कई बार ऐसी फिल्म हाथ से निकल जाती है जिसका अफसोस जिंदगी भर होता है। बॉलीवुड में ऐसे कई किस्से हैं जब कोई कलाकार चाह कर भी वो फिल्म नहीं कर पाया। बाद में वो फिल्म या किरदार इतना हिट होता है कि वर्षों बाद भी लोगों को याद रहता है। जो यह मौका छोड़ देता है वो जिंदगी पर पश्चाताप करता रहता है। ऐसा ही कुछ हुआ अभिनेता राहुल रॉय के साथ।
राहुल रॉय ने 1990 में रिलीज हुई फिल्म 'आशिकी' से बॉलीवुड में कदम रखा था। इस फिल्म में उनके साथ नई एक्ट्रेस अनु अग्रवाल ली गई। निर्देशक थे महेश भट्ट। फिल्म की कहानी तो ठीक-ठाक थी, लेकिन संगीत बहुत ही मधुर था। फिल्म के रिलीज होने के पहले ही इसके गाने गली-गली गूंजे थे। फिल्म में ढेर सारे गाने थे और फिल्म देख कर कई लोगों ने इसे 'चित्रहार' भी कहा था। चित्रहार उस समय दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम का नाम था जिसमें फिल्मी गाने दिखाए जाते थे।
बहरहाल, आशिकी बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट हुई और राहुल रॉय रातों-रात बड़े सितारे बन गए। उनके पास फिल्मों के ढेर सारे ऑफर आ गए। एक साथ 49 फिल्में ऑफर हुईं। राहुल रॉय फिल्म इंडस्ट्री से ज्यादा परिचित नहीं थे। उन्हें समझ नहीं आया कि कौन सी फिल्म करें और कौन सी नहीं। जो समझ में आया वो फिल्म ताबड़तोड़ उन्होंने साइन कर ली। उनकी तारीखों के लिए फिल्म निर्माता झगड़ने लगे।
इसी बीच फिल्ममेकर यश चोपड़ा का राहुल रॉय के पास फोन आया। वे उस समय फिल्म 'डर' की प्लानिंग कर रहे थे। स्क्रिप्ट तैयार थी और फिल्म का एक किरदार उन्होंने राहुल को ध्यान में रख कर लिखा था। यश चोपड़ा के पास राहुल पहुंचे। स्क्रिप्ट पसंद भी आई। वे फिल्म करने के लिए तैयार भी हो गए, लेकिन मुश्किल आ गई डेट्स को लेकर।
राहुल रॉय वो सारी तारीखें निर्माताओं को दे चुके थे जो यश चोपड़ा को चाहिए थी। कोई हल नहीं निकला सिवाय इसके कि राहुल को यह फिल्म अस्वीकार करना पड़ी। बाद में यह रोल शाहरुख खान को ऑफर हुआ। शाहरुख ने यह भूमिका ऐसी निभाई कि लोगों को उनका किरदार और अभिनय बेहद पसंद आया। विलेन होने के बावजूद वे फिल्म के हीरो सनी देओल पर भारी पड़े। 'डर' के बाद शाहरुख खान के करियर को पंख लग गए और वे ऊंचाई पर पहुंच गए। दूसरी ओर राहुल रॉय आज भी पछताते हैं कि उनके हाथ से मौका निकल गया।