आज अमीर-गरीब सभी रो रहे हैं : अजय देवगन

फिल्म 'सत्याग्रह' में आपका मानव का किरदार आज के युवाओं की तरह बात करता है? वे एक तरफ समाज के प्रोग्रेस की बात करते हैं तो दूसरी तरफ सफलता के लिए किसी भी रास्ते पर चलने को तैयार रहते हैं?
जी हां, मानव ग्रीड में यकीन करता है। उसका मानना है कि यदि आपकी लालची नहीं है तो फिर आप आगे कैसे बढ़ेंगे। यदि आप अच्छा जीवन बिताना चाहते हैं, एक बेहतरीन देश में और बेहतरीन परिस्थितियों में रहना चाहते हैं तो लोभ ही आपको आगे ले जा सकती है। आपका भविष्य उज्ज्वल तभी हो सकता है, जब देश का भविष्य उज्ज्वल होगा।

आप लालच की बात कर रहे हैं तो आपकी लालच क्या है?
लालच कभी कम होने वाली नहीं है। जो आप हैं, उससे आगे बढ़ना चाहते हैं। यह भी एक लालच ही है या आप जहां हैं, उससे पीछे नहीं हटना चाहेंगे। यह भी तो लालच ही है। 80 साल की उम्र में आप भी काम करना चाहेंगे। यही ग्रीड है। इसे पॉजिटिव तरीके से लेने की जरूरत है। अच्छे काम करने के लिए लोभी होना जरूरी है। आज जो हालात हैं, उसमें हमारी फिल्म बहुत बड़ा योगदान देने वाली है। आज की तारीख में अमीर व गरीब सब रो रहे हैं। सभी नाराज हैं। गुस्सा हर किसी के अंदर है।

आंदोलन हमेशा रास्ते से क्यों भटक जाते हैं?
इसीलिए मैं कह रहा हूं‍ कि हमारी फिल्म तभी कामयाब होगी, जब हम उसमें कोई सही रास्ता दिखाएंगे। यही बात आंदोलन के साथ लागू होती है। इसमें कोई नकली रास्ता नहीं बताया गया है। हमारा आंदोलन जीतता है। यूथ की वजह से ही आंदोलन जीतता है। इसमें बताया गया है कि यूथ को क्या करना चाहिए। यूथ कैसे आगे बढ़ता है।

आपको लगता है कि 'सत्याग्रह' को आज की पीढ़ी स्वीकार कर रही है?
'सत्याग्रह' तो विरोध का शांतिपूर्ण तरीका है। हिंसा किए बगैर अपने जायज गुस्से को प्रकट करें। यदि आपके अंदर गुस्सा नहीं होगा, जब तक आप सोच नहीं सकते, योजना नहीं बना सकते कि मैं सामने वाले को बिना थप्पड़ मारे किस तरह फ्रस्टेट करूं। आपके अंदर गुस्सा होना बहुत जरूरी है।

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आपके अनुसार फिल्म 'सत्याग्रह' क्या है?
वास्तव में इस फिल्म में सत्याग्रह एक बैकड्रॉप है। इस बैकड्रॉप में पिता-पुत्र की कहानी को पेश किया गया है। इसमें एक ऐसा पिता है, जो अपना बेटा खो चुका है, तो वहीं एक बेटा है, जो कि अपने पिता को खो चुका है। और फिर किस तरह से परिस्थितियां इन दोनों को मिलाती हैं और इन दोनों के बीच पिता-पुत्र का रिश्ता विकसित हो जाता है, क्योंकि दोनों को एक-दूसरे में कुछ ऐसा मिलता है, जो कि वे पसंद नहीं करते हैं, फिर भी एक साथ आते हैं।

आपको लगता है कि फिल्म 'सत्याग्रह' में जो हल बताया गया है उसे लोग स्वीकार करेंगे?
जी हॉ! पूरा समाज और पूरा देश इस फिल्म में बताए गए हल को स्वीकार करेगा, क्योंकि इसमें बहुत ही आसान रास्ता बताया गया है।

आप फिल्म प्रकाश झा के लिए करते हैं या...?
मैं प्रकाश झा के लिए कोई फिल्म नहीं करता। मैं अच्छी कहानी वाली फिल्म में काम करता हूं। मैं मनोरंजक फिल्म से जुड़ता हूं। यदि 'सत्याग्रह' में मनोरंजन न होता तो मैं इस मुद्‌दे वाली फिल्म में भी काम न करता। 'आरक्षण' के वक्त मैंने प्रकाशजी को सलाह दी थी कि यह ठंडी फिल्म है। इसमें जो मुद्‌दा है, वह लोगों की समझ में नहीं आने वाला इसलिए मैं यह फिल्म नहीं करूंगा और आप भी इस फिल्म का निर्माण न करें। वैसे प्रकाश झा डाक्यूमेंट्री फिल्म नहीं बनाते।

अमिताभ बच्चन के साथ काम करने के क्या अनुभव रहे?
अमिताभ बच्चन के साथ सिर्फ 'सत्याग्रह' नहीं की है। इससे पहले भी कई फिल्में की हैं। हर फिल्म में उनके साथ काम करते हुए मैं सीखता ही आ रहा हूं। वे लीजेंड है। वे बहुत काम कर चुके। जितनी मेहनत वे करते हैं, उतनी मेहनत हम नहीं करते हैं।

कोई दूसरी फिल्म?
प्रभु देवा के साथ नई फिल्म 'एक्शन जैक्शन' की शूटिंग शुरू कर चुका हूं। यह एक्शन व कॉमेडी फिल्म है। उनके साथ काम करने के अब तक के अनुभव बहुत अच्छे रहे हैं। उनका सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत बेहतरीन है। हां! डांस के लिए मुजे काफी मेहनत करनी पड़ रही है। इसके अलावा एक फिल्म 'सिंघम 2' भी कर रहा हूं।

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