शीना शाहबादी : चंदा माँगने गई और हीरोइन बना दिया

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बॉलीवुड के कलाकारों के बेटे, बेटियाँ अकसर फिल्मों में ही अपना करियर बनाते हैं। यह परंपरा बरसों से चली आ रही हैं। 1982 में प्रदर्शित हिट फिल्म ‘नदिया के पार’ की नायिका साधना सिंह की बेटी शीना शाहबादी भी ‘तेरे संग’ के जरिये अपना करियर आरंभ करने जा रही हैं। सतीश कौशिक द्वारा निर्देशित यह फिल्म टीनएज प्रेग्नेंसी पर आधारित है। यूँ तो शीना 20 वर्ष की हैं, लेकिन दिखने में वे बेहद छोटी लगती हैं। इसीलिए वे 15 वर्ष की लड़की की भूमिका विश्वसनीयता के साथ निभा पाईं। पेश है शीना से बातचीत :

आपकी मम्मी अभिनेत्री हैं। क्या आपको उनसे ही फिल्मों में आने की प्रेरणा मिली?
जी हाँ। मैंने बचपन से ही फिल्मों में आने का सोचा था लेकिन इतनी जल्दी मौका मिल जाएगा, यह मालूम नहीं था।

‘तेरे संग’ आपको कैसे मिली?
एक कार्यक्रम के तहत मैं फंड जुटा रही थी। इस सिलसिले में सतीश कौशिक से मिली। वे उस दौरान ‘तेरे संग’ की नायिका ढूँढ रहे थे। मुझे देखते ही उन्होंने कहा कि मुझे मेरी नायिका मिल गई। उन्होंने फिल्म की कहानी सुनाई। मैंने कहा मैं अपनी मम्मी से चर्चा कर इस बारे में निर्णय लूँगी। सतीशजी को जब पता चला कि मैं साधना सिंह की बेटी हूँ तो वे बहुत खुश हुए और उन्होंने कहा कि यह तो घर की हीरोइन है। मम्मी को स्क्रिप्ट पसंद आई और मैं ‘तेरे संग’ में आ गई।

आमतौर पर नए कलाकार अपनी शुरुआत प्रेम कहानी पर आधारित फिल्मों के जरिये करते हैं। आपने ‘टीनएज प्रेग्नेंसी’ जैसे विषय पर बनी फिल्म को चुना है। क्या यह सही निर्णय है?
’तेरे संग’ भी एक लव स्टोरी है। प्रेग्नेंसी वाला हिस्सा छोड़ दिया जाए तो फिल्म में रोमांस दिखाया गया है। इसमें मैं बबली गर्ल बनी हूँ, जैसी कि मैं निजी जीवन में भी हूँ। साथ ही मेरी भूमिका भी चुनौतीपूर्ण है। मुझे खुशी है कि मैं ऐसी फिल्म से जुड़ी हूँ, जिसमें बहुत अच्‍छा मुद्दा उठाया गया है। यह आज की कहानी है। वास्तविकता के निकट है। भारत सहित पूरी दुनिया में यह सब हो रहा है। मुझे नहीं लगता कि इससे बेहतर शुरुआत मेरी हो सकती थी।

क्या पहले शॉट के समय आप नर्वस थीं?
अगर मैं कहूँ कि नर्वस नहीं थी, तो यह झूठ होगा। मैं नर्वस जरूर थी, लेकिन साथ ही मुझे इस बात की खुशी भी थी कि मेरा सपना पूरा होने जा रहा है। मेरा पहला शॉट काफी अच्छा रहा।

क्या आपने अपनी मम्मी से अभिनय संबंधी टिप्स ली?
मेरी मम्मी सेट पर मौजूद रहती थीं, इसलिए मैंने कई दृश्यों के बारे में उनसे चर्चा की। खासकर मम्मी ने उन दृश्यों में मेरी काफी मदद की जब मैं फिल्म में गर्भवती हो जाती हूँ। फिल्म में नीना गुप्ता मेरी माँ बनी हैं। उन्होंने भी मुझे अभिनय की बारीकियों से परिचित कराया।

फिल्म के नायक रसलान मुमताज के बारे में क्या कहेंगी?
शूटिंग के दौरान हम अच्छे दोस्त बन गए। मुझे उम्मीद है कि हमारी कैमेस्ट्री स्क्रीन पर अच्छी लगेगी।

शूटिंग के दौरान घटी कोई मजेदार घटना के बारे में बताना चाहेंगी?
शूटिंग के दौरान पूरी यूनिट एक परिवार की तरह हो जाती है। हँसी-मजाक तो होते रहते हैं, लेकिन मैं एक खतरनाक दृश्य के बारे में बताना चाहूँगी। रसलान के साथ मैं बाइक पर पीछे बैठी हुई थी। ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर उन्हें बाइक चलानी थी। वे बाइक धीरे चला रहे थे। निर्देशक ने तेज बाइक चलाने को कहा। रसलान ने इतनी तेजी से बाइक चलाई कि हम दोनों गिर गए। हमें चोटें आईं। खून बहने लगा। सतीशजी ने शूटिंग रोकने के लिए कहा, लेकिन हम नहीं माने और हमने शूटिंग जारी रखी।

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क्या कभी ऐसा अवसर आया, जब निर्देशक के मुताबिक आप शॉट नहीं दे पाईं?
टचवुड। ऐसा मौका कभी नहीं आया।

फिल्मों के चयन के मामले में आप क्या मापदंड अपनाती हैं?
सबसे पहले मैं स्क्रिप्ट देखती हूँ। स्क्रिप्ट पसंद आने पर अपना किरदार देखती हूँ। इसके बाद ही हाँ कहती हूँ। इस मामले में मम्मी से भी सलाह लेती हूँ। फिलहाल मैं तेलुगू फिल्म कर रही हूँ और ‘तेरे संग’ के प्रदर्शित होने का मुझे इंतजार है।