बधाई हो फिल्म समीक्षा: गे और लेस्बियन की शादी

शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2022 (13:06 IST)
बधाई हो में अधेड़ उम्र में माता-पिता बनने की कहानी दिखाई गई थी, जहां पर विरोध अपने ही युवा बच्चों से शुरू होता है। यह एक नए विचार पर बनी फिल्म थी जिसमें खूब मनोरंजन था। फिल्म के सारे कलाकारों ने बेहद सहज होकर अभिनय किया और फिल्म को देखने लायक बनाया था। बधाई दो एक नई कहानी पर बनी फिल्म है और बधाई हो से इसका कोई लेना-देना नहीं है। 'गे' और 'लेस्बियन' किरदार या विषय बॉलीवुड के लिए नए नहीं रहे हैं। इन्हीं दो किरदारों को नए ट्विस्ट के साथ 'बधाई हो' में पेश किया गया है। 
 
फिल्म का हीरो शार्दुल (राजकुमार राव) पुलिस ऑफिसर है और लड़कों में उसकी रूचि है। चूंकि यह बात भारत में अभी भी स्वीकारी नहीं जाती इसलिए वह इस बारे में खामोश है। दूसरी ओर सुमि (भूमि पेडणेकर) एक टीचर है और 'लेस्बियन' है। परिवार का शादी के लिए दबाव है। 
 
शार्दुल और सुमि अपने परिवार वालों की खुशी के लिए शादी करना मंजूर कर लेते हैं ताकि परिवार भी खुश रहे और वे भी। वे महज रूम पार्टनर हैं और अपने-अपने पार्टनर से उनके रिश्ते कायम है। लेकिन ये सारी बातें छिपाने के लिए उन्हें बहुत मेहनत करना पड़ती है। नई-नई तरकीबें लगाते हैं, प्लान बनाते हैं। भय की तलवार हमेशा लटकती रहती है कि कहीं भेद खुल गया तो? 
 
कहानी में मनोरंजन और संदेश दोनों हैं। एंटरटेनमेंट के नाम पर कई ऐसे दृश्य हैं जो हंसाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे दृश्य भी हैं जो बोर भी करते हैं। फिल्म थोड़ी खींची हुई भी लगती है और कम से कम 20 मिनट कम की जा सकती थी। कहानी का अंत सभी को पता रहता है कि क्या होने वाला है, रूचि इस बात में रहती है कि यह कैसे होगा? लेखक थोड़े उतार-चढ़ाव और घुमाव-फिराव दे सकते थे। 
 
निर्देशक हर्षवर्धन कुलकर्णी की इसलिए तारीफ की जा सकती है कि उन्होंने अपने मुख्‍य किरदारों को कैरीकेचर बनने से बचाया है। आमतौर पर फिल्मों में 'गे' और 'लेस्बियन' किरदारों को 'ओवर द टॉप' बताया जाता है, लेकिन यहां पर ये किरदार बिलकुल आम लोगों जैसे लगते हैं। 
साथ ही फिल्म फूहड़ भी हो सकती थी, लेकिन हर्षवर्धन इसे सफाई से बचा ले गए। हालांकि उनका ध्यान फिल्म के मैसेज से ज्यादा मनोरंजन पर रहा और फिल्म दर्शकों पर बहुत ज्यादा असर नहीं छोड़ती। फिल्म यही कहती है कि 'गे' और 'लेस्बियन' भी आम लोगों जैसे ही हैं और उन्हें अलग समझना गलत है।  
 
राजकुमार राव फॉर्म में नजर आए और उन्होंने बेहतरीन एक्टिंग की है। भूमि पेडणेकर की उम्दा एक्ट्रेस हैं और अपने रोल में नेचरल लगी हैं। सीमा पाहवा, शीबा चड्ढा, चुम डारंग और गुलशन देवैया ने अच्छा सपोर्ट दिया है। टेक्नीकली फिल्म ठीक-ठाक है। 
 
कुल मिलाकर 'बधाई दो' में कुछ नया करने की कोशिश जरूर की गई है, लेकिन फिल्म औसत से बेहतर ही बन पाई है। 
 

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