दर्शकों को लुभाते माचो मैन, सुपर हीरो

मंगलवार, 2 अगस्त 2011 (12:55 IST)
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कहने को बॉलीवुड भारतीय समाज ही की तरह पुरुष-प्रधान है। हिन्दी फिल्म में नायक प्रधान गुण तो हावी रहता ही है, पारिश्रमिक के मामले में भी आज तक न‍ायिकाएं नायकों से पीछे ही रहती हैं। तो पुरुष प्रधान इस जगत में भी नब्बे फीसद से भी ज्यादा फिल्मों में पुरुष को हर परिस्थिति से जीतते ही बताना निर्देशक के लिए बिना रिस्क उठाए फायदे का सौदा साबित होता है। मात्र कुछ ही प्रतिशत फिल्में रिस्क उठाकर बनाई जाती हैं।

तो... बॉलीवुड का हीरो यानी नायक अपने माचो मैन वाले गुणों से दर्शकों को मोहने की पूरी-पूरी कोशिश करता है, फिर चाहे वो गुंडों की गिरफ्त से लड़की को बचाने का काम हो, पचास गुंडों को एकसाथ पी‍टने का मामला हो या फिर गोलियों की बौछारों के बीच भी सुरक्षित निकल जाने का मामला हो ... हीरो के लिए सब संभव है। दर्शक भी हीरो की इस पारंपरिक छ‍वि को ही ज्यादा पसंद करते हैं। कहीं न कहीं यह शायद आम आदमी के मन से जुड़ी बात है। पर्दे पर अन्याय करने वाले की हार होते देख उन्हें वह अपनी जीत-सी लगने लगती है।

जाहिर है कि ऐसा असल जिंदगी में तो कम ही संभव हो पाता है, इसलिए पर्दे पर जुल्मी को पिटते देखना उनके लिए मन की इच्छा पूरी होते देखने जैसा होता है। यहां भी मानसिकता सिर्फ कुछ घंटों के मनोरंजन की ही होती है, अगर नहीं होती तो शायद हर फिल्म के बाद एक क्रांति तो हो ही गई होती।

खैर दर्शक की इसी आम आदमी वाली मानसिकता को हमेशा से निर्देशक भुनाते चले आ रहे हैं। खासतौर पर जब दुश्मनों की धुनाई करने वाले माचो मैन और दुनिया को संकट से बचाने वाले सुपरमैननुमा किरदारों को खूब गढ़ा जाता है। ऐसी कुछ फिल्में आ चुकी हैं और कुछ आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगी।

पिछले दिनों आई सलमान खान की फिल्म 'वांटेड' तथा 'दबंग' दोनों ही इसी तरह की फिल्में थीं। एक अकेला जुल्म से लड़ने वाला नायक, जिसके पास हर बात का तोड़ है। एक ऐसा पुलिस इंस्पेक्टर, जो बेहद चतुराई से दुश्मन के आसपास जाल फेंकता है और आश्चर्य की बात है कि अंडरवर्ल्ड पर राज करने वाला डॉन, जिसके पास दुनियाभर के आधुनिक हथियारों का जखीरा है,
ढेर सारे लोगों की फौज है और जबरदस्त नेटवर्क है... वह भी इस पिस्टल वाले इंस्पेक्टर के आगे बेबस हो जाता है।

मजलूमों की मदद करने वाले ये रॉबिनहुड काश असल जिंदगी में भी होते। यही कारण है कि मनुष्य फिल्मी दुनिया में खोकर कुछ देर को असल दुनिया की कड़वी सचाइयों से मुंह घुमाकर शुतुरमुर्ग बन जाना पसंद करता है और इसीलिए ही ये माचोमैन और सुपरमैन सरीखे पात्र रचे जाते हैं। सलमान 'बॉडीगार्ड' में भी इसी तरह डोले-डोले दिखाते नजर आएंगे।

सलमान की ही तरह आमिर भी आने वाले समय में रीना कागती की फिल्म में सुपरकॉप का रोल करते नजर आएंगे। वैसे आमिर इससे पहले बाजी और सरफरोश में ऐसे दबंग ऑफिसर की भूमिका निभाते नजर आ चुके हैं। इनके अलावा 'मैं हूं ना' में एक आर्मी अफसर की वर्दी पहनकर लोगों को बचाते शाहरुख भी अब अपनी 'रा-1' लेकर आ रहे हैं जिसमें वे सुपरमैननुमा किरदार निभा रहे हैं वहीं 'एजेंट विनोद' में सैफ अली खान एक्शन से भरपूर माचो मैन बने नजर आएंगे।

खिलाड़ी अक्षय कुमार ने तो इस तरह की भूमिकाओं का एक तरह से ठेका ही लिया हुआ है। वहीं एक ही एक्सप्रेशन दिखाने वाले हीरो जॉन अब्राहम भी 'फोर्स' में बांहों की मछलियां उछालते दिखेंगे और रितिक रोशन 'अग्निपथ' के रीमेक में अमिताभ वाला रोल करके खुद को माचो मैन साबित करने की जुगत में हैं।

पिछले दिनों आई 'सिंघम' में अजय देवगन ने भी किसी से न डरने वाले ऐसे ही एक पुलिस ऑफिसर का रोल निभाया है। वैसे अजय की छवि कॉमेडी फिल्मों से पहले माचो मैन की ही रही है। वे इस तरह के किरदार में खासे पसंद किए जाते हैं। इसमें भी एक बड़ी बात यह है कि अगर बॉलीवुड में रहने वाली किसी फिल्म की प्रेरणा दक्षिण भारत से ली गई होगी तो नायक और भी शक्तिशाली बना दिया जाता है, खासतौर पर एक्शन दृश्यों के मामले में। जाहिर है वहां प्रेरणास्रोत 'श्री श्री रजनी जी' होते हैं जिनके सामने दुनिया की कोई भी चीज 'तुच्छ' ही ठहरी।

तो कुल मिलाकर दबंग, शक्तिशाली, अपराजेय माचो मैन का किरदार दर्शकों के ज्यादा नजदीक होता है ऐसा माना जा सकता है। इसलिए ज्यादातर हीरो इसी तरह दर्शकों के करीब पहुंचने की होड़ में हैं।

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