कभी पिता संग स्टेज शो करते थे सोनू निगम, एक गाने ने बदल दी किस्मत

WD Entertainment Desk

मंगलवार, 30 जुलाई 2024 (07:01 IST)
sonu nigam birthday: बॉलीवुड के फेमस सिंगर सोनू निगम 51 साल के हो गए हैं। सोनू निगम का जन्म हरियाणा के फरीदाबाद शहर में 30 जुलाई 1973 को हुआ। उनके पिता माता-पिता गायक थे। बचपन से ही सोनू निगम का रूझान संगीत की ओर था और वह भी अपने माता-पिता की तरह गायक बनना चाहते थे। इस दिशा में शुरुआत करते हुए उन्होने अपने पिता के साथ महज तीन साल की उम्र से स्टेज कार्यक्रमों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। सोनू निगम 19 साल की उम्र में पार्श्वगायक बनने का सपना लेकर अपने पिता के साथ मुंबई आ गए।
 
मुंबई में सोनू निगम को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अपने जीवन यापन के लिए वह स्टेज पर मोहम्मद रफी के गाए गानों के कार्यक्रम पेश किया करते थे। इसी दौरान प्रसिद्ध कंपनी टी-सीरीज ने उनकी प्रतिभा को पहचान उनके गाए गानो का एलबम 'रफी की यादें' निकाला। सोनू निगम ने पार्श्वगायक के रूप में अपने सिने करियर की शुरूआत फिल्म 'जनम' से की लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म रिलीज नहीं हो सकी। 
 
लगभग पांच वर्ष तक सोनू निगम मुंबई में पार्श्वगायक बनने के लिए संघर्ष करते रहें। आश्वासन तो सभी देते लेकिन उन्हें काम करने का अवसर कोई नही देता था। इस बीच सोनू निगम ने बी और सी ग्रेड वाली फिल्मों में पार्श्वगायन किया लेकिन इन फिल्मों से उन्हें कोई खास फायदा नहीं पहुंचा। सोनू निगम के करियर के लिए 1995 अहम वर्ष साबित हुआ और उन्हें छोटे पर्दे पर कार्यक्रम 'सारेगामा' में होस्ट के रूप में काम करने का अवसर मिला। इस शो से मिली लोकप्रियता के बाद वह कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए।
 
इस बीच उनकी मुलाकात टी-सीरीज के मालिक गुलशन कुमार से हुई जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचान करके अपनी फिल्म 'बेवफा सनम' में पार्श्वगायक के रूप में काम करने का मौका दिया। इस फिल्म में उनके गाए गीत 'अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का' उन दिनों श्रोताओ के बीच क्रेज बन गया। फिल्म और गीत की सफलता के बाद वह पार्श्वगायक के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए।
 
बेवफा सनम की सफलता के बाद सोनू निगम को कई अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गए, जिनमें दिल से, सोल्जर, आ अब लौट चले, सरफरोश, हसीना मान जाएगी और ताल जैसी बड़े बजट की फिल्में शामिल थी। इन फिल्मों की सफलता के बाद उन्होंने सफलता की नई बुलंदियों को छुआ और एक से बढक़र एक गीत गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
 
सोनू निगम को साल 1997 में अनु मलिक के संगीत निर्देशन में 'बार्डर' फिल्म में पार्श्वगायन करने का अवसर मिला। इस फिल्म में उन्होंने 'संदेशे आते है' गीत के जरिए अपने ऊपर लगे मोहम्मद रफी के क्लोन के ठप्पे को सदा के लिए मिटा दिया। साल 1997 में ही सोनू निगम को शाहरुख खान अभिनीत फिल्म 'परदेस' में पार्श्वगायन करने का अवसर मिला। नदीम श्रवण के संगीत निर्देशन में उन्होने 'ये दिल दीवाना' गीत गाकर न सिर्फ अपनी बहुआयामी प्रतिभा का परिचय दिया बल्कि युवाओं के बीच क्रेज भी बन गए।
 
सोनू निगम अब तक दो बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके है। सबसे पहले उन्हे 2002 में फिल्म साथिया के 'साथिया' गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ गायक का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया। इसके बाद 2003 में फिल्म कल हो ना हो के गीत 'कल हो ना हो' के लिए भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के फिल्म फेयर पुरस्कार के साथ ही राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया गया। उन्होंने हिंदी के अलावा उर्दू, अंग्रेजी, तमिल, बंगला, पंजाबी, मराठी, तेलुगु, भोजपुरी, कन्नड़, उड़िया और नेपाली फिल्मों के गीतों के लिऋ भी अपना स्वर दिया है।
 
बहुमुखी प्रतिभा के धनी सोनू निगम ने कई फिल्मों में अभिनय भी किया है। उन्होनें प्यारा दुश्मन, कामचोर, उस्तादी उस्ताद से, बेताब, हमसे है जमाना और तकदीर जैसी फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम किया है और जानी दुश्मन एक अनोखी प्रेम कहानी, लव इन नेपाल तथा काश आप हमारे होते जैसी फिल्मों में भी बतौर अभिनेता के रूप में काम कर दर्शको को मंत्रमुग्ध किया है। 
 
सोनू निगम पार्श्वगायन के अलावा सामाजिक उत्थान में सक्रिय भूमिका निभाते रहे है और कई कल्याणकारी संगठनों से सदस्य के रूप में जुड़े हुए है। इनमें कैंसर रागियों, कुष्ठ रोगियों और अंधों के कल्याण के लिए चलाई जाने वाली संस्था खास तौर पर उल्लेखनीय है। इसके अलावा सोनू निगम ने कारगिल युद्ध और भूकंप से पीड़ित परिवारों और बच्चों के उत्थान के लिए चलाई जाने वाली संस्था 'क्रेआन' में भी सक्रिय योगदान दिया है।

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