सिनेमाघरों में सन्नाटा, भीड़ लाने का जिम्मा अब अक्षय और जॉन के मजूबत कंधों पर

वर्ष 2018 बॉलीवुड के लिए बहुत अच्छा रहा। अधिकांश फिल्में मुनाफे का सौदा साबित हुईं। इस वजह से सिनेमाघरों में रौनक बनी रहीं, लेकिन अगस्त का महीना जो बॉलीवुड के लिए 'लकी' माना जाता है, अब तक अच्छा नहीं रहा। 
 
3 अगस्त को तीन फिल्मों का प्रदर्शन हुआ। ऐश्वर्या-अनिल-राजकुमार की 'फन्ने खां', इरफान खान की 'कारवां' और ऋषि कपूर-तापसी पन्नू की 'मुल्क'। तीनों ही फिल्में दर्शकों को आकर्षित नहीं कर पाई। 
 
फन्ने खां की तो रिपोर्ट ही खराब आ गई थी इसलिए दर्शकों ने फौरन इस फिल्म से दूरी बना ली। 'कारवां' को भी ज्यादा दर्शक नहीं मिल पाए। 'मुल्क' को खूब तारीफ मिली, लेकिन दर्शक नहीं। 
 
किसी तरह इन फिल्मों को सिनेमाघर वालों ने एक सप्ताह तक खींचा। सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर वालों के तो खर्चे भी नहीं निकल पाए। 
 
इसके बाद 10 अगस्त को कमल हासन की 'विश्वरूप 2' रिलीज हुई। पहले शो से ही समझ आ गया कि इस फिल्म का चलना मुश्किल है। इसे चलाना सिनेमाघरों की मजबूरी है कि और कोई विकल्प ही नहीं है। 
 
अब 15 अगस्त के दिन से उम्मीद की जा सकती है कि सिनेमाघरों में दर्शकों की भीड़ नजर आएगी। सत्यमेव जयते और गोल्ड रिलीज होने जा रही है। बड़ी फिल्में हैं, बड़े सितारे हैं। फिल्म कैसी भी हो, ये उम्मीद तो की जा सकती है कि पहले तीन-चार दिन फिल्म अच्छा प्रदर्शन करेंगी। 

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