टीवी शो 'क्यों उत्थे दिल छोड़ आए' में यश टोंक निभाएंगे लाला विज किशोर का किरदार

रविवार, 17 जनवरी 2021 (13:06 IST)
अपने शो 'ये उन दिनों की बात है' की जबरदस्त सफलता के बाद शशि सुमीत प्रोडक्शन सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर एक और शो 'क्यों उत्थे दिल छोड़ आए' लेकर आ रहे हैं। इस शो में मशहूर एक्टर यश टोंक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते नजर आएंगे। इस शो के साथ यश लंबे समय बाद टीवी पर भी वापसी कर रहे हैं।

 
आप इतने लंबे समय बाद सिल्वर स्क्रीन पर लौट रहे हैं, आपको इस किरदार और इस शो क्यों उत्थे दिल छोड़ आए में क्या ऐसा दिखा, जिसने आपको आकर्षित किया
विज किशोर साहनी के इस किरदार को करने की वजह यह है कि इस किरदार में कई परतें हैं। उनके बेटे, फिर उनकी मृत पत्नी के साथ उनका रिश्ता। वह कहीं न कहीं अपनी पत्नी की मौत के लिए अपने बेटे को दोषी ठहराता है। उसकी पत्नी उसका इकलौता प्यार था। उस हादसे में उसने अपना हाथ भी गंवा दिया है। चलने में भी उसे समस्या होती है। इसलिए जब से वह विकलांग हुआ है, वह कुछ निराश है।
 
उसका बेटा अपनी युवावस्था में प्रवेश कर रहा है। पिता से उसकी नहीं बनती, क्योंकि पिता के वह हमेशा निशाने पर रहता है। वह चाहता है कि बेटा बड़ा कारोबारी बने। इस वजह से इस किरदार की कई परतें हैं। कहीं गहरे में वह बहुत ही मासूम है लेकिन जब बात बेटे से संबंधों की आती है तो वह बहुत आक्रामक हो जाता है। मुझे लगता है कि वह अकेला हो गया है क्योंकि उसके करीब कोई भी नहीं है। इस वजह से जब आपको इस तरह का किरदार मिलता है, तो मुझे नहीं लगता कि कोई भी अभिनेता इसे छोड़ना चाहेगा। बहुत लंबे समय के बाद मुझे जब यह चुनौती मिली तो मैंने इसे दोनों हाथों से लपक लिया। इस किरदार को करने का मेरा मुख्य कारण यही है।

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यह शो मौजूदा चल रहे शो से कैसे अलग होगा?
जैसा कि आप सभी जानते हैं, शो क्यों उत्थे दिल छोड़ आए में, वे 1947 का जमाना दिखा रहे हैं। विशेष रूप से बसंत के मौसम में जब हम 3 महीनों में स्वतंत्र होने वाले थे। पहली बात तो इस वजह से इसे बनाना ही बहुत मुश्किल था। मुझे संदेह है कि टीवी में अभी कोई शो ऐसा चल रहा है जो दूर-दूर तक इसके करीब लगता हो। और आप जानते हैं कि हम उसी भाषा और बोली को लाने की कोशिश कर रहे हैं जो पंजाबी और लाला इस्तेमाल करते थे।
 
निर्माताओं ने अच्छी खासी रिसर्च के बाद सभी चीजों का ध्यान रखते हुए सुंदर सेट बनाया है। जहां तक मेरे किरदार का संबंध है, आप जानते हैं कि यह एक व्यक्ति के रूप में मेरे व्यवहार से बहुत विपरीत है। मेरी बॉडी लैंग्वेज बहुत ही मजबूत है। पर वे किसी ऐसे व्यक्ति को चाहते थे जो निराश दिखे। किरदार का एक हाथ टूटा हुआ है और वह इस समस्या की वजह से बेहद परेशान है।
 
