अपनी फिल्मों के आने और चले जाने के बीच भी जॉन अब्राहम चर्चा में बने रहते हैं। अपने गठीले शरीर और मनमोहक चेहरे के साथ ही गैर-फिल्मी पृष्ठभूमि से आए जॉन की चाहे "धूम" और "दोस्ताना" के अतिरिक्त और कोई हिट फिल्म न रही हो, लेकिन उनकी स्टार वेल्यू बढ़ती ही जा रही है।
अपने 9 साल चले रिश्ते के टूटने के बाद से भी वे लगातार चर्चा में हैं। एक तरफ वे इसे सेलिब्रिटी होने का खामियाजा मानते हैं, तो दूसरी तरफ चाहते हैं कि ऐसे परेशानीभरे वक्त में इंसान को अकेले छोड़ दिया जाना चाहिए और यही हमारा मीडिया नहीं करता है। उस दौर से उबरने के बाद वे अब अपने अकेलेपन का मजा ले रहे हैं। अपना समय अपने माता-पिता, भाई और दोस्तों के बीच बिता रहे हैं।
वैसे मीडिया ने तो उन्हें यूँ भी नहीं बक्शा है, आए दिन उनके अफेयर के किस्से उनकी को-स्टार के साथ बताए जा रहे हैं। जॉन मानते हैं कि ये चिढ़ाने वाला है, लेकिन इसे भी वे फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा ही मानते हैं। अपनी गैर-फिल्मी और मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि पर गर्व करते जॉन इस बात से बहुत खुश हैं कि वे इस देश के युवाओं के लिए प्रेरक हैं। नॉन-सेलिब्रिटी और नॉन-फिल्मी परिवेश से होने के बाद भी फैशन और बॉलीवुड में अपने लिए कोई जगह बना पाए, इसे वे बड़ी सफलता मानते हैं।
वे कहते हैं कि उनके युवा फैंस को शायद यह भी लगता हो कि जब जॉन इस ग्लैमर वर्ल्ड में सफल हो सकता है तो कोई भी क्यों नहीं! इसके साथ ही अपनी फिटनेस और शरीर को लेकर उनकी जागरूकता से भी युवा प्रभावित और प्रेरित हैं और इससे वे खुद को खास अनुभव करते हैं। वे मानते हैं कि अपनी मेहनत से वे यह सिद्ध करते हैं कि जिस तरह वे अपनी फिटनेस और शरीर को बिना स्टेरॉइड के बना सकते हैं, उसी तरह दूसरे भी ऐसा कर सकते हैं।
एमबीए के बाद मीडिया प्लानर के रूप में काम कर रहे जॉन की जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बना उनका ग्लैडरैग्स मैनहंट में भाग लेना। उसके बाद उन्होंने मॉडलिंग को चुना और कई ब्रांड्स के लिए उन्होंने देश-विदेश में मॉडलिंग की। जिस वक्त वे अपने मॉडलिंग करियर के शिखर पर थे, ऐन उसी वक्त उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश किया।
2003 में अपनी पूर्व गर्ल-फ्रैंड बिपाशा बसु के साथ "जिस्म" से उन्होंने फिल्मों की शुरुआत की। हालाँकि वे कभी भी अच्छे एक्टर्स की श्रेणी में नहीं रखे गए। न ही उनकी ज्यादा फिल्में सफल हुईं और न ही उन्हें आलोचकों ने सराहा, फिर भी उन्होंने कमर्र्शियल के साथ ही साथ ऑफ बीट फिल्मों में भी खुद को इन्वॉल्व किया। करन जौहर और आदित्य चोपड़ा जैसे कमर्शियल फिल्मकारों ने तक जॉन को कमर्शियल फिल्मों पर कंसन्ट्रेट करने की राय दी, लेकिन फिर भी जॉन ने "नो स्मोकिंग", "वॉटर" और "जिंदा" जैसी फिल्मों में काम किया।
"धूम" से बाइक्स के प्रति उनकी दीवानगी का भी खुलासा हुआ। तमाम ऑफ-बीट फिल्मों के बाद भी जॉन के प्रति युवाओं में दीवानगी उनके एक्टर होने से कम और उनके गठीले बदन की वजह से ज्यादा है। शायद यही वह वजह है कि उनकी फिल्में बहुत ज्यादा सफल न रहने के बाद भी उनकी फैन फॉलोइंग पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है।
सच तो यह भी है कि हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में जब से खान तिकड़ी का प्रवेश हुआ है, तब से गैर फिल्मी पृष्ठभूमि से आए एक्टर्स के लिए यहाँ अवसर कम हो गए हैं। फिर लगातार स्टार-संस तो फिल्म इंडस्ट्री में दाखिल हो ही रहे हैं। ऐसे में गैर फिल्मी लोगों का फिल्मों में प्रवेश और उन्हें काम मिलना वैसा आसान नहीं रहा। फिर भी जॉन को मिलने वाली अलग-अलग भूमिकाएँ यह सिद्ध करती हैं कि उनकी प्रसिद्धि पर फिल्मों के हिट या फ्लॉप होने का कोई असर नहीं पड़ता है।
फिल्म इंडस्ट्री में सलमान खान के साथ ही जॉन को भी सेक्सी स्टार के तौर पर तवज्जो दी जाती है, इसकी वजह उनकी फिजीक है, लेकिन जब वे इंडस्ट्री में आए थे, तब उनका फिजीक इतना अच्छा नहीं था। जॉन याद करते हैं कि कॉलेज के दिनों में वे हॉलीवुड के स्टार्स से बहुत प्रभावित थे और चाहते थे कि खुद उनकी फिजीक उन स्टार्स के जैसी हो।
वे बताते हैं कि उस दौर में उन्हें अपने नाप के अच्छे कपड़े नहीं मिलते थे, तभी उन्होंने तय किया कि वे अपने शरीर पर काम करेंगे। जब वे मॉडलिंग कर रहे थे, तब उनका चेहरा पिंपल्स से भरा हुआ था और उनके फैंस ने उन्हें इसी रूप में देखा और पसंद किया है। कहने का मतलब यह है कि वे हर तरह से एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति रहे हैं और इसलिए वे उस वर्ग के मूल्यों के साथ इस चकाचौंधभरी दुनिया में मजबूती से खड़े हैं, जहाँ उन्हें फिल्म की असफलता तक नहीं हिला सकी है।