कंगना ने कहा, देखिए, कई बार क्या होता है कि एक इंसान, किसी परफॉर्मेंस से, फिल्म से या कला का कोई भी तरीका-नमूना हो, उसे देखकर वह अपने आप में इतना बेहतरीन होता है कि यदि आप उसका सम्मान न करें तो, ऐसे में उस सम्मान करने वाली संस्था का अपमान होता है। यदि मेरी फिल्म मणिकर्णिका को राष्ट्रीय पुरस्कार नहीं मिला तो राष्ट्रीय पुरस्कार की क्रेडबिलिटी पर सवाल उठेंगे।
कंगना ने कहा कि मैं यह भी कहती हूं कि यदि मणिकर्णिका से भी बेहतर काम होता है तो, मैं खुद कहूंगी कि यह अच्छा है। क्या आपको लगता है कि मणिकर्णिका जैसा कोई दूसरा काम हो सकता है? पिछले साल तब्बूजी ने अंधाधुन में बहुत अच्छा परफॉर्म किया था। इस साल यदि मणिकर्णिका से अच्छा परफॉर्मेंस होता है तो यह अच्छा मूल्यांकन होगा। मुझे तो नहीं लगता कि अब इस साल मणिकर्णिका से अच्छा काम हो सकता है।