फिल्म समीक्षा : अग्ली

अनुराग कश्यप डार्क और सेंसेटिव फिल्म निर्देशक के रूप में जाने जाते हैं। 'अग्ली' भी उसी की एक कड़ी है। फिल्म में एक इंसान के अंदर छिपी बुराई को दर्शाया गया है जो उसे विलेन बनाती है। फिल्म की कहानी एक स्ट्रगलिंग एक्टर और उसकी अगवा हुई बेटी के आसपास घू‍मती है। अगवा बेटी की खोज पूरी फिल्म में चलती रहती है।

लड़की के पिता के किरदार में हैं राहुल भट्ट हैं। मां का रोल निभाया है तेजस्विनी कोल्हापुरी ने, केस को सुलझाने वाले पुलिस ऑफिसर बने हैं रोनित रॉय। फिल्म में यह दिखाने की कोशिश की गई है कि हर इंसान के भीतर कुछ न कुछ बुराई या लालच होता है जो उसे विलेन बना देता है। हर इंसान मौका फायदा उठाना चाहता है।

अनुराग कश्यप की इस फिल्म में गैंगस्टर्स नहीं हैं बल्कि महानगरों में रहने वाले आम इंसान है। फिल्म की शुरुआत एक सस्पेंस फिल्म की तरह होती है लेकिन फिर कहानी अलग-अलग किरदारों पर केंद्रित हो जाती है। ये ख़ालिस अनुराग कश्यप का सिनेमा है जहां सारे किरदार असली लगते हैं। हालांकि दूसरे भाग में फिल्म कई जगह बोझिल हो जाती है।

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अगर अभिनय की बात की जाए तो राहुल भट्ट और रोनित राय ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है। तेजस्विनी कोल्हापुरी का अभिनय भी ठीक कहा जा सकता है। सुरवीन चावला ने अभिनय से ज्यादा अंग प्रदर्शन पर ध्यान दिया है। निर्देशन की बात की जाए तो अनुराग का निर्देशन बेहतरीन है।

यह फिल्म शायद मास को पसंद न आए। फिल्म में ना गाने हैं, ना कॉमेडी, ना ही कोई बड़ा बॉलीवुड सितारा। मनोरंजन की फिल्म में कमी दिखाई देती है। अनुराग जिस तरह से कहानी को पर्दे पर कहना चाहते थे वह शायद दर्शक समझ न पाएं। मनोरंजन की चाहत रखने वाले दर्शकों के लिए फिल्म देखने जाना जोखिम भरा कहा जा सकता है।

फिल्म : अग्ली
कलाकार :  रोनित रॉय, राहुल भट्ट, तेजस्विनी कोल्हापुरी, सुरवीन चावला,
निर्देशक : अनुराग कश्यप
रेटिंग : 2/5

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