बॉलीवुड में हर चीज़ के चलन को लेकर एक समय आता है। ऐसा ही एक समय आया था जब फिल्म निर्माताओं को लगता था कि दर्शकों को आकर्षित करने के लिए फिल्म में एक आयटम सांग होना बहुत ज़रूरी है। कुछ फिल्मकारों को फिल्म के दर्शक बढ़ाने के लिए महिलाओं को इस तरह पेश करना नहीं पसंद था। हाल ही में एक शी द पीपुल टीवी को दिए गए इंटरव्यू में करण जौहर ने अपनी फिल्मों के आयटम सांग्स के लिए माफी मांगी है।
करण ने कहा कि सिनेमा और छोटे परदे पर महिलाओं के ऑब्जेक्टिफिकेशन को रोका जाना चाहिए। जब आप एक महिला को केंद्रित कर, उसके आसपास ललचाती नज़रों से हज़ारों पुरुषों को दिखाते हैं, वो समाज को गलत चीज़ दर्शा रहा होता है। फिल्ममेकर के रूप में मैंने वो गलतियां की हैं और मैं इसे फिर कभी नहीं करूंगा।
फिल्में हमारे समय को दर्शाती हैं। वे बहुत प्रभाव डालती हैं। जब आप एक आदमी को एक महिला का पीछा करते दिखाते हैं, तो ऐसा लगता है कि वह आदमी उसके प्यार में है, लेकिन यह पीछा करना स्टॉकिंग भी हो सकता है। जब आप किसी आदमी को महिला के लिए अपमानजनक दिखाते हैं तो ऐसा सोचते हैं कि वह आदमी गुस्सा है, लेकिन नहीं, वह गलत है। फिल्म निर्माता के रूप इसके लिए हम जिम्मेदार होते हैं। कभी-कभी जो आप लिखते हैं उन्हें समझ नहीं पाते, लेकिन आपको नहीं पता कि वे वास्तव में समाज को प्रभावित करती हैं।
मेरे लिए नारीवाद जितना हम समझते हैं उससे कही ज़्यादा है। एक शब्द में महिला की शक्ति को समझाना मुश्किल है। मैं शानदार और प्रगतिशील महिलाओं के आसपास बड़ा हुआ हुं - मेरी मां और यहां तक मेरी आंटियां, इसलिए मुझे लगता है प्रोगेसिवनेस मेरे डीएनए में हैं।