संभवतः वह सिर्फ इसके बारे में ही सोचता है और बाहर काम या कुछ नहीं करता है और इसी वजह से मोटा हो गया है। इस वजह से मुझे एक बड़ा कृत्रिम पौंच लाना होगा क्योंकि मेरे पास यह नहीं है। मुझे अपनी बॉडी लैंग्वेज पर भी काम करने की जरूरत है ताकि मैं एक निराश इंसान की तरह दिख सकूं। मेरे लिए यह एक किरदार के रूप में बहुत अलग है। इस वजह से मैं इसे प्यार कर रहा हूं, देखते हैं कि कि लोग इस किरदार को किस तरह पसंद करते हैं।
 
आपने इस किरदार के लिए कैसे तैयारी की है? कोई विशेष तैयारी जो आपको करनी थी?
चूंकि, मैं इसमें एक लाला का किरदार निभा रहा हूं, इसलिए उन्होंने मुझे एक सुंदर पगड़ी, कुर्ता और लुंगी और ‘मोजड़ी’ दी है। और जब भी वह बाहर निकलता है तो उसे पगड़ी में रहना पड़ता है, यह एक स्टेटस सिंबल की तरह है। और जैसा कि मैंने आप लोगों को बताया, मैं एक कृत्रिम पौंच डाल रहा हूं और आप मुझ पर विश्वास करते हैं, इसे पूरे दिन रखना आसान नहीं है। और मैं थोड़ा लंगड़ाकर चला हूं, जब आप देखेंगे तो आपको पता चल जाएगा। इसलिए किरदार की बॉडी लैंग्वेज पर बहुत ध्यान रखना और अभ्यास करना बेहद जरूरी था। लेखकों ने उस युग की भाषा को बनाए रखने के लिए शानदार काम किया है। और हां, मैंने अपना साइड लॉक्स को बढ़ाया है क्योंकि मैं पगड़ी पहन रहा हूं।
 
क्या आप अपने किरदार को बेहतर समझने के लिए 1947 पर आधारित कोई फिल्म या शो देखी है?
नहीं, मैंने उस जमाने को समझने के लिए कोई फिल्म या शो नहीं देखा है। लेकिन मुझे विश्वास है कि जब भी मैं किसी भी किरदार को निभा रहा होता हूं, एक अभिनेता के रूप में मैं सख्ती से अपने लेखक या निर्देशक के विजन पर खरा उतरना जानता हूं। इस वजह से मैं सिर्फ वही करता हूं जो मेरे निर्देशक चाहते हैं। और पहले मैंने फिल्में देखी हैं, इसके लिए मैंने विशेष रूप से कोई भी फिल्म नहीं देखी है। वर्कशॉप में भी हमने किरदार की भाषा और हाव- भाव आदि पर काम किया।
 
यह कहानी लाहौर शहर में आधारित है। क्या आप इस किरदार से कोई समानता पाते हैं या लाहौर में आपका कोई पूर्वज है जहाँ से आपने प्रेरणा ली थी?
नहीं। मेरे पूर्वज मूल रूप से उत्तर यानी हरियाणा पंजाब के हैं। यहां तक कि उनकी संस्कृति भी उस अवधि के बहुत करीब रही थी। उस समय पंजाब बहुत बड़ा था और हरियाणा व पंजाब साथ थे। इस वजह से मेरा कोई भी पूर्वज का लाहौर से नाता नहीं था।
 
शो के लिए आपने अमृतसर में शूटिंग की है और विभिन्न स्थानों की खोजबीन की है। कैसा रहा अनुभव? क्या आप लोगों ने कुछ खास किया? आपने नए सामान्य में ठंड में शूट कैसे मैनेज किया?
जब मैं अमृतसर जा रहा था, मेरे दिमाग में चल रहा था कि वहां बहुत ठंडा होगी। मैं हरियाणा से हूं और मुझे पता है कि दिसंबर और जनवरी में उत्तर भारत में मौसम कैसा रहता है। जब हम दिन में शूटिंग कर रहे थे तो सब ठीक था। लेकिन, शाम को मुझे कुर्ता और लुंगी पहननी थी और उस समय सर्दी की वजह से कंपकंपी छूट जाती थी। लेकिन सब ठीक ही रहा!! मैंने मैनेज कर लिया।

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