परेशानी के वक्त में आदमी मुस्कुराने के लिए चंद लम्हें ढूंढ लेता है और चिंताओं को थोड़ी देर के लिए भूला देता है। सोशल मीडिया ऐसे वक्त बड़ा काम आता है। ठीक है, कि इसमें निगेटिविटी ज्यादा है, लेकिन सकारात्मक और हास्य से भरी कुछ बातें भी यही मिलती हैं।
कोरियोग्राफर की जरूरत पड़ी तो सरोज खान हाजिर हो गईं। फिल्म में थोड़ी कॉमेडी भी चाहिए तो जगदीप पहुंच गए। विलेन के रूप में विकास दुबे कानपुर वाला को फिट किया गया। फिल्म हो गई पूरी। दर्शकों की जरूरत भी है, इसलिए आप सुरक्षित रहिए।