'जिंदगी' भी, 'मौत' भी

अभिषेक व्यास

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गुजरे हफ्ते टिकट खिड़की पर दो फिल्में आईं : "जिंदगी न मिलेगी दोबारा" और "हैरी पॉटर और मौत के तोहफे-२"। दोनों ही फिल्में महानगरीय दर्शकों से अधिक सरोकार वाली थीं और इस बात को लेकर कयास भी लगाए जा रहे थे कि दोनों में से किसे मल्टीप्लेक्सों में ज्यादा दर्शक मिलेंगे। अधिकतर स्थानों पर "जिंदगी न मिलेगी दोबारा" ने बाजी मारी।

शुक्रवार को इसकी ओपनिंग ठीकठाक लगी, लेकिन फिर इसने अच्छा पिक-अप किया। अपेक्षा के अनुरूप मल्टीप्लेक्स का युवा दर्शक वर्ग इस फिल्म को पसंद कर रहा है। शुरुआती तीन दिनों में ही इसने करीब ३० करोड़ कमाए, लेकिन दिक्कत यह है कि इस फिल्म की लागत बहुत अधिक रही। विदेश में शूटिंग और रितिक जैसे सितारे का शाही मेहनताना इसके लिए आर्थिक दृष्टि से मायनस पॉइंट्स हैं। अतः अच्छी कमाई के बावजूद इसके लिए लागत रिकवर करना मुश्किल नजर आता है।

उधर "हैरी पॉटर" श्रृंखला के समर्पित दर्शक हैं, जिनका थिएटरों में उमड़ना तय था। ऊपर से यह इस श्रृंखला की अंतिम फिल्म है, अतः इसके प्रति हैरी के दीवानों में ज्यादा ही क्रेज था। यूँ भी इस साल हॉलीवुड की डब की गई फिल्मों ने अच्छा बिजनेस किया है। अब "सिंघम" से इंडस्ट्री को बहुत सारी उम्मीदें हैं।

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