लता जी का फोन आया तो मैं कुर्सी से खड़ी हो गई

रूना आशीष

सोमवार, 7 फ़रवरी 2022 (16:58 IST)
6 तारीख की सुबह-सुबह जब उठी तो ऐसा लगा कि जो संगीत की दुनिया है उसके स्वर खामोश हो गए हैं। लता मंगेशकर जी अब इस दुनिया में नहीं रहीं। शब्द नहीं मिल रहे थे लेकिन फिर भी अपने आप को समझने की कोशिश की न्यूज कंफर्म हुई। फिर भी हिम्मत नहीं हो रही थी उस खबर पर विश्वास करने की तब जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जब ट्वीट देखा तब लगा कि नहीं ये अनहोनी सच में हो गई है। प्रधानमंत्री जी यूं ही किसी के लिए ट्वीट नहीं करेंगे।

 
उसके बाद फिर अपने घर से प्रभु कुंज जाने की तैयारी में लग गई। तकरीबन डेढ़ घंटे की दूरी कही जा सकती है। प्रभु कुंज जब पहुंची। बहुत सारे पत्रकारों का जमावड़ा था। लता जी का पार्थिव शरीर हॉस्पिटल से प्रभु कुंज पहुंच चुका था और साथ ही में बहुत सारे लोगों का आना भी शुरू हो गया था। वहां पर नेता सुभाष देसाई भी पहुंचे थे, राज ठाकरे भी पहुंचे थे तो फिल्म इंडस्ट्री से महानायक अमिताभ बच्चन, टी सीरीज के मालिक भूषण कुमार, निर्देशक संजय लीला भंसाली, मधुर भंडारकर और अशोक पंडित सभी वहां पर दीदी के अंतिम दर्शन करने के लिए और घरवालों को सांत्वना के लिए पहुंच चुके थे।
 
फिर मैंने अपनी आंखें साथी पत्रकारों को खोजने के लिए शुरू की कि मेरे समय में कौन-कौन से पत्रकार थे जो हम सभी लोग लता जी का इंटरव्यू करने के लिए पहुंचे थे और एक के बाद एक नंबर लगा दे। फिर अपने नंबर आने का इंतजार करते थे। दुख की बात यह थी कि शायद एक या दो ही ऐसे पत्रकार मुझे मिले जो सच में लता जी के साथ रूबरू बात कर चुके थे। नई पीढ़ी के लिए शायद लता जी गूगल एक ज्ञान थी। लेकिन मेरे लिए लता जी एक साहित्य थी। 
 
बचपन से उन्हीं के बारे में पढ़ते सुनते आई थी और जब उन्हें सामने देखा था। तब अपनी आंखों पर भरोसा नहीं कर पा रही थी। मुझे आज भी याद आ गया था, वह फोन जब मैं अपने आज तक न्यूज चैनल में किसी काम में बिजी थी और अचानक से एक फोन बजा और सामने से लता जी बोल रही थी। और यह वह समय था जब शायद मैं अपनी कुर्सी से पहली बार किसी फोन पर सम्मान देने के लिए खड़ी होकर नमस्ते दीदी बोली थी। फिर अपने आप पर हंसी भी आई थी कि दीदी को थोड़े ही दिखेगा ये सब।
 
उसके बाद चाहे उनके घर का कोई समारोह हो, चाहे उनके घर में गणपति स्थापना करना हो या विसर्जन करना हो या फिर मास्टर दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार की घोषणा करने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस हो जाने कितनी बार ऐसा हुआ कि मैं लता जी से रूबरू होकर मिली और हमेशा यह लगा कि उनकी नजर मुझ पर रहती है और मुझे देखती है और उनका देखते रहना उनकी नजरों में प्यार इतना मेरे लिए काफी हो जाया करता था। 
 
अब जब वह इस दुनिया में नहीं है तो यकीन करना मेरे लिए मुश्किल हो जाता है। हमेशा दिमाग में चलता था कि ठीक है थोड़ी सी तबीयत नासाज है। कुछ नाजुक से प्रकृति होगी। लेकिन दीदी है जहां दुनिया जीती है जहां सुरों की नई परिभाषा गढ़ी है। वहां पर यह छोटी सी जंग तो वह जीत की जाएगी और फिर इतने सारे लोगों के प्यार और स्नेह है साथ में उनकी जिंदगी और बढ़ जाएगी। हर बार वो लड़ती आईं जीतती आईं लेकिन इस बार शायद मां सरस्वती को यही मंजूर था कि वह अपनी सुर साम्राज्य को अपने साथ लेकर चले जाएं फिर वहां से मैं पहुंची शिवाजी पार्क।
 
