Blind movie review: कोरियन फिल्म 'ब्लाइंड' का रीमेक दक्षिण भारत में बना है जिसका हिंदी वर्जन ओटीटी पर उपलब्ध है। इसके बावजूद इसे हिंदी में फिर से क्यों बनाया गया है, समझ से परे है। ब्लाइंड एक थ्रिलर मूवी है जिसकी कहानी में जबरदस्त थिल है, लेकिन हिंदी वर्जन का स्क्रीनप्ले, निर्देशन और अभिनय इसे ले डूबा है।
कहानी सिंपल है और सारा खेल स्क्रीनप्ले पर टिका हुआ है। शोम माखीजा ने ऐसा स्क्रीनप्ले लिखा है कि इस थ्रिलर से थ्रिल ही गायब है। ड्रामे में पकड़ ही नहीं है जो दर्शकों को बांध कर रखे। फिल्म में इस कदर मुर्दानी छाई हुई है कि इसे देखना आसान बात नहीं है। सीन बेहद डल हैं, इनमें जरा भी रोमांच नहीं है। आपको झपकी भी लग सकती है।
सोनम कपूर की एक्टिंग अत्यंत ही निराशाजनक है। ऐसा लग रहा था कि वे ऊंघते हुए एक्टिंग कर रही है। ब्लाइंड व्यक्ति का किरदार कैसे निभाया जाता है इस बात पर उन्होंने शायद ही गौर किया हो। पूरब कोहली मिसकास्ट है। सीरियल किलर का रोल उनसे निभाते नहीं बना। वे जरा भी डर या खौफ पैदा नहीं कर पाए। विनय पाठक सिर्फ जंक फूड खाते रहे और उन्होंने बोर किया।
बैकग्राउंड म्यूजिक, गाने, प्रोडक्शन डिजाइन, आर्ट डायरेक्शन औसत दर्जे के हैं। कुल मिलाकर ब्लाइंड के प्रति ब्लाइंड बने रहना ही ठीक है।