15 दिसंबर को एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर ऑफ आर्ट्स एंड साइंस ने उन 9 फिल्मों की लिस्ट जारी की, जिन्हें फॉरेन लैंग्वेज फिल्म कैटेगरी के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था। इसमें 'न्युटन' का नाम शामिल नहीं था। लोगों ने इसे लेकर काफी ट्रोल किया। लोगों ने न्युटन को बोरिंग पिक्चर भी कह डाला। इस बात से दुखी फिल्म के निर्देशक ने ट्विटर पर ट्रोलर्स को जवाब देते हुए लिखा कि मैं उन सभी लोगों को बताना चाहता हुं जो इस बात पर खुश हैं और मुझे ट्रोल कर रहे हैं कि न्यूटन ऑस्कर में अपनी जगह नहीं बना पाया। ऑस्कर हो या ना हो, यह हमारे देश में लंबे समय में बनी बेहतरीन फिल्मों में से एक है।
फिल्म 'न्यूटन' एक युवा सरकारी क्लर्क न्यूटन कुमार की कहानी है जिसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र में एक गांव में चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी जाती है। फिल्म में यह एक ऐसा गांव दिखाया गया है जहां लोगों को इलेक्शन का मतलब तक नहीं पता था और न्युटन ने वहां इलेक्शन करवाए। फिल्म को भारत और दुनिया में सराहा गया जब उसने ऑस्कर में टॉप 100 में जगह बनाई।