अपने 48 वर्ष के रिश्तों को याद करते हुए बच्चन साहब ने लिखा कि आदर और स्नेह, आज के दिन, जब 48 वर्ष॔ के संबंध को अग्नि की ज्वाला में भस्म होते देखा है, तो आपकी रचना का एक-एक शब्द मानव जीवन के सत्य का अदभुत दर्पण है। यदि इजाजत हो तो इसे मैं अपने सोशल मीडिया के मंच पर प्रदर्शित करना चाहूंगा।
एक शाश्वत वृष्टि में
है नहीं सागर को पाना
मैं नदी संन्यस्त हूं'
विनोद खन्ना के निधन के बाद कल गुरुवार को अमिताभ बच्चन सबसे पहले अस्पताल पहुंचने वालों में से एक थे। अमिताभ 'सरकार 3' के प्रमोशन के सिलसिले में एक साक्षात्कार दे रहे थे लेकिन जैसे ही उन्हें विनोद खन्ना के निधन की खबर मिली, वे साक्षात्कार को बीच में छोड़कर परिवार को सांत्वना देने के लिए सीधे अस्पताल पहुंचे। वे उनके अंतिम संस्कार में भी शामिल हुए।
दोनों सितारों ने 'हेरा-फेरी', 'मुकद्दर का सिकंदर' और 'अमर-अकबर-एंथोनी' के अलावा परवरिश, जमीर, रेशमा और शेरा, खून-पसीना जैसी फिल्मों में साथ-साथ काम किया था। (वार्ता)