मैं और आलिया आज के शाहरुख और काजोल हैं: वरुण धवन

"जितना मैं अपने घर वालों से नहीं मिलता उससे कहीं ज्यादा तो मैं आलिया से मिल लेता हूँ। मुझे और आलिया को लोग देखना पसंद करते हैं। हम दोनों की ऑफ स्क्रीन भी बहुत अच्छी दोस्ती है। मुझे मालूम है वो बचपन से फ़िल्मों से बहुत प्यार करती रही है। उसे डांस और एक्टिंग का बहुत शौक है।"
 
कलंक के मुख्य कलाकार वरुण धवन, कुछ इस तरह बात करते हैं जब भी उनसे आलिया के बारे में पूछा जाता है। वेबदुनिया संवाददाता से बात करते हुए वरुण ने कहा कि लोग उन्हें और आलिया को आज के समय के शाहरुख और काजोल भी कहते हैं। 
 
वरुण बोले, "हम दोनों की कैमिस्ट्री इतनी अच्छी इसीलिए है कि हम दोनों के बीच प्यार या मोहब्बत नहीं है। हम दोनों अच्छे दोस्त हैं।  शाहरुख-काजोल भी इसलिए हिट थे क्योंकि उनके बीच भी सिर्फ दोस्ती थी। कई बार एक्टर और एक्ट्रेस के बीच शूटिंग के दौरान प्यार हो जाता है। फिर वे साथ काम करते हैं और अगर लड़ाई हो गई तो साथ में काम करना भी बंद कर देते हैं। दोस्ती में ये सब नहीं होता। 

आपकी पहली फिल्म 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' से लेकर 'कलंक' तक करण जौहर कितना बदले हैं? 
ऐसे तो अच्छे ही हैं... प्यारे हैं... लेकिन जब से उनकी ज़िंदगी में दो बच्चे आ गए हैं वो भावुक हो गए हैं। वे चीज़ों को ज़्यादा समझने लगे हैं। साथ में उनकी फ़िल्मों का सक्सेस रेट भी देखिए। 
 
आप तो हिट भी हैं और सोलो फिल्म भी कर सकते हैं। तो, फिर मल्टीस्टारर फिल्म 'कलंक' क्यों की? 
मेरा मानना है कि फिल्म लोगों को पसंद आनी चाहिए। कई बार फ़िल्में नंबर या पैसे को कमा जाती है लेकिन लोगों को उतनी पसंद नहीं आती है। अच्छी फिल्म करो तो आपके हिस्से की सफलता और प्यार आपको मिल ही जाता है। वैसे भी 'कलंक' बड़े बजट की फिल्म है। हमारे लिए ज़रूरी है कि फिल्म अच्छी कमाई करें। 'कलंक' एक हिट फिल्म कहलाए इसके लिए ज़रूरी है कि वो एक आंकड़े को पार कर सके। जहां तक मेरी सोच है तो मैंने कभी भी अब तक के करियर में सेफ़ नहीं खेला है। मैंने जोखिम भी उठाया है। 

आपकी फिल्म 'बदलापुर' के बाद आपका कभी इंटेंस लुक नहीं दिखा, तो 'कलंक' उस कमी को पूरा करेगी? 
हाँ, मुझे कलंक में अपना रोल इसकी इंटेनसिटी के वजह से ही पसंद आया। इस रोल में बहुत माचोइज़्म है। बुल फाइट है। हो सकता है कि लोगों को मेरे इंटेंस लुक की झलक मिल भी जाए, लेकिन सच यह है कि मैंने भी 'बदलापुर' के बाद इतनी इंटेंस फिल्म या रोल नहीं किया। ऐसी कोई स्क्रिप्ट भी नहीं आई कि मैं इस तरह का रोल कर सकूं। 
 
आप विवाह के बाद के संबंधों को कितना सही या गलत मानते हैं? 
चीटिंग किसी भी रिश्ते में गलत ही होती है। इस फिल्म में भी रूप मुझसे कहती है कि मेरे पास खोने को कुछ नहीं है और मैं भी कह देता हूँ कि मुझे कौन सा आपसे निकाह करना है। कई बार आप संबंध बनाते हैं, लस्ट के चलते, तो कभी आपको सच में प्यार हो जाता है। जब प्यार हो जाता है तो आप पर एक जुनून-सा छा जाता है जो आपसे बहुत कुछ करवा लेता है। जिस्मानी धोखा तो आप सहन कर जाते हैं लेकिन जो धोखा भावनात्मक रूप से मिलता है वो आप सहन नहीं कर सकते। 

ये फिल्म 40 के दशक का समय दर्शाती है। बँटवारा भी दिखाया गया है। आपने इस बारे में अध्ययन किया? 
हम सभी जानते हैं कि यह बँटवारा दुनिया के सबसे दुखद बंटवारे में से एक माना गया है। कितनी जानें गईं और कितना नुकसान हुआ,  लेकिन कलाकार के तौर पर मुझे इसे जानने समझने से ज़्यादा उस समय को जीना था। ये कहानी पूरी बंटवारे को ले कर भी नहीं है बल्कि इसमें बंटवारे को पृष्ठभूमि में रखा गया है। 

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