कार्टून किरदार छोटा भीम की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। घर में अक्सर बच्चे टीवी पर बड़ों के साथ भीम की कहानियों को देखते हुए पाए जाते हैं। इस किरदार के रचयिता हैं राजीव चिलका। राजीव ने इस किरदार को घर-घर पहुंचाया है। छोटे परदे के साथ-साथ उन्होंने छोटा भीम को लेकर फिल्में भी बनाई हैं। कार्टून फिल्म भारत में बनाना और थिएटर में रिलीज करना आसान बात नहीं है, लेकिन राजीव लगे हुए हैं। उनकी कोशिश रहती है कि हर वर्ष वे एक फिल्म रिलीज करे। छोटा भीम सीरिज की चौथी फिल्म 'छोटा भीम हिमालयन एडवेंचर' लेकर वे हाजिर हैं जो 8 जनवरी 2016 को प्रदर्शित हो रही है। पेश है राजीव से बातचीत के मुख्य अंश :
भारत में टीवी पर तो कार्टून बहुत देखा जाता है, लेकिन सिनेमाघर में कार्टून फिल्मों को दर्शक नहीं मिलते हैं? इसके पीछे क्या वजह हैं?
मुश्किल बात यह है कि बच्चा अकेले सिनेमाघर नहीं जा सकता। माता-पिता में से एक का साथ उसे चाहिए। माता-पिता अपने कामों में व्यस्त हैं। छुट्टी का मजा वे अपने मुताबिक लेना चाहते हैं। वे अपने मनोरंजन के लिए बनी फिल्मों में बच्चों को ले जाते हैं, लेकिन बच्चों के मनोरंजन के लिए बनी फिल्म में बच्चे के साथ नहीं जाते। दूसरी बात यह है कि भारत में कार्टून फिल्म को सिनेमाघर में देखने का कल्चर नहीं है। विदेश में धूम मचाने वाली कार्टून फिल्में भी भारत में मुश्किल चल पाती है। तीसरी वजह ये भी है कि भारत में स्तरीय कार्टून फिल्में नहीं बनती। सन 2001 से टीवी के लिए कार्टून फिल्में बन रही हैं, लेकिन वे लोकप्रिय नहीं हो पाईं। 2008 में छोटा भीम लेकर हम आए और यह शो देखते ही देखते हिट हो गया। छोटा भीम की फिल्में भी पसंद की जाती हैं। अब बदलाव आ रहा है और आने वाले वर्षों में भारत में भी कार्टून फिल्में अच्छा व्यवसाय करेंगी।
छोटा भीम का किरदार इतना लोकप्रिय क्यों है?
यह सीधा बच्चों से कनेक्ट करता है। यदि किसी घर में लड़का है तो वह भीम में अपने आपको देखता है। लड़की है तो वह छुटकी में अपना अक्स देखती है। घर का पालतू जानवर उन्हें जग्गू बंदर में नजर आता है। यह किरदार भारतीय संस्कृति का है। लड्डू खाता है। पराठे खाता है। भारतीय त्योहार मनाता है। इसक पहले विदेशी किरदार दिखाए जाते थे। उनके तौर तरीके और संस्कृति से भारतीय बच्चे जुड़ नहीं पाते थे। बड़े भी छोटा भीम को इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि इससे उन्हें अपने बच्चों को सीख देने में मदद मिलती है। जैसे भीम पराठा खा रहा है तो मां अपने बच्चों को भी पराठा खाने के लिए कहती हैं।
छोटा भीम हिमालयन एडवेंचर के पोस्टर में भीम का नया लुक नजर आ रहा है। आखिर यह लुक क्यों बदला गया?
फिल्म की कहानी के अनुसार भीम के लुक में बदलाव जरूरी था। इस बार लोकेशन हिमालय की है। वहां भीम के लिए गरम कपड़े, ग्लव्ज़, चश्मा, स्कार्फ जरूरी थे। इसलिए न केवल भीम बल्कि उसके साथियों के लुक्स भी बदले हुए हैं। इससे फिल्म में ताजगी भी महसूस होगी। दर्शकों ने भीम का यह अंदाज पहले कभी नहीं देखा होगा।
इस फिल्म की खास बात?
फिल्म दर फिल्म हम सुधार करते जा रहे हैं। पहले किसी फिल्म में कॉमेडी कम थी तो किसी में एक्शन ज्यादा था। इस बार हमने संतुलन बनाया है। कॉमेडी, मजेदार परिस्थिति, संवाद, गानों और विज्युअल पर फोकस किया है। खास बात यह है कि फिल्म एडवेंचर थीम पर आधारित है। आउटडोर एक्टिविटी को हमने प्रमोट किया है क्योंकि आजकल के बच्चे बाहर खेलने बिलकुल भी नहीं जानते जो कि उनके विकास के लिए जरूरी है।
भारत में कार्टून फिल्म बनाना और फिर प्रदर्शित करना आसान बात नहीं है। यदि फिल्म रिलीज होती है तो अजीबो-गरीब शो टाइमिंग फिल्म को मिलते हैं। क्या आपको भी इसी तरह की परेशानियों से दो-चार होना पड़ा?
बिलकुल। हर बार होना पड़ा है। कार्टून फिल्म बनाना और रिलीज करना बहुत चुनौतीपूर्ण है। फिल्म प्रदर्शित करो तो सिनेमाघर वाले पूछते हैं कि इन फिल्मों को देखने कौन आता है। उन्हें बताना पड़ता है कि भीम की फिल्म चलती है। तभी तो चौथी फिल्म आ रही है। उन्हें जंचाना पड़ता है कि बच्चे भी फिल्म देखने आएंगे। वे ऑड शो टाइम देते हैं और हमें यह स्वीकारना पड़ता है। पहले हम यह फिल्म 18 दिसम्बर को रिलीज करना चाहते थे ताकि क्रिसमस की छुट्टियों का फिल्म को लाभ मिले, लेकिन उस दिन 'बाजीराव मस्तानी' और 'दिलवाले' रिलीज हुईं तो हमें सिनेमाघर उपलब्ध नहीं थे। हमें फिल्म की रिलीज डेट आगे करना पड़ी। हम जानते हैं कि बच्चों की फिल्म से बहुत ज्यादा लाभ नहीं होता है, लेकिन बदलाव लाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।