निर्माता-निर्देशक : गुड्ड धनोवा संगीतकार : संदेश शांडिल्य और आनंद राज आनंद कलाकार : सनी देअोल, प्रियंका चोपड़ा, डैनी, फरीदा जलाल, सयाजी शिंदे, शाहबाज खान
निर्देशक गुड्डु धनोआ और सनी देओल की जोड़ी ने ‘जिद्दी’ और ‘सलाखें’ जैसी हिट फिल्में दी है। आज से दस-पन्द्रह वर्ष पूर्व इस तरह की फिल्में दर्शक पसंद करते थे जब नायक को वे अन्याय से लड़ते देखते थे। पर अब जमाना बदल गया है और गुड्डु और सनी अभी भी उसी दौर में है। ‘बिग ब्रदर’ को भी गुड्डु ने आज से पाँच-छ: वर्ष पूर्व शुरू की थी, लेकिन इसे बनने में इतना समय लगा कि दर्शकों के सामने ये अब आई। यह प्रियंका चोपड़ा की पहली फिल्म थी।
इस तरह की फिल्म आप सैकड़ों बार देख चुके है। आगे क्या होने वाला है इसका हर पल आपको अंदाजा रहता है। भ्रष्ट राजनेता, भ्रष्ट पुलिस, गुण्डे जो मूक जनता पर अन्याय करते रहते है। देवधर गाँधी (सनी ) को यह बर्दाश्त नहीं होता है। उसका खून खौल उठता है जब कोई लड़की छेड़ता है, दहेज के लोभी दहेज माँगते है, जब लड़कियों के चेहरे पर तेजाब छिड़क दिया जाता है, बूढ़े माँ-बाप को जवान बेटे घर से निकाल देते है। इन असहाय लोगों को जब कहीं से न्याय नहीं मिलता तो वे देव के पास आते है और देव हाथ में कानून लेकर सबको सबक सिखाता है। वह अपना विजिटिंग कार्ड छपवाकर लोगों में बंटवाता है कि मदद चाहिए तो इस नंबर पर सम्पर्क करें। उसका यह सोचना भी है कि यदि गाँधीजी आज जिंदा होते तो वे भी अपनी रक्षा के लिए लाठी उठाते। लोगों को सबक सिखाते-सिखाते ही तीन-चौथाई फिल्म निकल जाती है। इसके बाद निर्देशक को खयाल आता है कि फिल्म में कुछ कहानी भी डाली जाए। सो अंत में एक घिसी-पिटी कहानी डाल दी जाती है जिसमें देव के परिवार वालों से इन गुण्डों की सीधी लड़ाई होती है। वह सबको खत्म कर जनता के बीच हीरो बना जाता है।
फिल्म का नायक तो मानो कानून को जेब में लिए घूमता है। हर समय वह मारपीट करता रहता है लेकिन पुलिस उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती है। चूंकि पूरी फिल्म टुकड़ों-टुकड़ों में बनी है इसलिए पैबंद के निशान साफ दिखाई देते है। इन टुकड़ों को जोड़ने में निर्देशक को खासी माथापच्ची करनी पड़ी है। किसी तरह उन्हें जोड़कर फिल्म पूरी की गई है। फिल्म कब फ्लेशबैक में जाती है और वापस आती है ये समझना बहुत ही मुश्किल है। सनी के प्रशंसक सनी को जिस रूप में देखना पसंद करते है वैसा सनी का किरदार तो है लेकिन कहानी नहीं होने के कारण दर्शक फिल्म से जुड़ नहीं पाता है।
जहाँ तक अभिनय का सवाल है सनी के लिए ऐसी भूमिका निभाना हमेशा आसान रहा। अभिनय से ज्यादा तो उन्होंने हाथ-पैर चलाए है। सनी के चेहरे पर उम्र के निशान दिखाई देने लगे है। सनी ने दाढ़ी बढ़ाकर और बाल से अपने माथे की सलवटें छिपाने की कोशिश की है लेकिन अब नायक बनने की उम्र को सनी पार कर रहे है। प्रियंका चोपड़ा को दो गाने और शायद दो-तीन संवाद मिले होंगे। शाहबाज खान और सयाजी शिंदे ने खलनायकी के अच्छे तेवर दिखाए। डैनी अभी भी अच्छे लगते है। राजू श्रीवास्तव ने बीच-बीच में अपने फूहड़ चुटकुले सुनाए है।
फिल्म में गाने सिर्फ खानापूर्ति के लिए रखे है। फिल्म के तकनीशियनों ने पूरी कोशिश की कि वे फिल्म की कमजोरी को ढंक सके। लेकिन वे नाकामयाब रहे। फिल्म में इतना एक्शन है कि निर्देशक से ज्यादा फाइट मास्टर को काम करना पड़ा होगा।
चिंदियों से बना कपड़ा कैसा दिखाई देगा इसका अंदाजा आप बिग ब्रदर देखकर लगा सकते है।