतन को बहुत चाहते थे लेकिन घर वालों ने उन्हें शादी की इजाजत नहीं दी।
नूतन से बेपनाह मोहब्बत : फिल्म अभिनेत्री नूतन अपने जमाने की नामी अभिनेत्री रहीं, जिनसे राजेन्द्र कुमार बेइंतहा मोहब्बत करते थे। परिवार वालों ने जब नूतन से शादी करने के लिए राजेन्द्र कुमार को मना कर दिया तो वे इस रिश्ते के टूटने से कई महीनों तक इतना रोए कि उन्हें आंखों में बीमारी तक हो गई थी। नतीजा यह रहा कि इन दोनों ने एक साथ किसी भी बॉलीवुड फिल्म में काम नहीं किया था। सावन कुमार की कोशिश थी कि उम्र के ढलान पर फिल्म के जरिए इन दोनों को एक बार फिर मिलाया जाए...
सूना-सूना जन्मदिन : उन्होंने बताया कि 20 जुलाई को राजेन्द्र कुमार का 'जन्मदिन' था और मैं उनके बंगले में पहुंचा। किसी जमाने में जब राजेन्द्र कुमार का जन्मदिन होता था तो पूरा बंगला फूलों के गुलदस्तों से भर जाया करता था, लेकिन उस दिन वहां चंद बुके ही रखे हुए थे। मैंने उनकी पत्नी से पूछा तो उन्होंने बताया कि राजेन्द्र बालकनी में एक व्यक्ति के साथ बैठे हैं। जब उनकी बालकनी में पहुंचा तो पाया कि वहां राज कपूर बैठे थे।
सिर्फ 11 हजार रुपए का साइनिंग अमाउंट : मैं 4 साल बाद राजेन्द्र कुमार से मिला था। उन्हें जब बताया कि मैं फिल्म 'साजन बिना सुहागन' के लिए आपको साइन करने आया हूं। यह सुनते ही राजेन्द्र कुमार उठे और मुझे गले लगा लिया। मैंने साइनिंग अमाउंट के लिए सिर्फ 11 हजार रुपए का चेक दिया। राज कपूर बोले मैं इस फिल्म का क्लैप देने आऊंगा। तब मैंने कहा राज साहब आप क्लैप देने नहीं आएंगे बल्कि इस फिल्म की 'सिल्वर जुबली' ट्रॉफी देने के लिए आपको आना होगा। और हुआ भी यही, फिल्म ने सिल्वर जुबली मनाई और राज साहब ने ट्रॉफी बांटी। इस फिल्म में नूतन ने मां और राजेन्द्र कुमार ने पिता की भूमिका निभाई थी।
राजेन्द्र कुमार की सादगी : सावन कुमार ने यह भी बताया कि फिल्म 'साजन बिना सुहागन' की अधिकांश शूटिंग शिमला में हुई। कहानी कमलेश्वर जी की थी, वे पूरे समय साथ रहे। हमारे पास ज्यादा बजट नहीं था और लोग भी कम थे। राजेन्द्र कुमार इतने सहज रहे कि पहाड़ी पर खुद प्रोजेक्टर कंधों पर ले जाया करते थे। यही नहीं, धुआं करने के लिए जो परात रहती थी, वे भी अपने हाथों से उठा लेते थे। उन्हें कोई गुमान नहीं था कि वे स्टार हैं। आजकल के फिल्मी सितारों में यह अपनापन कहां देखने को मिलता है?
80 फिल्मों में छोड़ी अभिनय की छाप : राजेन्द्र कुमार का जन्म 20 जुलाई 1929 को सियालकोट (पाकिस्तान) में हुआ था। उन्होंने अपना फिल्मी करियर 1950 से शुरु किया और लगभग 80 फिल्मों में अपने अभिनय की छाप छोड़ी। 60 के दशक में उन्होंने कई सुपर हिट फिल्में दीं।
राजेन्द्र कुमार की यादगार फिल्में : राजेन्द्र कुमार की यादगार फिल्में रहीं- 'आरजू', 'गूंज उठी शहनाई', 'मेरे मेहबूब', 'दिल अपना प्रीत पराई', 'संगम', 'गीत', 'झुक गया आसमान', 'अंजाना', 'गोरा और काला', 'तलाश', 'धूल का फूल', 'आई मिलन की बेला', 'मदर इंडिया', 'हमराही'। 1969 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 12 जुलाई 1999 के दिन उन्होंने इस संसार को अलविदा कह दिया...