सैफ की बहन सोहा के करियर में बहुत ज्यादा फिल्में नहीं हैं। दूसरे, पहले जो फिल्में उन्होंने की हैं, उनमें भी बॉक्स ऑफिस पर सफल हुई फिल्मों में सिर्फ एक ही नाम है, वो है 'रंग दे बसंती'।
ज्यादातर वे फिल्मी पार्टियों में नजर आती हैं या फिर कुणाल खेमू से अपने रिश्तों को लेकर सुर्खियों में रहती हैं। अपने भाई की तरह ही वे भी रिश्तों को छुपाने में विश्वास नहीं करती हैं। शादी के विचार मात्र से कोसों दूर सोहा फिलहाल अपनी फिल्म 'साउंडट्रेक' की रिलीज का इंतजार कर रही हैं।
सोहा के खाते में व्यावसायिक रूप से सफल एकमात्र फिल्म 'रंग दे बसंती' है और उनकी मां शर्मिला को भी उनकी बस यही फिल्म पसंद आती है। अब सोहा उस सफलता से आगे निकलना चाहती हैं। इस बीच उन्होंने 'मुंबई मेरी जान' जैसी फिल्म भी की, लेकिन उसे कोई खास सफलता नहीं मिल पाई। हिन्दी के साथ-साथ बांग्ला में वे ऑफबीट फिल्में कर रही हैं। राजीव खंडेलवाल के साथ वे नीरव घोष की फिल्म 'साउंडट्रेक' में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। वे कहती हैं कि इस फिल्म की स्क्रिप्ट के अतिरिक्त इसे करने के कारण और भी हैं। एक तो इसमें फिजिकली हैंडीकेप्ड लोगों की दुनिया को समझने और महसूस करने का और दूसरे, बधिर लोगों से संवाद बनाने वाली स्किल को सीखने का मौका भी मिला। इसी अक्टूबर में श्रेयस तलपदे के साथ साई कबीर की कॉमेडी फिल्म 'केमेस्ट्री' भी रिलीज हो रही है। वे नए डायरेक्टर्स के साथ काम करते हुए खुश तो हैं लेकिन साथ ही वे स्थापित डायरेक्टर्स के साथ ही काम करना चाहती हैं। वे दीपा मेहता की 'मिडनाइट्स चिल्ड्रन' और अभिजित चौधरी की 'एक्सीडेंट' में भी काम कर रही हैं।
अपने दौर में मां के सुपरस्टार होने और भाई के भी स्टार होने के बीच खुद के डगमगाते करियर को लेकर बात करते हुए सोहा कहती हैं - 'पहले कभी इस तरह का दबाव हुआ करता था, लेकिन हरेक की अपनी जिंदगी हुआ करती है और मेरे पास भी बहुत कुछ है खुश रहने के लिए। मैं जो कुछ कर रही हूं, उससे काफी खुश हूं। बड़ी बात यह है कि मैं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हूं।' सैफ के लिए व कहती हैं कि भाई पिछले सालों से इस इंडस्ट्री में है और उन्होंने बहुत संघर्ष किया है, तब जाकर इन कुछ सालों में उन्हें प्रशंसा मिली है।
अपने करियर के पहले साल को वे भयावह मानती हैं, लेकिन कहती हैं कि अब सब कुछ ठीक है। वे मानती हैं कि शिखर के अपने दुख होते हैं। फिर हर वक्त इस दुनिया में नए लोग आपसे प्रतिस्पर्धा करने के लिए आते रहते हैं, यही जीवन है। वे सपष्ट करती हैं कि जिंदगी की बुनियादी चीजों से समझौता नहीं किया जा सकता है। उन्हें बहुत सारा पैसा और बहुत सारे नाम की दीवानगी नहीं है।
कुणाल से अपने रिश्तों को लेकर खुली सोहा का कहना है कि कुणाल बहुत अच्छा एक्टर है और वह सेल्डमेड है। एक तरह से दोनों एक-दूसरे से उलट माहौल में पले और बड़े हुए हैं। कुणाल ने जहां बहुत छोटी-सी उम्र से ही कमाना शुरू कर दिया था, वहीं सोहा नवाबों के खानदान से है। स्व. पिता बड़े क्रिकेटर और मां बड़ी स्टार रहीं। वे बहुत गंभीर होकर कहती हैं - 'कुणाल में पसंद करने लायक तो बहुत सारी चीजें हैं, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि जो मैं नहीं कर सकती हूं, कुणाल वह सब कुछ कर सकता है जैसे खाना बनाना, ड्राइविंग और गाना..।' तो शादी...? अभी नहीं...।
हां, लेकिन एक बात को लेकर वे बहुत स्पष्ट हैं, वह है शादी के बाद भी काम जारी रखना। साफ-सा नजरिया है : यदि शादी से पहले काम को गंभीरता से लिया है तो फिर शादी के बाद भी इस पर कायम क्यों नहीं रहा जा सकता है? काम करते हुए भी परिवार के लिए खुद और अपने लिए वक्त निकाला जा सकता है।
'एजेंट विनोद' के बाद सैफ अली की प्रोडक्शन कंपनी 'गो, गोआ, गॉन' नाम से कॉमेडी फिल्म बना रही है, उसमें कुणाल को कास्ट किया गया है। सोहा बताती हैं कि यह क्रेजी कॉमेडी है और 'गोलमाल-3' में भाई को कुणाल का काम बहुत पसंद आया, इसलिए इस फिल्म में उन्होंने कुणाल को कास्ट किया।
खाने की शौकीन सोहा किचन से दूर रहती हैं। फिलहाल वे अपने लिए अच्छे कमर्शियल डायरेक्टरों के अच्छे प्रपोजल्स का इंतजार कर रही हैं। वे भी अच्छी और कमर्शियल फिल्में करना चाहती हैं। आखिर पैसा और नाम दोनों ही इसी तरह की फिल्मों में जो है...!