शिवाजी पार्क में सुरक्षा इंतजाम बहुत पुख्ता किए जा रहे थे। भारत रत्न के अंतिम दर्शन करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी आने वाले थे। अमूमन मुंबई में ठंड नहीं होती है लेकिन इस बार की ठंड कुछ ज्यादा ही पड़ी थी। फिर भी शिवाजी पार्क में जब मैं खड़ी थी तो सामने जो सूरज चमक रहा था, उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि हर पत्रकार को वह एक ललकार दे रहा है कि देखें तो मैं लता जी के लिए कितना स्नेह है और अपने काम के लिए कितने दायित्व के साथ डटे रहते हो क्योंकि मैं तो चमकने आया हूं। तुम्हें परेशान करने। लेकिन मजाल है कि वहां से कोई भी पत्रकार है हिला भी हो और बारंबार अपने टीम के दूसरे नंबर से पूछ रहे थे कि क्या उनके पार्थिव शरीर को प्रभु कुंज से रवाना कर दिया गया है? 
 
प्रभु कुंज से उनका पार्थिव शरीर एक पुष्प सज्जा ट्रक में लाया गया। ताकि उन्हें चाहने वाले उनके अंतिम दर्शन कर सकें। जैसे ही यह ट्रक शिवाजी पार्क में पहुंचा कुछ अलग ही तरह की हलचल शुरू हो गई थी। साथ इंतजार था प्रधानमंत्री जी के आने का। प्रधानमंत्री मोदी अपने सारे काम को अलग रखते हुए मुंबई पहुंचने वाले थे। प्रोटोकॉल को निभाते हुए प्रधानमंत्री मुंबई पहुंचे साथ ही महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे? जाने-माने नेता शरद पवार राज ठाकरे और कुछ और भी गणमान्य लोग पहुंचे थे। 
 
फिल्म इंडस्ट्री के भी कई लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जिसमें से नाम लेना चाहूंगी शाहरुख खान, आमिर खान, रणबीर कपूर, जावेद अख्तर, मधुर भंडारकर और खेल जगत से सचिन तेंदुलकर सपत्नी वहां पर अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे थे। प्रधानमंत्री जब शिवाजी पार्क पहुंचे तो उन्होंने लता जी के परिवार वालों के साथ भी कुछ समय बिताया और फिर लता जी के अंतिम दर्शन किए। 
 
जब सभी लोगों ने अपनी तरह से लता जी का नमन कर लिया, उसके बाद प्रोटोकॉल के हिसाब से उन्हें सलामी दी गई। सशस्त्र टोली ने उन्हें सलामी शस्त्र दिया। और फिर यह सब देखने के बाद मेरी हिम्मत नहीं हुई कि इस सुर साम्राज्ञी को पंचतत्व में विलीन होते देखूं इसलिए मैं वहां से निकल आई और बाहर देखा तो शंकर महादेवन मिल गए। शंकर ने जब मुझे देखा तो खुद अपने मोबाइल पर लता जी और उनकी जो व्हाट्सएप है, वह मुझे दिखाएं और कहां इस उम्र में भी जो कलाकार टेक्नोलॉजी के प्रति भी इतनी ही रुचि रखता हो। उसकी क्या बात है रूना तुम दुखी मत होना ऐसे लोग तुम्हें छोड़कर नहीं जाएंगे। यह तुम्हारे साथ ही चलेंगे। 
 
थोड़ी दूर पर राहुल वैद्य और दिखाई दिए। राहुल ने बोला रुना तुम्हें कहीं छोड़ ना है, कहीं ड्रॉप कर दूं और मैंने कहा नहीं राहुल, आज का समय मैं अकेले ही बताना चाहूंगी। कहने के लिए एक अंतिम यात्रा है हमारे धर्म शास्त्र के अनुसार व्यक्ति की मृत्यु और उनके पंचतत्व में विलीन होने के बाद उन्हें मन से भी पंचतत्व में विलीन कर देना चाहिए। लेकिन काम था मेरे लिए मुश्किल होगा कि मुझे आज भी उनकी फोन पर वह सब याद है, जब लता जी ने मुझसे कहा था, 'रूना में लता बोल रही हूं।'

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