साढ़े तीन साल लग गए 'जग्गा जासूस' को पूरा होने में। आखिरकार लंबे इंतजार के बाद यह फिल्म 14 जुलाई को रिलीज होने जा रही है। अनुराग बसु द्वारा निर्देशित इस फिल्म में रणबीर और कैटरीना कैफ ने अभिनय किया है। पेश है रणबीर से बातचीत के मुख्य अंश :
जग्गा जासूस को पूरा होने में बहुत समय लग गया।
अनुराग दादा निर्देशक ही ऐसे हैं कि वो एक फिल्म के लिए बहुत सारा समय लेते हैं। वे बहुत ही आपाधापी में शूट करने वाले निर्देशक हैं। उनके पास कई बार स्क्रिप्ट नहीं होती थी। शेड्यूल नहीं होता था। वे फिल्म दिल से बनाते हैं और फिर बनाते ही जाते हैं। इन साढ़े तीन साल में मैंने और कैटरीना ने बाहर की भी फिल्में की हैं, लेकिन दादा ने ऐसा नहीं किया। वे इसी फिल्म में लगे रहे। तो, कोई कारण तो नहीं बता सकता, लेकिन इतना कह सकता हूं कि जब दर्शक देखेंगे तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि फिल्म एक साल में बनी या एक महीने में या साढ़े तीन साल में। उन्हें बस एक अच्छी फिल्म चाहिए।
क्या कैटरीना और आपकी साथ की गई यह आखिरी फिल्म है?
आगे चल कर हम दोनों को बहुत सारा काम करना है साथ में। हम दोनों की क्रिएटिव पार्टनरशिप है। वे बहुत अच्छी हैं औऱ मेरे लिए बहुत मायने रखती हैं। कैटरीना के साथ मैंने इसके पहले दो फिल्में की हैं, अजब प्रेम की ग़ज़ब कहानी और राजनीति। इन दोनों ही फिल्मों में हमारी जोड़ी को खूब पसंद किया गया। जग्गा जासूस हमने ऐसी बनाई है कि आगे चलकर इसके सीक्वल भी बना सकें। आशा है कि अनुराग बसु इतना समय न लें, वरना हम दोनों बूढ़े हो चुके होंगे।
आपका खानदान फिल्मों के साथ-साथ संगीत में भी बहुत रूचि रखता है। आपमें यह गुण कितना आया है?
दादाजी (राज कपूर) के अंदर संगीत के ले कर जो समझ थी वो जन्मजात थी। वे पियानो बजा सकते थे, तबला बजा सकते थे, गा भी लेते थे, लेकिन मेरे लिए संगीत थोड़ा मुश्किल होता है। मैं गा नहीं सकता, कोई इंस्ट्रूमेंट बजा नहीं सकता। जब मैं 'रॉकस्टार' जैसी फिल्म करता हूं तो मुझे अपने किरदार को विश्वसनीय बनाने में बहुत दिक्कत होती है। मैं तो खुशनसीब हूं कि मेरी कई फिल्मों में प्रीतम दादा ने संगीत दिया है। मेरी पिछली फिल्म 'ऐ दिल है मुश्किल' भी अगर हिट हुई है तो उनके संगीत की वजह से।
ये बात हुई गाने की, अपने डांस के बारे में क्या कहेंगे?
मुझे डांस करने में बहुत परेशानी होती है। बहुत रिहर्सल करना पड़ती है। जब ' जग्गा जासूस' का गाना 'गलती से मिस्टेक' शूट होने वाला था तो मुझे पता भी नहीं था कि हम शूट करने वाले हैं। जो मैं स्टेप्स कर रहा था वो उन्हें सेट पर ही सीखा। मुझे लगता है कि अगर आप खुशी ज़ाहिर करने के लिए डांस करते हैं तो ज़रूरी नहीं कि आप माइकल जैक्सन जैसा डांस करें। अनुराग दादा ने खुद इस फिल्म का डांस कोरियोग्राफ किया है। मेरी फिल्म 'ये जवानी है दीवानी' में तो फिर भी 'बदतमीज दिल' थोड़ा-सा वेस्टर्न डांस था, लेकिन इस फिल्म में दादा को ऐसा डांस चाहिए था जो बच्चा भी आसानी से कर ले।
आपकी फिल्म सुंदर पेंटिंग जैसी दिख रही है। कोई खास वजह?
हर निर्देशक को लगता है कि वह जो फिल्म बना रहा है वो अनोखी है। इस फिल्म को खूबसूरत बनाने में अनुराग दादा और सिनेमाटोग्राफर रवि का हाथ है। कई देशों में इस फिल्म की शूटिंग हुई है। शायद इसीलिए फिल्म को पूरा करने में साढ़े तीन साल लग गए, लेकिन इतने साल लग जाने के बावजूद भी फिल्म आपको पुरानी नहीं लगेगी। दादा खुद उसे शूट करते हैं और शॉट के लिए लाइटिंग करते हैं। उनको एक ऐसी फिल्म बनानी थी कि कार्टून जैसी लगे। दादा का विज़ुअल सेंस बहुत कमाल का है।
आप निर्माता बन गए हैं। आगे भी फिल्म बनाएंगे?
मेरी फितरत में नहीं है अच्छा निर्माता बनना। 'बर्फी' के बाद मैं और दादा, किशोर कुमार की बायोपिक पर काम कर रहे थे, लेकिन किसी कारण से फिल्म शुरू नहीं हुई। फिर उन्होंने मुझे ये कहानी सुनाई, जो हम दोनों को इतनी पसंद आई। हमने सोचा कि यही फिल्म बनाते हैं जो सबके के लिए ठीक रहेगी। आप इसे अपने बच्चों या बड़ों से साथ देख सकते हैं। फिर डिज़्नी के साथ मिलकर इस फिल्म को बनाई।