Bawaal world television premiere: 'बेटा माहौल ऐसा बनाओ कि लोगों को माहौल याद रहे... रिजल्ट नहीं।' लेकिन क्या होगा जब आपका बाहरी दिखावा खुद आप पर ही हावी होने लगे और फिर, बस आपकी छवि ही सबकुछ हो जाए? प्यार, अहम के टकराव और एक अनकही कहानी के साथ ज़ी सिनेमा लेकर आ रहा है फिल्म 'बवाल' का वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर।
जाह्नवी कपूर और वरुण धवन की शानदार जोड़ी के साथ यह फिल्म अजय दीक्षित की बेबाक कहानी दिखाती है, जो लखनऊ में इतिहास के टीचर हैं और अपनी छवि को लेकर बड़े सजग हैं। उनकी ज़िंदगी का उसूल है कि जब तक सफलता न मिले, तब तक इसका दिखावा करते रहो। क्या उनका यह मुखौटा टिक पाएगा या फिर ताश के पत्तों की तरह बिखर जाएगा? जानने के लिए देखिए 'बवाल' का वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर, 25 नवंबर को रात 8 बजे सिर्फ ज़ी सिनेमा पर।
'बवाल' एक दिल छू लेने वाला फैमिली ड्रामा है, जो पारिवारिक रिश्तों में बड़ी बारीकी से बुने गए जज़्बातों के तार छेड़ देता है। यह फिल्म ज़िंदगी के सबक सिखाती है और एक साधारण नजरिए के पार जाकर उन संवेदनाओं को उजागर करती है, जिनसे एक परिवार बनता है।
इस फिल्म के वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर को लेकर वरुण धवन ने कहा, ये फिल्म जिंदगी की अनिश्चितताओं को उजागर करती है। मैं इस बात में यकीन रखता हूं कि भगवान की बड़ी योजनाएं होती हैं। यदि आपके मन का हो, तो अच्छा और यदि मन का ना हो, वो भी अच्छा। आज लोग निडर नहीं हैं। हर इंसान को हर कदम पर अपनी असुरक्षाओं से लड़ना पड़ता है।
उन्होंने कहा, 'बवाल' ने इसी हकीकत को करीब से दिखाया और मुझे एक ऐसे किरदार में उतरने की चुनौती दी जो मुझसे बहुत अलग है। यह आज की फिल्टर वाली ज़िंदगी की हकीकत दिखाती है, लेकिन इन सबके बीच जान्हवी के साथ काम करना बहुत मजेदार रहा! पर्दे के पीछे वो वाकई एक बवाल है - विचित्र, मजेदार और हर तरह से एक टेढ़ी खीर है। वो अपनी तरह की एक है और यही खूबी उसे इतना खास बनाती है।
जाह्नवी कपूर ने कहा, इस फिल्म में निशा का रोल निभाते हुए मैंने एक ऐसे किरदार के बारे में जाना जो अपनी खामोश ताकत और अटूट उम्मीद से चलता है। उसके अपने संघर्ष हैं, रिश्तों, स्वास्थ्य और समाज की उलझने हैं, लेकिन इन सबके बावजूद वो हिम्मत, होशियारी और अच्छाइयों से भरी है। निशा की तरह मैं भी लगातार ज़ाहिर करने से ज्यादा गौर करने पर जोर देती हूं। आजकल लोग अपनी इमेज से बंधे हुए हैं और ऐसी दुनिया में जहां जहां लोग अपनी ही छवि में गुम हैं, वहां निशा की कहानी हम सभी को अपनी असलियत को अपनाने की हिम्मत और जिंदगी की छोटी-छोटी खुशियों को जीने की प्रेरणा देती है।”
जज्बातों से भरे इस फैमिली ड्रामा में एक आकर्षक मिडिल स्कूल टीचर अजय दीक्षित उर्फ अज्जू कामयाबी का मुखौटा लगाकर जिंदगी जीता है। कुछ अनोखी वजह से उसकी शादी उत्साह से भरी निशा से होती है। अज्जू के मन में समाई असुरक्षाओं के चलते वो निशा से बुरा बर्ताव करने लगता है।
इस बीच, अज्जू अपने काम पर सस्पेंड होने की कार्रवाई से बचने के लिए एक अनोखा प्लान बनाता है, जिसमें वह निशा के साथ मिलकर एक अनजानी राह अपनाता है, और फिर दोनों जिंदगी की उलझनों से गुजरते हैं। यह फिल्म खुद की खोज का एक सफर है, जिसमें इस दंपति की कमजोरियां, कमियां और वो सच्चाइयां उजागर की गई हैं जो आगे चलकर उनकी ज़िंदगी को एक नया मोड़ देती हैं। क्या अजय और निशा अपनी गलतफहमियों से लड़ने में कामयाब होंगे?