तुम मिले : फिल्म समीक्षा

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निर्माता : मुकेश भट्ट
निर्देशक : कुणाल देशमुख
गीत : सईद कादरी, कुमार
संगीत : प्रीतम
कलाकार : इमरान हाशमी, सोहा अली खान, मंत्र, रितुराज, सचिन खेड़ेकर
* यू/ए * 15 रील * दो घंटे 15 मिनट
रेटिंग : 2/5

‘तुम मिले’ के प्रचार में भले ही 26 जुलाई 2005 को मुंबई में बारिश से हुई तबाही की बात की जा रही हो, लेकिन निर्देशक कुणाल देशमुख ने अपना सारा ध्यान लव स्टोरी पर केन्द्रित किया है और बारिश वाली घटना को सिर्फ पृष्ठभूमि में रखा है। यदि 26 जुलाई वाले घटनाक्रम को अलग कर दिया जाए तो फिल्म की कहानी एकदम सामान्य है।

6 वर्ष पहले अलग हुए एक्स लवर्स अक्षय (इमरान हाशमी) और संजना (सोहा अली खान) एक ही विमान से मुंबई जा रहे हैं। 26 जुलाई 2005 को जब वे मुंबई पहुँचते हैं तो मूसलाधार बारिश से उनका सामना होता है। वे अलग-अलग स्थानों के लिए रवाना होते हैं, लेकिन बाढ़ में फँस जाते हैं। अक्षय को संजना की फिक्र होती है और वह उसे ढूँढता हुआ उसके पास जा पहुँचता है।

फ्लैशबैक के जरिये दिखाया जाता है कि कैपटाउन में उनकी प्रेम कहानी शुरू होती है और जल्दी ही वे साथ रहने लगते हैं। अक्षय एक आर्टिस्ट है जो पेंटिंग्स बनाता है। पेंटिग्स बनाने वाले ज्यादातर लोगों का हाथ तंग रहता है और अक्षय भी इसका अपवाद नहीं है। व्यावहारिक संजना के पैसों से घर खर्च चलता है। अक्षय से बिजली के बिल भरने जैसे काम भी समय पर नहीं हो पाते और नाकाम मगर खुद्दार अक्षय कुंठित हो जाता है।

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आखिरकार अक्षय को सिडनी में नौकरी मिलती है, लेकिन संजना उसके अस्थिर स्वभाव के कारण उसके साथ जाने के लिए तैयार नहीं होती है और इसी वजह से उनमें अलगाव होता है।

मुंबई में दोनों मुसीबत का साथ सामना करते हुए महसूस करते हैं कि वे एक-दूसरे को बेहद चाहते हैं और छोटे से कारण को उन्होंने जरूरत से ज्यादा तूल दे दिया है। जिंदगी ने उन्हें एक और मौका दिया है और इस बार वे उसे नहीं गँवाते हैं।

अक्षय और संजना की प्रेम कहानी में कोई खास बात नहीं है। एकदम फिल्मी स्टाइल से उनका प्रेम शुरू किया गया, जो तेजी से दौड़ता हुआ लिव इन रिलेशनशिप तक जा पहुँचता है। उनके प्रेम और तकरार से दर्शक जुड़ नहीं पाते हैं।

इमरान का चरित्र भी कन्फ्यूज्ड है। समस्याओं को अपनी गर्लफ्रेंड से वह क्यों नहीं बाँटना चाहता है, यह स्पष्ट नहीं किया है। लेखक ने यह बताने की कोशिश की है कि अलग होने के बावजूद दोनों में प्यार था, तो ‍6 वर्ष तक उन्होंने एक-दूसरे से संपर्क करने की कोशिश क्यों नहीं की? मुंबई में ऐसी कोई विशेष घटना नहीं घटती, जिससे वे एक बार फिर साथ होने का निर्णय लेते हैं।

संजना विमान से जब मुंबई आती हैं तब उसका एक बॉयफ्रेंड दिखाया गया है, जिसे बाद में ‘गे’ कहकर भूला दिया गया। मुंबई में आई विपदा को भी कहानी में विशेष महत्व नहीं दिया गया है।

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कुणाल देशमुख का निर्देशन अच्छा है और फ्लेशबैक का उन्होंने उम्दा प्रयोग किया है। लेखन की कमियों की ओर भी वे ध्यान देते तो बेहतर होता। प्रीतम ने मधुर संगीत दिया है। तुम मिले, तू ही हकीकत, इस जहाँ में और दिल इबादत सुनने लायक हैं। लेकिन गानों का फिल्मांकन ठीक से नहीं किया गया।

अभिनय की बात की जाए तो इमरान कई दृश्यों में भावहीन हो जाते हैं। सोहा अली खान से उन्हें सीखना चाहिए, जिन्होंने बेहतरीन अभिनय किया है। इमरान के रूप दोस्त के रूप में मंत्र भी प्रभावित करते हैं।

कुल मिलाकर ‘तुम मिले’ में मधुर संगीत और कुछ अच्छे दृश्य हैं, लेकिन पूरी फिल्म के बारे में यह नहीं कहा जा सकता है।

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